News18 : Jul 02, 2020, 12:49 PM
वॉशिंगटन। चीन से फैला कोरोना वायरस (Coronavirus) भारत समेत दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। दुनियाभर में अब तक एक करोड़ से ज्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। 5 लाख से ज्यादा की जान भी जा चुकी है। अभी तक कोरोना वायरस की न तो कोई वैक्सीन बन पाई है और न ही कोई दवा आई है। हालांकि, कई देशों के वैज्ञानिक इस काम में जुटे हुए हैं। इस बीच एक राहत वाली खबर मिल रही है। अमेरिका की बायोटेक फर्म इनोवियो (Inovio) ने कहा है कि कोरोना वायरस वैक्सीन की टेस्टिंग के दौरान उत्साहजनकर रिजल्ट मिले हैं। फर्म ने दावा किया कि INO-4800 नाम की वैक्सीन 40 लोगों पर किए गए ट्रायल के दौरान 94 फीसदी सफल रही है।
Inovio के मुताबिक, ये वो लोग थे जिनका पहले चरण का क्लिनिल ट्रायल पूरा हो चुका था। मतलब इन्हें चार सप्ताह में दो इंजेक्शन दिए गए थे। इनोवियो के इस टीके को INO-4800 कहा जाता है, इसे एक व्यक्ति के डीएनए को इंजेक्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ एक विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया (specific immune system response) निर्धारित की जा सके।इनोवियो के सीईओ जोसेफ किम ने कहा कि इनोवियो की दवा एकमात्र डीएनए वैक्सीन है, जो कमरे के तापमान पर एक साल से अधिक समय तक स्थिर रहती है। इसे कई वर्षों तक ट्रांसपोर्टेश और स्टोरेज लिए रेफ्रिजिरेशन की जरूरत नहीं होती है।
वैक्सीन से बढ़ी इम्यूनिटीटेस्टिंग में एक और बात सामने आई है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि INO-4800 वैक्सीन ने सभी लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी उनकी इम्यूनिटी बढ़ी है। बायोटेक फर्म के अनुसार, इस दौरान वैक्सीन का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला।इनोवियो ने एक बयान में कहा, '10 जनवरी को चीन के रिसर्चर्स ने कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड जारी किया। हमारी टीम ने उस सीक्वेंस को सॉफ्टवेयर के जरिए कोड किया और फॉर्मूला तैयार कर लिया। यह डीएनए वैक्सीन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर वैसे ही प्रोटीन का निर्माण कर वायरस को गुमराह करेगी। ऐसे में जैसे ही वायरस उस प्रोटीन के पास आएगा, तो वैक्सीन के प्रभाव से खत्म हो जाएगा।'फर्म ने कहा कि वैक्सीन को सुई के साथ त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, फिर एक उपकरण के साथ सक्रिय किया जाता है जो टूथब्रश जैसा दिखता है। ये एक सेकंड के एक अंश के लिए एक विद्युत आवेग बचाता है, जिससे डीएनए को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने और अपने मिशन को पूरा करने की अनुमति मिलती है।
Inovio के मुताबिक, ये वो लोग थे जिनका पहले चरण का क्लिनिल ट्रायल पूरा हो चुका था। मतलब इन्हें चार सप्ताह में दो इंजेक्शन दिए गए थे। इनोवियो के इस टीके को INO-4800 कहा जाता है, इसे एक व्यक्ति के डीएनए को इंजेक्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, ताकि SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ एक विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया (specific immune system response) निर्धारित की जा सके।इनोवियो के सीईओ जोसेफ किम ने कहा कि इनोवियो की दवा एकमात्र डीएनए वैक्सीन है, जो कमरे के तापमान पर एक साल से अधिक समय तक स्थिर रहती है। इसे कई वर्षों तक ट्रांसपोर्टेश और स्टोरेज लिए रेफ्रिजिरेशन की जरूरत नहीं होती है।
वैक्सीन से बढ़ी इम्यूनिटीटेस्टिंग में एक और बात सामने आई है। वैज्ञानिकों को पता चला है कि INO-4800 वैक्सीन ने सभी लोगों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी उनकी इम्यूनिटी बढ़ी है। बायोटेक फर्म के अनुसार, इस दौरान वैक्सीन का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला।इनोवियो ने एक बयान में कहा, '10 जनवरी को चीन के रिसर्चर्स ने कोरोना वायरस का जेनेटिक कोड जारी किया। हमारी टीम ने उस सीक्वेंस को सॉफ्टवेयर के जरिए कोड किया और फॉर्मूला तैयार कर लिया। यह डीएनए वैक्सीन कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानकर वैसे ही प्रोटीन का निर्माण कर वायरस को गुमराह करेगी। ऐसे में जैसे ही वायरस उस प्रोटीन के पास आएगा, तो वैक्सीन के प्रभाव से खत्म हो जाएगा।'फर्म ने कहा कि वैक्सीन को सुई के साथ त्वचा के नीचे इंजेक्ट किया जाता है, फिर एक उपकरण के साथ सक्रिय किया जाता है जो टूथब्रश जैसा दिखता है। ये एक सेकंड के एक अंश के लिए एक विद्युत आवेग बचाता है, जिससे डीएनए को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने और अपने मिशन को पूरा करने की अनुमति मिलती है।