AajTak : Apr 25, 2020, 03:49 PM
अमेरिका के डॉक्टर्स ने चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस की वजह से 30 से 49 साल के कई लोगों की अचानक मौतें हो रही हैं। इनमें कई लोग ऐसे होते हैं जो बिल्कुल भी बीमार नहीं दिखते और उनमें कोई लक्षण नहीं होता। लेकिन अचानक आए स्ट्रोक्स की वजह से लोगों की मौतें हो रही हैं। न्यूयॉर्क में कई लोगों की मौतें उनके घर में ही हो गईं।
washingtonpost।com की रिपोर्ट के मुताबिक, मैनहटन के MSBI हॉस्पिटल के डॉक्टर थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उनके एक मरीज ने कोई दवा नहीं ली थी, पहले से कोई दिक्कत नहीं थी। बाकी लोगों की तरह वह मरीज लॉकडाउन में घर में था। अचानक उसे बात करने में दिक्कत महसूस हुई।जांच में पता चला कि वे स्ट्रोक्स के शिकार हुए हैं और उनके सिर में काफी बड़ा ब्लॉकेज हो गया है। जांच में वे कोरोना से भी संक्रमित पाए गए। मरीज की उम्र सिर्फ 44 साल थी। हालांकि, इस तरह के गंभीर स्ट्रोक्स के शिकार होने वाले लोगों की औसत उम्र अब तक 74 साल रही है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कम उम्र के लोगों की जान स्ट्रोक्स की वजह से जा रही है।न्यूरोलॉजिस्ट थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उन्होंने मरीज के सिर से क्लॉट हटाने की प्रक्रिया शुरू की तो उन्होंने मॉनिटर पर देखा कि उसके सिर में उसी वक्त नए क्लॉट बनते जा रहे हैं।
अमेरिका में कई हॉस्पिटल में स्ट्रोक्स के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जांच में स्ट्रोक्स के शिकार हुए कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। कई मरीजों में पहले से संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा।
पहले समझा जाता था कि कोरोना की वजह से आमतौर पर शरीर के फेफड़े प्रभावित होते हैं। लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने और कई स्टडी से यह पता चला है कि कोरोना शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है। कोरोना की वजह से शरीर में कई ऐसी बीमारियां हो रही हैं जिसे समझने में डॉक्टरों को भी मुश्किल आ रही है। अब तक कोरोना और स्ट्रोक्स को लेकर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। लेकिन अब अमेरिका के तीन बड़े मेडिकल सेंटर कोरोना मरीजों में स्ट्रोक्स के मामलों से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित करने जा रहे हैं। कुल मरीजों में स्ट्रोक्स के शिकार लोगों की संख्या कम है, लेकिन वायरस शरीर पर क्या प्रभाव डालता है, इसको लेकर यह महत्वपूर्ण है।स्ट्रोक्स के दौरान अचानक खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है। डॉक्टरों के लिए यह पहले से एक जटिल समस्या रही है। यह हार्ट की दिक्कत, कोलेस्ट्रॉल, ड्रग लेने वगैरह से हो सकता है। मिनी स्ट्रोक आमतौर पर खुद ठीक हो जाते हैं। बड़े स्ट्रोक्स घातक हो सकते हैं और कोरोना वायरस की वजह से मरीजों को गंभीर स्ट्रोक्स का सामना करना पड़ रहा है।
washingtonpost।com की रिपोर्ट के मुताबिक, मैनहटन के MSBI हॉस्पिटल के डॉक्टर थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उनके एक मरीज ने कोई दवा नहीं ली थी, पहले से कोई दिक्कत नहीं थी। बाकी लोगों की तरह वह मरीज लॉकडाउन में घर में था। अचानक उसे बात करने में दिक्कत महसूस हुई।जांच में पता चला कि वे स्ट्रोक्स के शिकार हुए हैं और उनके सिर में काफी बड़ा ब्लॉकेज हो गया है। जांच में वे कोरोना से भी संक्रमित पाए गए। मरीज की उम्र सिर्फ 44 साल थी। हालांकि, इस तरह के गंभीर स्ट्रोक्स के शिकार होने वाले लोगों की औसत उम्र अब तक 74 साल रही है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कम उम्र के लोगों की जान स्ट्रोक्स की वजह से जा रही है।न्यूरोलॉजिस्ट थॉमस ऑक्सली ने बताया कि उन्होंने मरीज के सिर से क्लॉट हटाने की प्रक्रिया शुरू की तो उन्होंने मॉनिटर पर देखा कि उसके सिर में उसी वक्त नए क्लॉट बनते जा रहे हैं।
अमेरिका में कई हॉस्पिटल में स्ट्रोक्स के शिकार मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जांच में स्ट्रोक्स के शिकार हुए कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। कई मरीजों में पहले से संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखा।
पहले समझा जाता था कि कोरोना की वजह से आमतौर पर शरीर के फेफड़े प्रभावित होते हैं। लेकिन मरीजों की संख्या बढ़ने और कई स्टडी से यह पता चला है कि कोरोना शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है। कोरोना की वजह से शरीर में कई ऐसी बीमारियां हो रही हैं जिसे समझने में डॉक्टरों को भी मुश्किल आ रही है। अब तक कोरोना और स्ट्रोक्स को लेकर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। लेकिन अब अमेरिका के तीन बड़े मेडिकल सेंटर कोरोना मरीजों में स्ट्रोक्स के मामलों से जुड़ा आंकड़ा प्रकाशित करने जा रहे हैं। कुल मरीजों में स्ट्रोक्स के शिकार लोगों की संख्या कम है, लेकिन वायरस शरीर पर क्या प्रभाव डालता है, इसको लेकर यह महत्वपूर्ण है।स्ट्रोक्स के दौरान अचानक खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है। डॉक्टरों के लिए यह पहले से एक जटिल समस्या रही है। यह हार्ट की दिक्कत, कोलेस्ट्रॉल, ड्रग लेने वगैरह से हो सकता है। मिनी स्ट्रोक आमतौर पर खुद ठीक हो जाते हैं। बड़े स्ट्रोक्स घातक हो सकते हैं और कोरोना वायरस की वजह से मरीजों को गंभीर स्ट्रोक्स का सामना करना पड़ रहा है।