मुश्किल में फंसा Google, हुआ 4.14 खरब का मुकदमा
Google क्रोम ब्राउज़र में प्राइवेट सर्च के लिए Incognito मोड होता है. कई बार आपने इसे यूज किया होगा, लेकिन ये मोड कितना प्राइवेट होता है क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की
आम तौर पर ऐसी घारणा है कि Incognito Mode में ब्राउजिंग करने से गूगल आपको ट्रैक नहीं करता और ये सिक्योर है. हालांकि, सच इससे उल्ट है.
यहां आपकी ट्रैकिंग भी होती है और ब्राउज़िंग हिस्ट्री भी सेव रहती है, लेकिन गूगल के सर्वर पर. नॉर्मल ब्राउज़िंग से सिर्फ़ एक चीज यहां अलग है कि ब्राउज़िंग हिस्ट्री कंप्यूटर में स्टोर नहीं होती.
आप में से कई लोगों को ये सब शायद पहले से पता हो, लेकिन ज़्यादातर लोग गूगल के इस ट्रैप में पड़ कर इसे सिक्योर मानने की गलती करते हैं.
इसी वजह से गूगल पर 2020 में एक क्लास एक्शन लॉसूट किया गया था. यानी कई लोगों ने मिल कर एक साथ गूगल पर मुक़दमा किया था, जो 5 बिलियन डॉलर — लगभग 4.14 खरब रुपये का है.
गूगल को उम्मीद थी कि ये केस ख़ारिज हो जाएगा. क्योंकि कंपनी कहती है कि वो Incognito Mode के पेज पर ट्रैकिंग से जुड़ी तमाम जानकारी पहले से देती है.
हालांकि इस मुक़दमे में गूगल पर और भी आरोप लगाए गए हैं. जैसे गूगल Incogito मोड़ में भी गूगल एनालिटिक्स, ऐड मैनेजर और दूसरे वेबसाइट प्लगइन के ज़रिए यूज़र्स को ट्रैक करता है.
यहां तक की यूज़र्स गूगल के ऐड्स पर क्लिक ना करें तो भी गूगल यूज़र्स को ट्रैक करता है, लेकिन दावा ये किया जाता है कि Incognito Mode में हिस्ट्री स्टोर नहीं की जाती है.
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