Coronavirus / मलेरिया की दवा पर WHO की रोक के बाद ब्रिटेन ने रेमडेसिवीर के ट्रायल को दी मंजूरी

News18 : May 27, 2020, 08:48 AM
लंदन। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) के कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के इलाज में इस्तेमाल पर रोक लगाने के बाद अब ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा NHS ने रेमडेसिवीर (Drug Remdesivir) के क्लिनिकल ट्रायल को मजूरी दे दी है। ब्रिटेन के मुताबिक फिलहाल कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए रेमडेसिवीर दवा इस्तेमाल की जा रही है। बता दें कि कोरोना वायरस के मरीज़ों के इलाज के लिए कई देशों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का भी क्लिनिकल ट्रायल चल रहा था, लेकिन WHO ने मंगलवार को इसे अस्थायी तौर पर रोकने का फ़ैसला लिया था।

ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा है कि ब्रिटेन कोविड-19 के मरीज़ों के लिए रेमडेसिवीर दवा का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने वाला है। ब्रिटेन की एजेंसियों का मानना है कि इस दवा के इस्तेमाल और फायदे को लेकर पर्याप्त सबूत हैं और कुछ गिने-चुने कोविड-19 अस्पतालों में इसके इस्तेमाल की इजाज़त दी गयी है। हालांकि अभी इस दवा की सप्लाई बड़ा मुद्दा है और इसकी उपलब्धता काफी कम है। हैनकॉक के मुताबिक फिलहाल यह केवल उन लोगों की ही दी जाएगी जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।


अमेरिका-जापान में चल रहा ट्रायल

बता दें कि अमेरिका और जापान में भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि कोविड-19 के मरीज़ों के लिए रेमडेसिवीर कोई मुकम्मल इलाज नहीं है। ये दवा दिर्फ़ कोरोना के बेहद गंभीर मरीजों पर ही असर कर रही है। गौरतलब है कि रेमडेसिवीर को मूल रूप से अमरीका की कंपनी गिलीड साइंसेज़ ने विकसित किया था और इस दवा को इबोला के उपचार के लिए बनाया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉक्टर ब्रुस आइलवर्ड ने भी कुछ वक्त पहले कहा था कि चीन के दौरे बाद उन्होंने पाया कि रेमडेसिवीर एकमात्र ऐसी दवा है जो कोरोना के मामलों में असरदार नज़र आती है। रेमडेसिवियर दवा मानव शरीर में मौजूद उस एक एंज़ाइम पर हमला करती है जिसकी मदद से कोई वायरस शरीर में दाखिल होने के बाद ख़ुद को बढ़ाता है। हालांकि इस दवा से कितने लोगों की जान बची है इसका कोई प्रमाणित डेटा मौजूद नहीं है।

HCQ का ट्रायल रुका

संगठन के निदेशक डॉ। टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रियेसुस ने सोमवार को कहा था कि कोरोना के मरीजों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दवा के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई जा रही है। इसके सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड अध्ययन करेगा। साथ ही इस दवा से जुड़े दुनिया भर में हो रहे प्रयोगों का भी व्यापक विश्लेषण किया जाएगा। हाल में साइंस जर्नल 'लैंसेट' में छपी एक स्टडी में कहा गया था कि कोरोना संक्रमितों के इलाज में जहां हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दवा दी जा रही है, वहां मौत का ख़तरा ज़्यादा है।


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