देश / कोरोना के लिए अमेरिका को भारत की नहीं जापान की भी ये दवा आ रही है पसंद

News18 : Apr 13, 2020, 03:44 PM
नई दिल्ली: कोरोना वायरस  (Corona viurs) के इलाज को लेकर दुनिया भर में हर तरह का शोध तेजी से चल रहा है। इसके इलाज को लेकर तरह-तरह की दवाओं का ट्रायल दुनिया के विभिन्न देशों में चल रहे हैं। इसमें मलेरिया की दवाएं तक पर प्रयोग किए जा रहे हैं। अमेरिका ने भारत हाइड्रोऑक्सोक्लोरोक्वीन  (HCQ) दवा मंगाई है। इसके अलावा अब अमेरिका में एक जापानी दवा पर भी ट्रायल शुरू हो गया है। अमेरिका इस दवा को जापान से मंगाने की तैयारी भी कर रहा है।

अमेरिका में शुरू हुआ इस दवा का ट्रायल

जापान की फूजीफिल्म कंपनी द्वारा निर्मित एक एंटी वायरल दवा का जापान और चीन में पहले से ही ट्रायल चल रहा है। द वीक के मुताबिक अब इस मैसाचुसेट्स में इस दवा का कोरोना वायरस के मरीजों पर अमेरिका में पहला ट्रायल शुरू हो रहा है। इसकी घोषणा खुद कंपनी ने की है। मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी और ब्रिघम एंड वुमन हॉस्पिटल और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के 50 मरीजों पर इस दवा का परीक्षण किया जाएगा।

जापान में हो रहा है इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन

पिछले महिने ही जापान में इस दवा का ट्रायल शुरू किया गया था। वहां वह इस दवा के ट्रायल के तीसरे दौर में पहुंच गया था।  इस दवा को चीन में भी जांचा जा रहा है ।पिछले सप्ताह की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल जापान में लगभग 70 हजार लोगों के इलाज के लिए दवा उपलब्ध है और वह अपने उत्पादन को तीन गुना बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है।

जापानी बाजार में उपलब्ध नहीं है यह दवा

फिलहाल यह दवा बाजार में उपलब्ध नहीं हैं इस जापानी  सरकार ही वितरित कर रही है। इसे वहां के स्वायस्थ कामगार और जनकल्णाय मंत्रालय की मदद से उपलब्ध कराया जा रहा है। कंपनी के मुताबिक यह जापान के अस्पतालों  और दवा दुकानों पर उपलब्ध नहीं हैं।

क्या करती है यह दवा

इस दवा का नाम आवीगान (Avigan) बताया गया है। यह फेवीपिराविर (Favipiravir)  नाम से भी जानी जाती है। यह जापान में इंफ्लूएंजा के लिए दी जाती है और साल 2014 से वहां प्रचलन में है। यह दवा वायरस के प्रतिकृतियां बनने की प्रकिया को रोकती है। यह खासतौर पर RNA पॉलीमरेज को चुनकर रोकती है जो वायरस  की प्रतिकृति प्रक्रिया में अहम भूमिका अदा करता है।

क्यों कोरोना वायरस पर प्रभावी मानी जा रही है यह दवा

आवीगान बनाने वाली कंपनी का कहना है कि वायरस की प्रतिकृति (Replication of Virus) बनने की प्रक्रिया को रोकने की  क्षमता के कारण इस दवा का सार्स कोव-2 (SARS CoV-2)  पर एंटी वायरल असर होता है। क्योंकि इंफ्लयूएंजा वायरस की तरह कोरोन वायरस भी एक  तंतु (Strand)  वाले RNA वायरस हैं। जो RNA पॉलीमरेज पर निर्भर हैं।

बहुत सी दवाओं पर चल रहे हैं शोध

ऐसा नहीं है कि अमेरिका को इस दवा से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं। इस समय अभी किसी दवा के अंतिम व निर्णायक नतीजों में आने में समय लग रहा है। ऐसे में अमेरिका कोई कसर छोड़ना नहीं चाहता। वहां दर्जनों दवाओं पर शोध चल रहा है। भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा आने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

आसान नहीं है ट्रायल की प्रक्रिया

 कुछ दवा के बारे में कहा जा रहा है कि वे सितंबर तक ही उपलब्ध हो सकती हैं।  एक दवा को जब ट्रायल केतौर पर शुरू करने से लेकर उसकी पुष्टि कर बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराना आसान प्रक्रिया नहीं हैं। पहले दवाओं को चुनिंदा मरीजों पर आजमाया जाता है। उसके बाद उसका उन मरीजों पर असर देखा जाता है जिसमें कम से कम पांच दिन का समय लगता है।

ट्रायल के बाद भी समय क्यों लगता है

शुरुआती नतीजे अच्छे आने पर ट्रायल का दायरा बढ़ाया जाता है और वहीं उन मरीजों की जांच भी जारी रहती है। अन्य ट्रायल के नतीजे देखे जाते हैं। आमतौर पर नतीजे सीधे  और स्पष्ट नहीं आते। मिले जुले आते हैं। इसके बाद फैसला करना होता है कि इस कारगर दवा माना जाए या नहीं। फिर उसके बड़े पैमाने पर उत्पादन कीअनुमति दी जाती है।

कहा जा रहा है अमेरिका इस आवीगान दवा को बड़े पैमाने पर मंगाने की तैयारी कर रहा है। इस सिलसिले में अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रम्प और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे में बात भी हो चुकी है। लेकिन इस मामले में औपचारिक रूप से अभी तक कुछ सामने नहीं आया है।

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