Live Hindustan : Sep 12, 2019, 10:21 AM
भाद्रपद मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इस बार यह 12 सितंबर यानि आज मनाया जा रहा है। इस दिन ‘अनंत’ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यही नहीं आज के दिन भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है। अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर को सुबह 05:06 बजे से लगेगी और 13 सितंबर को 7:35 सुबह तक रहेगी इसके बाद पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी। ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल ने के अनुसार अनंत चर्तुदशी पूजा का मुहूर्त 12 सितंबर को सुबह 06 बजकर 13 मिनट से 13 सितंबर की सबुह 07 बजकर 17 मिनट तक।
इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। आचार्य पंडित धर्मेन्द्र नाथ मिश्र के अनुसार इस व्रत को इसलिए विशेष रूप से जाना जाता है कि अंत ना होने वाले श्रृष्टि के कर्ता निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। इस दिन कलश पर अष्टदल कमल के सामान बने बर्तन पर कूश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके पास कुमकुम, केसर, हल्दी रंगित चौदह गांठों वाला अनंत भी रखा जाता है। कुश के अनंत की वंदना कर के उसमें भगवान विष्णु का आवाहन तथा ध्यान कर के गंध, अक्षत, पुष्पों, धूप, दीप तथा नैवेद्य से पूजन किया जाता है। इसके बाद कथा सुनाया जाता है। अनंत देव का पुन: ध्यान मंत्र पढ़कर अपनी दाहिनी भुजा पर बांधना चाहिए। यह चौदह गांठ वाला डोरा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फलदायक माना गया है।वहींं गणेश चतुर्थी को विराजमान हुए गणपति का अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है। हालांकि लोग अपने हिसाब से अलग-अलग दिन जैसे 5, 7 दिन का भी विसर्जन कर देते हैं लेकिन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन की परंपरा है। इस दिन वैसे कभी भी विसर्जन कर सकते हैं लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे मुहूर्त जिसमें गणेश विसर्जन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।सुबह 06 बजकर 08 मिनट से सुबह 07 बजकर 40 मिनट तकशाम 04 बजकर 54 मिनट से शाम 06 बजकर 27 मिनट तक
इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान सत्यनारायण की कथा भी सुनते हैं। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। आचार्य पंडित धर्मेन्द्र नाथ मिश्र के अनुसार इस व्रत को इसलिए विशेष रूप से जाना जाता है कि अंत ना होने वाले श्रृष्टि के कर्ता निर्गुण ब्रह्म की भक्ति का दिन है। इस दिन कलश पर अष्टदल कमल के सामान बने बर्तन पर कूश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके पास कुमकुम, केसर, हल्दी रंगित चौदह गांठों वाला अनंत भी रखा जाता है। कुश के अनंत की वंदना कर के उसमें भगवान विष्णु का आवाहन तथा ध्यान कर के गंध, अक्षत, पुष्पों, धूप, दीप तथा नैवेद्य से पूजन किया जाता है। इसके बाद कथा सुनाया जाता है। अनंत देव का पुन: ध्यान मंत्र पढ़कर अपनी दाहिनी भुजा पर बांधना चाहिए। यह चौदह गांठ वाला डोरा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फलदायक माना गया है।वहींं गणेश चतुर्थी को विराजमान हुए गणपति का अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है। हालांकि लोग अपने हिसाब से अलग-अलग दिन जैसे 5, 7 दिन का भी विसर्जन कर देते हैं लेकिन अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन की परंपरा है। इस दिन वैसे कभी भी विसर्जन कर सकते हैं लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे मुहूर्त जिसमें गणेश विसर्जन करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।सुबह 06 बजकर 08 मिनट से सुबह 07 बजकर 40 मिनट तकशाम 04 बजकर 54 मिनट से शाम 06 बजकर 27 मिनट तक