Farmers Protest / किसानों के साथ अमित शाह की बातचीत रही बेनतीजा, दोपहर 12 बजे किसान संगठनों की बैठक

Zoom News : Dec 09, 2020, 09:42 AM
Farmers Protest: नए कृष‍ि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध खत्म होता नहीं द‍िख रहा। मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं को शाम को बैठक के लिए बुलाया। रात 11 बजे के बाद तक चली बैठक में भी गतिरोध को लेकर कोई सहमति बनती नहीं द‍िखी। बैठक खत्म होने के बाद अख‍िल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मुल्ला ने कहा कि बुधवार को सरकार और किसानों के बीच कोई बैठक नहीं होने जा रही। उन्होंने बताया कि मंत्री ने कहा है बुधवार को किसान नेताओं को एक प्रस्ताव दिया जाएगा। किसान नेता सरकार के प्रस्ताव पर बैठक करेंगे।' बैठक में मौजूद नेताओं के अनुसार गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग में अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। बैठक में किसानों ने तीनों बिलों को रद्द करवाने की मांग दोहराई जबकि सरकार ने संशोधन करने का प्रस्ताव दोहराया। अब सरकार अपना प्रस्ताव लिखित में किसानों को देगी और बुधवार को किसान संयुक्त किसान मोर्चा में उस प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे।

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने मंगलवार शाम को कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों (Farmers Protest) से भेंट की। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था।

किसान नेता रुद्रप्रताप मनसा ने दिल्‍ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा था, 'कोई बीच का रास्‍ता नहीं है। हम गृह मंत्री के साथ आज की बैठक में हां या नहीं पर बात करेंगे।' एक अन्य नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि ‘भारत बंद' सफल रहा और केंद्र सरकार को अब पता है कि उसके पास कोई रास्ता नहीं है। स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि 25 राज्यों में करीब 10,000 जगहों पर बंद आहूत किया गया। किसान नेताओं ने कहा कि प्रदर्शनकारी बुराड़ी के मैदान नहीं जाएंगे क्योंकि यह एक ‘खुली जेल' है। उन्होंने रामलीला मैदान में प्रदर्शन की अनुमति देने की मांग की। किसान नेताओं ने कहा कि वे दिल्ली और हरियाणा की जनता को परेशान नहीं करना चाहते।

मंगलवार की सुबह में अमित शाह की तरफ से भेजा गया प्रस्ताव भारत बंद के बीच आया, जब किसानों ने बंद के आह्वान के बीच ट्रैफिक, दुकानें, कई सेवाओं वगैरह को ठप कर दिया।  शाह ने सिंघू, टिकरी और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान नेताओं को बैठक में बुलाया ।बता दें कि इसके पहले हुई कई राउंड की बातचीत असफल रही है। शनिवार को हुई आखिरी मीटिंग सात घंटों तक चली थी, लेकिन फिर भी कोई हल नहीं निकला था। सरकार ने 9 दिसंबर को फिर से मीटिंग बुलाई है। हालांकि, किसानों ने साफ कर दिया है कि सितंबर में लाए गए इस कानून को वापस लिए जाने से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। उनको डर है कि इस कानून से उनकी आय कम हो जाएगी, वहीं वो कॉरपोरेट कंपनियों के मोहताज हो जाएंगे।

किसानों के साथ बातचीत को आगे बढ़ा रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वार्ता के असफल रहने के बाद कहा था कि सरकार में 'अहंकार का भाव नहीं है' लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि वो इन कानूनों को वापिस नहीं लेंगे। किसानों ने इन कानूनों में खामियों को लेकर सरकार को 39 बिंदुओं का प्रेजेंटेशन दिया था। 

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