देश / बॉर्डर की चौकसी में क्या मानवीय इंटेलिजेंस का विकल्प बन पा रहे हैं तकनीकी उपकरण

AMAR UJALA : Sep 07, 2020, 09:12 AM
Delhi: पड़ोसी मुल्कों से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर आए दिन घुसपैठ की खबरें आती रहती हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के अलावा विभिन्न सुरक्षा बलों का दावा है कि वे सीमा पर चौकसी में कोई कमी नहीं छोड़ते। यह अलग बात है कि बॉर्डर पर आतंकी और तस्करों की घुसपैठ के अलावा लद्दाख में तो चीन की सेना आगे बढ़कर अपनी मनमर्जी से एलएसी एवं गश्त लाइन भी तय करने लगी है। 

मानवीय इंटेलिजेंस के विकल्प के तौर पर व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) के अंतर्गत लेजर वॉल और इजराइल के स्मार्ट फेंसिंग उपकरण लाए जा रहे हैं। नाइट विजन डिवाइस, ड्रोन, लॉरस राडार सिस्टम, लंबी दूरी के थर्मल इमेजर, लेजर आधारित घुसपैठ अलार्म और पीटीजेड कैमरा आदि की बात हो रही है। करीब एक दशक पहले सीआईबीएमएस फाइलों पर आया था, लेकिन अभी तक जम्मू और असम में दो तीन जगहों पर यह सिस्टम बतौर पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो सका है। बाकी बची सीमाओं की चौकसी अभी फिजिकल बैरियर या गश्त के जरिए हो रही है। सिक्योरिटी एक्सपर्ट का मानना है कि सरकार को मानवीय इंटेलिजेंस और फिजिकल बेरियर को अधिक मजबूत करना होगा।

केंद्रीय सुरक्षा बलों के एक टॉप अफसर बताते हैं कि भारत के साथ लगती विभिन्न देशों की सीमाओं पर घुसपैठ रोकने के लिए लंबे समय से पुख्ता इंतजाम करने की बात हो रही है। ऐसा भी नहीं है कि ये इंतजाम नहीं हो रहे, काम चल रहा है। यह अलग बात है कि इजराइल का स्मार्ट फेंसिंग सिस्टम, जिसे लेकर दस साल पहले चर्चा शुरू हुई थी, 2018 में उस सिस्टम का ट्रायल शुर हो सका है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीमा चौकसी को लेकर केंद्रीय स्तर पर कितनी गंभीरता बरती जा रही है।

मौजूदा समय में चीन और पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि नेपाल बॉर्डर भी चिंताजनक बनता जा रहा है। चीन बॉर्डर की स्थिति तो सबके सामने है। अब चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और म्यांमार बॉर्डर की चौकसी के लिए सीआईबीएमएस लगाने की बात होने लगी है। यह कहना मुश्किल है कि इन सभी बॉर्डर पर कितने समय में यह प्रोजेक्ट लग जाएगा। बीएसएफ को साथ लेकर संवेदनशील क्षेत्रों में स्मार्ट फेंसिंग का ट्रायल शुरू करने के लिए कहा गया है। बीएसएफ, पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर यह सिस्टम लगा रही है। कहा जाता है कि यह सिस्टम खराब मौसम जैसे आंधी तूफान, बरसात, धुंध और बर्फबारी के दौरान किसी भी पशु-पक्षी, व्यक्ति या ड्रोन आदि उपकरणों की तस्वीर ले लेता है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम में कई तरह के उपकरण होते हैं।इनमें हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट, सुरंगों से होने वाली घुसपैठ का पता लगाने के लिए ग्राउंड सेंसर, पानी के रास्ते सेंसर युक्त सोनार सिस्टम और जमीन पर ऑप्टिकल फाइबर सेंसर आदि तकनीक शामिल होती है।

मानवीय इंटेलिजेंस के साथ ही कारगर साबित होते हैं ये तकनीकी उपकरण 

पूर्व आईपीएस एवं सीआईसी रहे यशोवर्धन आजाद बताते हैं कि अभी भारत से लगती सभी सीमाओं पर कड़ी चौकसी की जरूरत है। हमारे पास जितने भी बल हैं, वे अपनी तरफ से पूरी तन्मयता के साथ बार्डर की सुरक्षा करते हैं। केवल तकनीकी उपकरणों के बल पर सीमा की चौकसी नहीं छोड़ी जा सकती। मेक्सिको सहित कई दूसरे देश इसका उदाहरण हैं। सबसे आधुनिक उपकरण वहां लगाए गए हैं, लेकिन घुसपैठ पूरी तरह नहीं रोकी जा सकी। चीन सीमा पर केवल उपकरण के भरोसे नहीं रहा जा सकता। पाकिस्तान व बांग्लादेश सीमा पर लेजर फेंसिंग और सीआईबीएमएस कारगर साबित हो रहा है। हालांकि वहां मानवीय इंटेलिजेंस भी लगातार सक्रिय रहता है। जम्मू में सुरंग मिलती है, लेकिन बहुत देर से उसका पता चलता है। यहां उपकरण उतने कारगर साबित नहीं होंगे, जो मानवीय इंटेलिजेंस मदद कर देगी। 

बॉर्डर के आसपास किसान रहते हैं, उनसे बड़ा इंटेलिजेंस का स्रोत कोई नहीं है। उन्हें तो रोजाना खेत पर जाना है, बुआई न हो तो भी पशुओं के लिए चारा तो जुटाना है, इसलिए वे खेत या आसपास के इलाके में जाते रहते हैं। इंटेलिजेंस के लिए बक्करवाल इसका बड़ा उदाहरण रहे हैं। इन सबके लिए फिजिकल बैरियर का होना बेहद जरूरी है। नेपाल है, वह मित्र देश है, लेकिन वहां भी मानवीय इंटेलिजेंस बढ़ाना चाहिए। चेक पोस्ट सबसे ज्यादा आवश्यक है। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और म्यांमार के साथ लगते बॉर्डर पर कई क्षेत्र अति संवेदनशील हैं। यहां सीआईबीएमएस सिस्टम के अलावा फिजिकल बैरियर एवं गश्त अनिवार्य है।

चीन के साथ जारी सीमा विवाद के चलते अब तेजी से लगेंगे तकनीकी उपकरण 

आईटीबीपी 3,448 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा पर तैनात है। अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश से सटी सीमा पर आईटीबीपी को तकनीकी उपकरण मुहैया कराए जा रहे हैं। इनके जरिए चीन की हर हरकत पर नजर रखने में मदद मिलेगी। लिपुलेख, नीति दर्रा, मंगसा धुरा, टी सांग चोकला, मुलिंगला, माणा पास, तुंजुन ला और अरुणाचल प्रदेश के बोमडिला, दिहंग, लोंगजू, यंग याप, कुंजवंग,तुन्गधारा, जेचाप ला, दिपू ला व हिमाचल प्रदेश के बरालाचा, देबसा पास, शिपकी ला, सिक्किम के नाथुला, नाकुला, जेलेप ला और लद्दाख में काराकोरम पास बनाए गए हैं। इनके अलावा कुछ खास बॉर्डर आउटपोस्ट भी स्थापित की गई हैं। इन जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस सिस्टम लगाया जा रहा है। चीन के साथ हुए सीमा विवाद के बाद कई इलाकों में बटालियनों की संख्या बढ़ाई जा रही है। गश्त और बीओपी निर्माण के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं।

 



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