देश / मॉस्को में विदेश मंत्रियों की मुलाकात से पहले पैंगोंग में चली थी 100-200 राउंड गोलियां- रिपोर्ट

News18 : Sep 16, 2020, 09:17 AM
नई दिल्ली। भारत-चीन के बीच पूर्व लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( Line of Actual Control in Ladakh) में तनाव हर दिन बढ़ता जा रहा है। इस तनावपूर्ण हालात में भी दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर जारी है। इस बीच LAC पर फायरिंग को लेकर नया खुलासा हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के मॉस्को में 10 सितंबर को विदेश मंत्री एस। जयंशकर (S Jaishankar) और उनके चीनी समकक्ष वांग यी (Wang Yi) की मुलाकात से पहले पैंगोंग त्सो झील (Pangong Tso) के उत्तरी किनारे के नजदीक दोनों सेनाओं में गोलीबारी हुई थी। एक अफसर के मुताबिक, जिस जगह फिंगर-3 और फिंगर-4 का तल मिलता है, वहां दोनों पक्षों में 100-200 राउंड फायर किए गए। अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि फायरिंग की घटनाएं उस दौरान हुईं, जब दोनों देशों की सेनाएं फिंगर इलाके में पकड़ मजबूत करने के लिए गश्त कर रही थीं। अब तक इस घटना के बारे में न तो चीन और न ही भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान दिया गया है। इससे पहले चुशूल सेक्टर में हुई फायरिंग की घटना पर दोनों देशों में तनातनी हुई थी। अधिकारी का कहना है कि ताजा फायरिंग चुशूल में हुई फायरिंग से भी ज्यादा भीषण थी।

रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि भारत और चीनी सेना के बीच एलएसी पर एक महीने में तीन बार फायरिंग की घटना हो चुकी है। अब तक सिर्फ चुशूल सेक्टर में हुई फायरिंग को लेकर ही दोनों देशों की ओर से आधिकारिक बयान आए हैं। अगस्त में मुकपरी में भी फायरिंग की घटना हुई थी, लेकिन उस बारे में कोई बयान नहीं आया। अब पेंगोंग के उत्तरी किनारे पर 100-200 राउंड फायर हुए हैं, मगर अब तक दोनों देशों में किसी ने भी कोई बयान नहीं दिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने ये भी बताया कि पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फायरिंग कैसे शुरू हुई थी। सितंबर की शुरुआत में भारतीय सेना पेंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर अपनी पोजिशन बदल रही थी। चीनी सेना इसी जगह पर महज 500 मीटर की दूरी पर है। इसी दौरान दोनों के बीच फायरिंग हुई।

अधिकारी ने कहा कि पहले एक छोटी घटना हुई, जिसके बारे में हमारे जवानों ने बताना जरूरी नहीं समझा। बाद में छोटी घटना बड़ी हो गई है और फिंगर 4 और फिंगर 3 पर कई राउंड फायरिंग हुई। हालांकि, 29-30 अगस्त को एलएसी पर ऊंची चोटियों पर पकड़ मजबूत करने के बाद भारत वहां अब चीन से ज्यादा फायदे वाली स्थिति में आ गया है।

हालांकि, मॉस्को में भारत-चीन के विदेश मंत्रियों और बाद में रक्षा मंत्रियों की बातचीत के बाद हालात कुछ काबू में होने की बात कही जा रही है। दोनों देशों के बीच आर्मी कमांडर लेवल पर बातचीत का दौर पर चल रहा है। अब देखना है कि इसमें क्या नतीजा निकलता है।

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