देहरादून / 7 पर्वतारोहियों के शव 18,900 फीट की ऊंचाई से 17 हजार फीट की ऊंचाई पर लाए आईटीबीपी के जवान

Dainik Bhaskar : Jul 02, 2019, 11:47 PM
आईटीबीपी के जवानों के अभियान को ऑपरेशन डेयरडेविल नाम दिया गया, बेस कैंप 3 से बेस कैंप 2 तक लाए गए शव

पर्वतारोहियों के एक दल ने 13 मई को नंदा देवी की चोटी की चढ़ाई शुरू की थी, 26 मई तक इन्हें वापस आना था

पर्वतारोहियों में 4 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी, 1-1 ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय शामिल थे

देहरादून। आईटीबीपी के जवान उत्तराखंड की नंदादेवी चोटी पर अब तक के सबसे कठिन अभियान को अंजाम दे रहे हैं। इस चोटी पर हिमस्खलन में मारे गए 7 पर्वतारोहियों के शवों को जवान 18900 फीट (बेस कैंप 3) की ऊंचाई से 17 हजार फीट (बेस कैंप 2) की ऊंचाई तक ले आए हैं। अब जवानों का लक्ष्य इसे बेस कैंप 1 तक लाना है। यह 15,250 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

पिथौरागढ़ डीएम वीके जोगडांडे ने कहा- अगर मौसम सही रहता है तो पर्वतारोहियों के शव एक से दो दिन के बीच जिला मुख्यालय तक पहुंच जाएंगे। आईटीबीपी के जवान इन शवों को ऐसी ऊंचाई तक ला रहे हैं, जहां से इन्हें जिला मुख्यालय तक एयरलिफ्ट कर लाया जा सके। ये शव करीब 21 हजार फीट की ऊंचाई पर मिले थे।

आईटीबीपी की 10 सदस्यीय टीम ने बर्फ से 8 में से 7 पर्वतारोहियों के शवों को निकाला था। लापता पर्वतारोहियों में 2 ब्रिटिश, 2 अमेरिकी और एक-एक ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय पर्वतारोही शामिल थे। 

सूचना ना मिलने पर शुरू की गई थी खोजबीन

12 सदस्यीय दल में से 8 सदस्यों ने 13 मई को नंदा देवी की चोटी की चढ़ाई शुरू की थी और इन्हें 26 मई तक वापस आना था। लेकिन, 31 मई तक जब इनकी कोई सूचना नहीं मिली तो खोजबीन शुरू की गई। 2 जून को इस दल में शामिल 4 ब्रिटिश पर्वतारोहियों को बचाया गया था। इनमें से एक मार्क थॉमस भी शामिल थे। वे रेस्क्यू टीम को हेलिकॉप्टर के जरिए उस स्थान तक ले गए थे, जहां पर्वतारोहियों ने कैंप लगाया था।

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