जयपुर / 15वां वित्त आयोग और राजस्थान में संभावनाएं, व्यापारियों और उद्यमियों से मिले आयोग सदस्य

Zoom News : Sep 09, 2019, 12:30 PM
15वां वित्त आयोग इन दिनों राजस्थान में है। एन.के. सिंह  की अध्यक्षता में 15 वें वित्त आयोग ने अपने सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आज राजस्थान में व्यापार और उद्योग निकायों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की।

आयोग ने पाया:
• कपड़ा, सीमेंट, रत्न और आभूषण, कांच और चीनी मिट्टी की वस्तुएं इत्यादि जैसे वृद्धि संबंधी क्षेत्रों पर जोर देने के साथ औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी गई है। विशेष रूप से हस्तशिल्प, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि में निर्यात में सुधार के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाए गए हैं।
• राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, नई दिल्ली से निकटता ने अलवर जिले में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में सहायता की है जहां मोटर वाहन और इंजीनियरिंग क्षेत्र की कई प्रमुख औद्योगिक कंपनियां स्थित हैं। राज्य में दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे के विकास के बाद औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने की भी जबरदस्त क्षमता है।
राजस्थान ने निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रगति की है:
कच्चे तेल जैसे प्राकृतिक संसाधन, संगमरमर और ग्रेनाइट, चूना पत्थर, अभ्रक
स्फतीय, तांबा, शीशा और जस्ता
कपड़ा और परिधान
कृषि आधारित उद्योग
कृषि आधारित उद्योगों में कई नई फसलों की शुरुआत से काफी सुधार हुआ है जो अब तक राजस्थान में पैदा नहीं की जा रही थीं जैसे जैसलमेर में खजूर की खेती, श्रीगंगानगर में किन्नू उत्पादन, झालावाड़ क्षेत्र में संतरे, सवाईमाधोपुर में अमरूद, बीकानेर क्षेत्र में ग्वारगम।
मिर्च, सौंफ, हींग, जीरा, अजवाईन, धनिया, मेथी के पत्ते, अदरक, लहसुन आदि जैसे मसालों की किस्मों का उत्पादन।

राजस्थान 99.40% के स्कोर के साथ व्यापार करने में सुगमता की रैंकिंग में 9वें स्थान पर है।
राजस्थान में 3072.43 मेगावाट (मार्च 2019 तक) की तीसरी उच्चतम सौर क्षमता भी है।
राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम लिमिटेड (आरआईआईसीओ) और जापान बाह्य व्यापार संगठन (जेईटीआरओ) ने 2006-2016 की अवधि के दौरान राजस्थान राज्य में जापानी निवेश को बढ़ावा देने के लिए गठबंधन किया है। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम नीमराणा के पास घिलोठ में औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण है।

ओएनजीसी द्वारा संचालित बंबई हाई ऑफशोर फील्ड के बाद राजस्थान भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक राज्य है।
राजस्थान में पर्यटन की संभावनाओं के बारे में आयोग ने पाया कि:
राज्य में विदेशी पर्यटकों के साथ-साथ घरेलू पर्यटकों के लिए विशाल और बिना दोहन की गई क्षमता उपलब्ध है जो रोजगार के अवसर प्रदान करते हुए आर्थिक विकास को और आगे बढ़ाने में योगदान कर सकती है।
2018 के पर्यटन आंकड़ों के अनुसार, राज्य ने 2017 में देश में विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में सभी भारतीय राज्यों के बीच 5वां स्थान हासिल किया। 2017 में राजस्थान राज्य द्वारा सभी विदेशी पर्यटकों में से 6 प्रतिशत को आकर्षित किया गया था।
राज्य ने 2017 में देश में घरेलू पर्यटकों को आकर्षित करने के मामले में सभी भारतीय राज्यों के बीच 10वां स्थान प्राप्त किया। 2017 में राजस्थान राज्य द्वारा सभी घरेलू पर्यटकों के 2.8 प्रतिशत को आकर्षित किया गया था।
निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहल में शामिल हैं:
रिप्स 2014, एकल विंडो मंजूरी प्रणाली लागू करना।
कृषि-प्रसंस्करण एवं कृषि-व्यवसाय, पर्यटन, सौर ऊर्जा, एमएसएमई, खनिज, टाउनशिप, बीपीओ और केपीओ के लिए प्रोत्साहन योजना, स्टार्ट-अप से संबंधित विभिन्न नीतियों और योजनाओं का प्रणालीगत सृजन।
 व्यापक श्रम सुधार लागू करना।
आयोग के अनुसार चिंता के बिन्दु हैं -
पर्याप्त तकनीकी कुशल लोगों की उपलब्धता
नीति आयोग के अनुसार राज्य में तकनीकी रूप से योग्य कर्मियों की कमी चिंता का विषय रही है।
कुशल कर्मियों की अपेक्षित उपलब्धता राज्य में अपेक्षित आवश्यकता के आधे से लगभग 2.17 लाख कम है।
 अर्ध-कुशल कर्मियों के मामले में, जहां अपेक्षित आवश्यकता 30.91 लाख है और अपेक्षित उपलब्धता लगभग 10.91 लाख व्यक्ति है।
❖ अपर्याप्त परिवहन अवसंरचना
राजस्थान में सड़क की लंबाई के संबंध में राष्ट्रीय औसत से पीछे है।
राजस्थान में सड़क घनत्व वर्ष 2016-17 में 143.1 किमी के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 74.3 किमी प्रति 100 वर्ग किमी है।
वर्ष 2017-18 में राज्य में सड़कों की कुल लंबाई लगभग 1,89,825 किलोमीटर है। राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई लगभग 9,271 किलोमीटर है जबकि राज्य राजमार्गों का विस्तार लगभग 15,032 किमी है।
बैठक में उपस्थित उद्योग और व्यापार मंडल के प्रतिनिधियों में राजस्थान उद्योग एवं वाणिज्य चैंबर, सीआईआई राजस्थान, राजस्थान निर्यातक संघ, रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद, यूनाइटेड काउंसिल ऑफ राजस्थान इंडस्ट्रीज, फिक्की, फोर्टी, जयपुर उद्योग एवं वाणिज्य चैंबर, लघु उद्योग भारती, पीएचडीसीसीआई, जयपुर के प्रतिनिधि शामिल थे।
आयोग ने राजस्थान व्यापार और उद्योग के प्रतिनिधियों द्वारा रेखांकित की गई सभी चिंताओं पर गौर किया और केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशों में उन पर ध्यान देने का वादा किया।

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