नई दिल्ली / यूएपीए बिल दिग्विजय बोले- मुझे ही आतंकी घोषित कर दो, शाह का जवाब- कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा

Dainik Bhaskar : Aug 02, 2019, 04:23 PM
नई दिल्ली. आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए मोदी सरकार संशोधित यूएपीए बिल लेकर आई है। शुक्रवार को यह विधेयक राज्यसभा में भी पास हो गया। चर्चा के दौरान कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विधेयक में संशोधन का विरोध किया। दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर आतंकवाद से समझौता करने का आरोप लगाया। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा, ''दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो। आपका गुस्सा जायज है, वे क्योंकि अभी-अभी चुनाव हारे हैं। लेकिन मैं भरोसा दिलाता हूं कि आप कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा।''

संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है। दिग्विजय ने कहा कि हमें भाजपा की मंशा पर संदेह है। कांग्रेस ने कभी आतंकवाद से समझौता नहीं किया, इसीलिए यह कानून लेकर आए थे। आतंकवाद से समझौता करने वाले आप लोग हैं। भाजपा सरकार ने ही पहले रुबैया सईद और फिर मसूद अजहर को छोड़ा था।

कानून का दुरुपयोग के आरोप लगाने से पहले अपना इतिहास देखिए

गृह मंत्री ने कहा, ''इमरजेंसी के दौरान क्या हुआ था? मीडिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया और विपक्ष के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। 19 महीने तक देश में लोकतंत्र को खत्म कर दिया गया और अब आप (कांग्रेस) हम पर कानून के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। कृपया अपना इतिहास भी देख लीजिए। जब हम विपक्ष में थे तो 2004, 2008 और 2013 में हमने यूपीए सरकार के यूएपीए बिल को समर्थन दिया था। क्योंकि हमें लगता था कि आतंकवाद से लड़ने के लिए यह जरूरी था।''

हम सिर्फ व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के विरोध में: कांग्रेस

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, ''अगर विधेयक के संशोधन को देखें तो लगता है कि यह एनआईए को ताकतवर बनाएगा। लेकिन इसमें किसी व्यक्ति का नाम आतंकी की सूची में हटाने और जोड़ने का प्रावधान है। हम इसी का विरोध कर रहे हैं न कि गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बने कानून का। 2008 में जब मैंने गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो आतंकवाद का सामना करने के लिए तीन स्तंभ- एनआईए, नेटग्रिड और एनसीटीसी बनाए थे। आज हमारे पास सिर्फ एक स्तंभ है। आपने एनआईए को छोड़कर बाकी दो के लिए क्या किया?''

कब तक संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे: गृह मंत्री

अमित शाह ने चिदंबरम को जवाब दिया, ''आपने पूछा कि आतंकी गतिविधियों में लिप्त संगठनों पर प्रतिबंध है तो किसी व्यक्ति को विशेष को आतंकी घोषित करने की क्या जरूरत है। हमने संशोधन में ऐसा प्रावधान रखा है क्योंकि एक संगठन पर रोक लगाई जाती है तो कुछ व्यक्तियों के द्वारा दूसरा खड़ा कर दिया जाता है। कब तक हम संगठनों पर ही रोक लगाते रहेंगे?

एनआईए को पहले से ज्यादा अधिकार, इसलिए विरोध

बिल में नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रावधान यह है कि एनआईए अब आतंकी के समर्थकों को भी आतंकी घोषित कर उनकी संपत्ति जब्त कर सकेगी। यही नहीं, अब आतंकी संगठन के साथ-साथ उस व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकेगा, जो किसी न किसी रूप से आतंक को बढ़ावा दे रहा होगा। उसकी संपत्ति जब्त करने के लिए एनआईए को उससे संबंधित राज्य की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने के 4 आधार होंगे

1. जो व्यक्ति आतंकी घटना को अंजाम देगा या इसमें सहयोग देगा।

2. जो व्यक्ति किसी आतंकी घटना की तैयारी कर रहा होगा।

3. जो देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले कृत्य करेगा।

4. जो व्यक्ति किसी भी तरह से आतंकवाद से जुड़ा हुआ पाया जाएगा।

विपक्ष ने लोकसभा में चर्चा के दौरान वॉकआउट किया था

लोकसभा में 24 जुलाई को बिल पर बहस के दौरान विपक्ष ने इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजनी की मांग करते हुए वॉकआउट किया था। चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है। कौन-सी पार्टी सत्ता में हैं और बिल कौन लेकर आया, उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आतंकवाद के खात्मे के लिए कड़े कानून की जरूरत है। कांग्रेस सरकार बिल लाती है तो सही, लेकिन हम संशोधन कर रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? हम आतंकवाद को खत्म करना चाहते हैं, संशोधित कानून से राज्यों की शक्ति कम नहीं होगी। यह कानून 1967 में कांग्रेस सरकार लेकर आई। इसके बाद आप ही ने इसमें तीन संशोधन किए।

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