राजस्थान / राजस्थान में डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों के लिए बन सकता है कानून

Zoom News : Aug 15, 2019, 08:28 AM

जयपुर,  14 अगस्त। चिकित्सा एवं जनसम्पर्क मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि डिस्लेक्सिया एक गंभीर बीमारी है। इसके उपचार के लिए चिकित्सकीय सुविधाओं की बढ़ोतरी के साथ ही जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक है। राज्य सरकार डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों को शिक्षा व परीक्षा में राहत प्रदान करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। सरकार ने हृदय रोग पीड़ितों के लिए दिल विदाउट बिल योजना में निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की है। राज्य में राइट टू हैल्थ कानून लागू होगा। 

डॉ. रघु शर्मा ने बुधवार को अजमेर के सूचना केन्द्र में गौड़ मेन्टल हैल्थ क्लिीनिक द्वारा आयोजित कार्यशाला में भाग लिया। उन्होंने कहा कि डिस्लेक्सिया एक बेहद गंभीर व जटिल बीमारी है। देखने, लिखने, पढ़ने एवं व्यवहार में कमी से संबंधित यह बीमारी आसानी से पकड़ में नहीं आती है । इसके लिए बड़े पैमाने पर अभिभावकों, शिक्षकों विद्यार्थियों एवं चिकित्सकाें सहित आमजन में जागरूकता जरूरी है। राज्य सरकार इस दिशा में शीघ्र कार्यवाही शुरू करेगी। इसके साथ ही समाज को भी डिस्लेक्सिया से इस लड़ाई में सरकार का साथ देना होगा। 

उन्होंने कहा कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को शिक्षा एवं परीक्षा में राहत प्रदान करने के लिए कानून बनाने पर विचार किया जा रहा है। इस बीमारी से पीड़ितों को राहत दिलाने के लिए पूरी गंभीरता के साथ काम किया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि डिस्लेक्सिया से पीड़ित रहे कई बड़े कलाकार, खिलाड़ी, विद्वान, फिल्म स्टार एवं राजनेता ने सिर्फ इस बीमारी से उभरे बल्कि उन्होंने समाज में सफलता के नये पैमाने भी स्थापित किए। 

चिकित्सा मंत्री ने कहा कि राजस्थान में राइट टू हैल्थ कानून लागू किया जाएगा।  राज्य  सरकार ने हाल ही में गुजरात के साईं ट्रस्ट से एमओयू किया है। हृदय रोग पीड़ितों को गुजरात जाने-आने, ठहरने और बड़े अस्पतालों में निशुल्क चिकित्सा की व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने इस मुहिम को दिल विदाउट बिल नाम दिया है। इससे रोगियों को बेहद राहत मिलेगी। राज्य के सभी स्तर के अस्पतालों में गंभीर एवं मौसमी बीमारियों की जांच, सैम्पल कलेक्शन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने कहा कि गंभीर बीमारियों की जड़ मिलावटी खानपान है। आज सब्जियों, अनाज और दूध आदि को भी कृत्रिम तरीकों से बनाया जा रहा है। राज्य सरकार मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कानून बनाने जा रही है। हम मिलावटखोरी की जड़ पर प्रहार करेंगे ताकि समाज को इस अभिशाप से मुक्ति मिल सके। 

कार्यक्रम में विख्यात चिकित्सक एवं गौतम इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेविरियल सांइस एण्ड अल्टरनेटिव मेडिसिन के निदेशक डॉ. शिव गौतम ने बच्चों में मोबाइल की बढ़ती लत से होने वाले खतरों के प्रति चेताया। उन्होंने कहा कि बच्चों को मोबाइल की लत उतनी ही खतरनाक है, जितनी अफीम या शराब की लत नशेड़ी के लिए होती है। उन्होंने डिस्लेक्सिया पीड़ित बच्चों के लिए कानून एवं शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की पैरवी की । डॉ. गौतम ने कहा कि सरकार भगवान विष्णु के स्वरूप है और शिक्षा, चिकित्सा, समाज कल्याण और पुलिस उनके चार हाथों की तरह होती है। इन सभी को आपसी समन्वय से काम करना चाहिए। जिला कलक्टर श्री विश्व मोहन शर्मा एवं मण्डल वन अधिकारी सुदीप कौर ने भी इस विषय पर प्रकाश डाला। 

गौड़ मेंटल हैल्थ क्लीनिक के निदेशक डॉ. नवेन्दु गौड़ ने कहा कि डिस्लेक्सिया के प्रति जागरूकता के साथ ही इससे पीड़ित बच्चों को प्रेम से उपचार किए जाने की आवश्यकता है। डॉ. मनीषा गौड़ ने इस बीमारी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसके लक्षणों व उपचार की विधियों के  बारे में बताया। 

कार्यक्रम में सोफिया कॉलेज की छात्राओं ने एक डांस नाटिका के जरिए डिस्लेक्सिया को परिभाषित किया । इस अवसर पर दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंधु चौधरी, श्रीमती प्रतिभा चौधरी, पुलिस अधीक्षक कुंवर राष्ट्रदीप सहित जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या आमजन उपस्थित थे। 

फोल्डर का विमोचन एवं प्रदर्शनी उद्घाटन

चिकित्सा एवं जनसम्पर्क मंत्री ने इस मौके पर डिस्लेक्सिया के बारे में सामान्य जानकारी  संबंधी फोल्डर का विमोचन भी किया। इस अवसर आयोजित प्रदर्शनी का भी चिकित्सा मंत्री ने फीता काटकर उद्घाटन किया। 

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