COVID-19 Update / सरकारी आंकड़ों से 1 लाख ज्यादा लोगों की हुई मौत, 5 राज्यों की पड़ताल का देखें सच

कोरोना वायरस महामारी ने भारत में जमकर कहर ढाया। मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से भारत में हर दिन औसतन 840 लोगों की मौत हुई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या देश में दर्ज कुल दैनिक मौतों (कोरोना से अलग हुई मौतों) का लगभग तीन प्रतिशत है। सिर्फ 5 राज्यों की पड़ताल में कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े और कुल जान गंवाने वालों की संख्या के बीच 1 लाख से ज्यादा का फासला नजर आता है।

Vikrant Shekhawat : Jun 24, 2021, 06:38 AM
Delhi: कोरोना वायरस महामारी ने भारत में जमकर कहर ढाया। मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से भारत में हर दिन औसतन 840 लोगों की मौत हुई। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या देश में दर्ज कुल दैनिक मौतों (कोरोना से अलग हुई मौतों) का लगभग तीन प्रतिशत है। सिर्फ 5 राज्यों की पड़ताल में कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़े और कुल जान गंवाने वालों की संख्या के बीच 1 लाख से ज्यादा का फासला नजर आता है।

ऐसे में क्या यह आंकड़ा पिछले 15 महीनों में दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश पर कोरोना वायरस के प्रभाव को दर्शाता है? इसे जानने के लिए आजतक ने अलग-अलग डेटा के माध्यम से पड़ताल की। 

दरअसल, अप्रैल और मई के बीच जब देश में कोरोना रोज हजारों लोगों की जान ले रहा था, तब वायरस से जान गंवाने वालों का जो नंबर अलग-अलग राज्यों में बताया गया, उस पर देश से लेकर विदेश के मीडिया तक ने सवाल उठाए। इस आरोप के साथ कि सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा लोगों ने जान गंवाई है। 

इसीलिए आजतक ने कई सरकारी दस्तावेज खंगाले और उन्हीं पन्नों में दर्ज मौत के नंबरों की पड़ताल करके ये रिपोर्ट तैयार की, जो बताती है कि कोरोना से देश में नागरिक मरे ज्यादा हैं, लेकिन गिने कम गए हैं। पता चला है कि कोरोना की दूसरी लहर से हुई मौतों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक है।

सांकेतिक फोटो- पीटीआई

ये जानकारी हासिल करने के लिए आजतक ने हर तरह की मृत्यु का एक-एक लेखा जोखा रखने वाले सिविल रजिस्ट्रेशन प्रणाली अस्पतालों से कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार को भेजे गए शवों, नगर निकायों से मांगे गए मृत्यु प्रमाण पत्रों की गहन जांच की। 

दिल्ली में कोरोना से मौत की गिनती

सबसे पहले हमने भारत की राजधानी दिल्ली में कोरोना से मौत की गिनती और उस दौरान मृत्यु के आंकड़ों के बीच के सच को समझने की कोशिश की। यहां अप्रैल से मई के बीच यानी वो वक्त जब दिल्ली के श्मशान घाटों और विद्युत शवदाह गृहों के बाहर कोविड प्रोटोकॉल से अंतिम संस्कार की लंबी लाइन लगी दिखती थी, लेकिन मृत्यु के असली नंबर सरकार के पन्नों में कम दिखते हैं।