देश / 20 साल का दर्द फिर से उभर आया, गैंगरेप के दोषियों की रिहाई पर बिल्किस

Zoom News : Aug 17, 2022, 11:31 PM
गुजरात | सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों की रिहाई पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए बिल्किस बानो ने बुधवार को कहा कि इस कदम ने "न्याय पर उनके भरोसे को हिला दिया" है। उन्होंने कहा, ""दो दिन हुए 15 अगस्त, 2022 को मुझपर जैसे पिछले 20 सालों का सदमा फिर से कहर की तरह टूट पड़ा। जब मैंने सुना कि जिन 11 आरोपियों ने मेरा पूरा जीवन नष्ट किया, मेरी आँखों के सामने मेरे पूरे परिवार को खत्म किया, मेरी 3 साल की बेटी मुझसे छीन ली, वो सभी आरोपी रिहा कर दिए गए हैं। आजाद घूम रहे हैं। ये सुनने के बाद मेरे पास कोई शब्द नहीं थे। मैं सुन्न और खामोश सी हो गई हूँ।" गौरतलब है कि गुजरात में गोधरा कांड के बाद 2002 में बिल्किस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषी सोमवार को गोधरा उप कारागार से रिहा हो गए। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी।

दोषियों की रिहाई पर बोलते हुए बिल्किस ने कहा, "मेरे पास शब्द नहीं हैं। मुझे हमारे देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था, और मैं धीरे-धीरे इस बड़े आघात के साथ जीने की आदत डाल रही थी।" बता दें कि मुंबई में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिल्किस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक कैद की सजा काट ली, जिसके बाद उनमें से एक दोषी ने समय से पहले रिहाई के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए बिल्किस ने कहा, "इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण निर्णय लेने से पहले किसी ने मेरी सुरक्षा और भलाई के बारे में नहीं पूछा। मैं गुजरात सरकार से अपील करती हूं, कृपया इस फैसले को वापस लें। मुझे बिना किसी डर और शांति से जीने का मेरा अधिकार वापस दें। कृपया सुनिश्चित करें कि मेरा परिवार और मुझे सुरक्षित रखा जाए।"

तीन मार्च 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्किस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिल्किस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई। अदालत को बताया गया कि छह अन्य सदस्य मौके से फरार हो गये थे। इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था।

बिल्किस बानो की तरफ से उनकी वकील शोभा ने स्टेटमेंट जारी किया है। यहां पढ़ें पूरा स्टेटमेंट- 

"दो दिन हुए 15 अगस्त, 2022 को मुझपर जैसे पिछले 20 सालों का सदमा फिर से कहर की तरह टूट पड़ा। जब मैंने सुना कि जिन 11 आरोपियों ने मेरा पूरा जीवन नष्ट किया, मेरी आँखों के सामने मेरे पूरे परिवार को खत्म किया, मेरी 3 साल की बेटी मुझसे छीन ली, वो सभी आरोपी रिहा कर दिए गए हैं। आजाद घूम रहे हैं। ये सुनने के बाद मेरे पास कोई शब्द नहीं थे। मैं सुन्न और खामोश सी हो गई हूँ। आज मैं केवल इतना कह सकती हूँ - क्या एक औरत को दिए गए न्याय का अंत यही है? मैंने इस देश के सबसे ऊंचे न्यायालय पर विश्ववास रखा। मैंने इस व्यवस्था पर विश्वास रखा। मैं धीरे-धीरे अपने सदमे के साथ जीना सीख रही थी। इन 11 आरोपियों की रिहाई ने मुझसे मेरी शांति छीन ली है और न्याय की व्यवस्था पर मेरा भरोसा हिला दिया है। मेरा दुख और ये डगमगाता विश्वास सिर्फ अपने लिए नहीं उन सब औरतों के लिए है जो इंसाफ की तलब में अदालतों में आज लड़ रही हैं। इन आरोपियों को रिहा करने के इतने बड़े और अन्यायपूर्ण फैसले से पहले किसी ने मुझसे नहीं पूछा। मेरी सुरक्षा और बहाली के बारे में नहीं सोचा। मैं गुजरात सरकार से अपील करती हूँ कि इस हानिकारक फैसले को वापस लें। शांति से और निडर होकर मेरे जीने का अधिकार मुझे वापस लौटाएं। मेरे और मेरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें।"

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