विशेष / आंवला नवमी पर्व | आज श्री कृष्ण ने किया था कंस का वध, संतान की प्राप्ति व रक्षा के लिए होती है पूजा

Dainik Bhaskar : Nov 05, 2019, 10:16 AM
आंवला नवमी | आंवला नवमी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है, इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी का त्योहार इस साल 5 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति व उसकी रक्षा के लिए पूजा करती हैं। वैसे तो पूरे कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान का माहात्म्य है, परंतु नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्त्व है।

पूजन विधि 

महिलाओं को इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके आंवले के पेड़ के पास जाना चाहिए और उसके आस-पास सफाई करके पेड़ की जड़ में साफ पानी चढ़ाना चाहिए। 

इसके बाद पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना चाहिए। चढ़ाया हुआ थोड़ा दूध और वो मिट्टी सिर पर लगानी चाहिए।

पूजन सामग्रियों से पेड़ की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कहीं-कहीं 108 परिक्रमा भी की जाती है। 

पूजन के बाद परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना करके पेड़ के नीचे बैठकर परिवार व मित्रों के साथ भोजन ग्रहण करना चाहिए।

महत्व

आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था। आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी। आंवला नवमी पर बहुत से लोग मथुरा- वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। संतान प्राप्ति के लिए की गई पूजा पर व्रत भी रखा जाता है और इस दिन रात में भगवान विष्णु को याद करते हुए जगराता किया जाता है।

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