दुनिया / 48 घंटे बाद बदल जाएगा अमेरिका का इतिहास, फिर शुरू होगा मानव मिशन

AajTak : May 25, 2020, 10:13 AM
अमेरिका: 48 घंटे बाद अमेरिका के विज्ञान का इतिहास बदलने वाला है। वह अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में नया कदम रखने वाला है। इस मौके के गवाह खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया भर की वैज्ञानिक बिरादरी के लोग बनेंगे। अंतरिक्ष में मानव मिशन को लेकर 48 घंटे बाद होने वाली घटना मील का पत्थर साबित हो सकती है। आइए जानते हैं इसके बारे में।

21 जुलाई 2011 के बाद अब पहली बार अमेरिकी धरती से कोई मानव मिशन अंतरिक्ष में जाएगा। वह भी अमेरिकी रॉकेट से। यानी 9 साल बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी रॉकेट में बिठाकर अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) तक भेजेगी। नासा ने इसकी तारीख तय कर ली है। 

27 मई 2020 को शाम 4:33 बजे नासा दो अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स को अमेरिकी धरती से अमेरिकी रॉकेट में बिठाकर ISS पर भेजेगी। जो अमेरिकी एस्ट्रोनॉट्स इस मिशन में स्पेस स्टेशन जाने वाले हैं, उनका नाम है- रॉबर्ट बेनकेन और डगलस हर्ले। 

इन दोनों एस्ट्रोनॉट्स को अमेरिकी कंपनी स्पेस-एक्स के स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन (Space X Drgaon) से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजा जाएगा। स्पेस-एक्स अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी है। यह नासा के साथ मिलकर भविष्य के लिए कई अंतरिक्ष मिशन पर काम कर रही है।

स्पेस-एक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट को अमेरिका के सबसे भरोसेमंद रॉकेट फॉल्कन-9 के ऊपर लगाया जाएगा। इसके बाद फॉल्कन-9 रॉकेट को फ्लोरिडा के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन को डेमो-2 मिशन नाम दिया गया है। डेमो-1 मिशन में ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से स्पेस स्टेशन पर सफलतापूर्वक सामान पहुंचाया गया था। 

इस मिशन में रॉबर्ट बेनकेन स्पेसक्राफ्ट की डॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से जुड़ाव, अनडॉकिंग यानी स्पेस स्टेशन से अलग होना और उसके रास्ते का निर्धारण करेंगे। बेनकेन इससे पहले दो बार स्पेस स्टेशन जा चुके हैं। एक 2008 में और दूसरा 2010 में। उन्होंने तीन बार स्पेसवॉक किया है।

वहीं, डगलस हर्ले ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के कमांडर होंगे। ये लॉन्च, लैंडिंग और रिकवरी के लिए जिम्मेदार होंगे। डगलस 2009 और 2011 में स्पेस स्टेशन जा चुके हैं। पेशे से सिविल इंजीनियर थे। बाद में 2000 में नासा से जुड़े थे। इसके पहले यूएस मरीन कॉर्प्स में फाइटर पायलट थे। 

मई में लॉन्च होने वाले मिशन के बाद ये दोनों एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन पर 110 दिन तक रहेंगे। आपको बता दें कि स्पेस-एक्स ड्रैगन कैप्सूल एक बार में 210 दिनों तक अंतरिक्ष में समय बिता सकता है। उसके बाद उसे रिपेयरिंग के लिए धरती पर वापस आना होगा।

आपको बता दें कि 9 साल बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपनी कॉमर्शियल क्रू प्रोग्राम फिर से शुरू कर रही है। इस मिशन की सफलता के बाद अमेरिका को अपने एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजने के लिए रूस और यूरोपीय देशों के सहारा नहीं लेना पड़ेगा।

27 जुलाई 2011 को नासा ने अपना सबसे सफल स्पेस शटल प्रोग्राम बंद कर दिया था। इसी दिन स्पेस शटल एटलांटिस धरती पर लौटा था। स्पेस शटल प्रोग्राम के जरिए स्पेस स्टेशन के लिए 135 उड़ानें भरी गई थीं। 30 साल चले इस प्रोग्राम में 300 से ज्यादा एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष में भेजा गया था। 

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