News18 : Apr 25, 2020, 04:22 PM
गोरखपुर। कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ चल रही जंग में केन्द्र और प्रदेश सरकार आरोग्य सेतु ऐप (Aarogya Setu App) को कारगर हथियार मानकर चल रही है। मगर आम आदमी इसको ये समझने में व्यस्त है कि ये आखिर काम कैसे करता है? इसी को समझने के लिए न्यूज 18 की टीम गोरखपुर (Gorakhpur) के कंट्रोल रूम पहुंची। यहां एक बड़ी स्क्रीन पर एक व्यक्ति नजर गड़ाए बैठा मिला। कंट्रोल रूम प्रभारी ने बताया कि स्क्रीन पर ये अरोग्य सेतु ऐप से मिलने वाला इनपुट है।
उन्होंने बताया कि ये ऐप फोन में डाउनलोड करने के बाद जब व्यक्ति अपना स्व-परीक्षण कर लेगा और फिर इसके बाद सिर्फ उसे अपना ब्लूटूथ ऑन रखना होगा। आगे का काम ये ऐप अपने आप करेगा। दरअसल ये एप जितने भी व्यक्ति के मोबाइल में है और उसका ब्लूटूथ ऑऩ है तो व्यक्ति सीधे ऐप के मेन सर्वर और गोरखपुर में कंट्रोल रूम सर्वर से जुड़ गया है। फिर उसके प्रत्येक मूवमेन्ट पर सरकार की नजर रहती है।
ऐप इस तरह कर रहा काम
इसको अगर और भी आसान भाषा में समझें तो जैसे- A नामक व्यक्ति की अगर जांच में कोरोना की पुष्टि होती है तो सरकार को ये पता चल जायेगा कि वो पिछले 14 दिनों में कितने लोगों से मिला और कहां पर कितनी देर तक रुका था? इसके बाद सरकार को उन लोगों को ट्रैक करने में आसानी होगी, जिससे ये वायरस तेजी से नहीं फैल पायेगा।
45 दिन तक डेटा सुरक्षित
ऐप के मेन सर्वर में ग्रीनजोन का डेटा 30 दिन तक सुरक्षित रहता है। वहीं जिन जिलों में कोरोना के मरीज हैं और रेड जोन है वहां का डेटा 45 दिन तक मेन सर्वर पर रहता है। साथ ही जिन व्यक्तियों की कोरोना की जांच हो चुकी है उन लोगों को भी ट्रैक किया जा रहा है, जो व्यक्ति कहीं बाहर से आया है, उसको भी ट्रैक करने में आसानी हो रही है क्योंकि जिले के कंट्रोल रूम के स्क्रीन पर डाट सामने रहता है।
ऐप में सर्वे जरूर भरें: डीएम
गोरखपुर के डीएम के विजयेन्द्र पाण्डियन का कहना है कि गोरखपुर में तीन लाख से अधिक लोगों ने एप को डाउनलोड किया है, पर स्व-परीक्षण सिर्फ 11000 लोगों ने किया। सभी लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि सभी के मोबाइल में ये ऐप डाउनलोड हो जाए, जिससे आने वाले दिनों में लोगों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा और ये बीमारी बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि ये ऐप फोन में डाउनलोड करने के बाद जब व्यक्ति अपना स्व-परीक्षण कर लेगा और फिर इसके बाद सिर्फ उसे अपना ब्लूटूथ ऑन रखना होगा। आगे का काम ये ऐप अपने आप करेगा। दरअसल ये एप जितने भी व्यक्ति के मोबाइल में है और उसका ब्लूटूथ ऑऩ है तो व्यक्ति सीधे ऐप के मेन सर्वर और गोरखपुर में कंट्रोल रूम सर्वर से जुड़ गया है। फिर उसके प्रत्येक मूवमेन्ट पर सरकार की नजर रहती है।
ऐप इस तरह कर रहा काम
इसको अगर और भी आसान भाषा में समझें तो जैसे- A नामक व्यक्ति की अगर जांच में कोरोना की पुष्टि होती है तो सरकार को ये पता चल जायेगा कि वो पिछले 14 दिनों में कितने लोगों से मिला और कहां पर कितनी देर तक रुका था? इसके बाद सरकार को उन लोगों को ट्रैक करने में आसानी होगी, जिससे ये वायरस तेजी से नहीं फैल पायेगा।
45 दिन तक डेटा सुरक्षित
ऐप के मेन सर्वर में ग्रीनजोन का डेटा 30 दिन तक सुरक्षित रहता है। वहीं जिन जिलों में कोरोना के मरीज हैं और रेड जोन है वहां का डेटा 45 दिन तक मेन सर्वर पर रहता है। साथ ही जिन व्यक्तियों की कोरोना की जांच हो चुकी है उन लोगों को भी ट्रैक किया जा रहा है, जो व्यक्ति कहीं बाहर से आया है, उसको भी ट्रैक करने में आसानी हो रही है क्योंकि जिले के कंट्रोल रूम के स्क्रीन पर डाट सामने रहता है।
ऐप में सर्वे जरूर भरें: डीएम
गोरखपुर के डीएम के विजयेन्द्र पाण्डियन का कहना है कि गोरखपुर में तीन लाख से अधिक लोगों ने एप को डाउनलोड किया है, पर स्व-परीक्षण सिर्फ 11000 लोगों ने किया। सभी लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि सभी के मोबाइल में ये ऐप डाउनलोड हो जाए, जिससे आने वाले दिनों में लोगों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा और ये बीमारी बढ़ने से रोकने में मदद मिलेगी।