Parliament Session: INDIA की जगह अब भारत, राष्ट्रपति के G20 मेहमानों को निमंत्रण पर सियासी घमासान

Parliament Session - INDIA की जगह अब भारत, राष्ट्रपति के G20 मेहमानों को निमंत्रण पर सियासी घमासान
| Updated on: 05-Sep-2023 01:02 PM IST
Parliament Session: संसद के विशेष सत्र की तारीख जैसे-जैसे नज़दीक आ रही है अटकलों का बाजार भी गर्म हो रहा है. सरकार विशेष सत्र में क्या करने वाली है इसकी किसी को खबर नहीं है. इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश का एक ट्वीट आया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि जी-20 सम्मेलन के सम्मान में जो डिनर आयोजित किया गया है, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा कि तो ये खबर वाकई में सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को होने वाले जी-20 डिनर के लिए जो न्योता भेजा है, उसमें प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है. अगर संविधान के आर्टिकल 1 को पढ़ें तो उसमें लिखा है कि भारत जो कि इंडिया है एक राज्यों का समूह होगा. कांग्रेस नेता ने लिखा कि अब तो राज्यों के समूह पर भी खतरा है.

भेजा गया है ऐसा निमंत्रण पत्र

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है. इस दौरान अमृत काल से जुड़े विषयों पर चर्चा करने की बात कही गई है. हालांकि, कोई निश्चित एजेंडा अभी सामने नहीं आया है. यही वजह है कि अलग-अलग तरह की बात हो रही है. विशेष सत्र के दौरान एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल, इंडिया की जगह भारत जैसे बिल या प्रस्ताव पेश किए जा सकते हैं, ऐसे कयास लग रहे हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने भी मंगलवार को ट्वीट किया और लिखा कि रिपब्लिक ऑफ भारत, ये खुशी और गर्व का विषय है हमारा देश अमृतकाल की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है.

क्या बदल जाएगा इंडिया का नाम?

अगर इंडिया और भारत के नाम की बात करें तो ये चर्चा चल रही है कि संविधान में जहां-जहां इंडिया शब्द का प्रयोग है, वहां अब भारत कर दिया जाएगा. इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है. सबसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हमारे देश का नाम काफी पहले से ही भारत है, ऐसे में इसे इंडिया नहीं कहा जाना चाहिए.

इनके अलावा राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने अपील की थी कि ये शब्द गुलामी का प्रतीक है, ऐसे में इसकी जगह भारत ही संविधान में लिखा जाना चाहिए. संसद के मॉनसून सत्र में भी कुछ सांसदों द्वारा इस मसले को सदन में उठाया गया था. ऐसे में यही वजह है कि ये भी माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में इससे जुड़ा कोई फैसला हो सकता है.

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