Dainik Bhaskar : Dec 07, 2019, 12:05 PM
जयपुर. भटेरी का भंवरी रेप केस... 27 साल से भंवरी को इंसाफ का इंतजार है। मगर ये इंतजार कितना लंबा होगा, इसका अंदाजा ऐसे लगाइए कि इस केस में आखिरी सुनवाई 23 साल पहले हुई थी। मामला हाईकोर्ट में लंबित है। 30 से 55 साल के पांच आरोपियों में से चार की मौत हो चुकी है। ये वही केस है, जिसके आधार पर 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन हिंसा के खिलाफ विशाखा गाइडलाइंस बनाई थीं। 2013 में इसी केस की वजह से दफ्तरों में महिला संरक्षण का मजबूत कानून बनाया गया था। भंवरी केस एक ऐसा अनूठा मामला है, जिसमें सरकार, समाज, पुलिस, प्रशासन व न्याय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए। 22 सितंबर 1992 को भंवरी से सामूहिक बलात्कार किया गया। 1995 में निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। जून 1996 में हाईकोर्ट में पहली सुनवाई हुई। तब से कुछ भी नहीं हुआ। सरकार; दुष्कर्म खेत में हुआ राज्य सरकार जिम्मेदार नहींनिचली अदालत ने जब भंवरी देवी बलात्कार के पांचों आरोपियों को बरी कर दिया तब राज्य सरकार ने भंवरी देवी का साथ देने से इंकार कर दिया। सरकार ने दलील दी कि भंवरी पर हमला उसके खेत में हुआ, इसलिए राज्य सरकार नियोक्ता के तौर पर इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। महिला संगठनों की मांग थी कि भंवरी देवी पर हमला बाल विवाह रुकवाने के कारण हुआ है। ऐसे में राज्य सरकार यह तर्क नहीं दे सकती है कि दुष्कर्म की घटना किस जगह पर हुई।
पुलिस; 52 घंटे बाद मेडिकल, पहना हुआ लहंगा भी उतरवाया
रेप केस में पीड़िता का 24 घंटे में मेडिकल हो जाना चाहिए लेकिन पुलिस ने 52 घंटे बाद मेडिकल करवाया। पुलिस ने संवेदनशीलता की सारी सीमाएं लांघते हुए भंवरी से वही लहंगा जमा कराने को कहा जो उसने पहना था। भंवरी को थाने से अपने गांव तक अपने पति के खून से सने साफे से शरीर ढंककर आना पड़ा। मेडिकल जांच कराने पीएचसी पहुंची तो कोई महिला डॉक्टर नहीं थी। मजिस्ट्रेट के पास पहुंची तो ड्यूटी खत्म होने का हवाला देते हुए आॅर्डर देने से इंकार कर दिया।
निचली कोर्ट; गांव का प्रधान बलात्कार कर ही नहीं सकता
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था,और ऐसे तर्क दिए। गांव का प्रधान बलात्कार नहीं कर सकता, अलग-अलग जाति के पुरुष गैंग रेप में शामिल नहीं हो सकते ,60-70 साल के बुजुर्ग बलात्कार नहीं कर सकते,एक पुरुष रिश्तेदार (चाचा-भतीजा) के सामने रेप नहीं कर सकता। अगड़ी जाति का कोई पुरुष किसी पिछड़ी जाति की महिला से रेप नहीं कर सकता क्योंकि वह अशुद्ध होती है,भंवरी के पति चुपचाप खामोशी से पत्नी का रेप होते नहीं देख सकते थे।
पुलिस; 52 घंटे बाद मेडिकल, पहना हुआ लहंगा भी उतरवाया
रेप केस में पीड़िता का 24 घंटे में मेडिकल हो जाना चाहिए लेकिन पुलिस ने 52 घंटे बाद मेडिकल करवाया। पुलिस ने संवेदनशीलता की सारी सीमाएं लांघते हुए भंवरी से वही लहंगा जमा कराने को कहा जो उसने पहना था। भंवरी को थाने से अपने गांव तक अपने पति के खून से सने साफे से शरीर ढंककर आना पड़ा। मेडिकल जांच कराने पीएचसी पहुंची तो कोई महिला डॉक्टर नहीं थी। मजिस्ट्रेट के पास पहुंची तो ड्यूटी खत्म होने का हवाला देते हुए आॅर्डर देने से इंकार कर दिया।
निचली कोर्ट; गांव का प्रधान बलात्कार कर ही नहीं सकता
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था,और ऐसे तर्क दिए। गांव का प्रधान बलात्कार नहीं कर सकता, अलग-अलग जाति के पुरुष गैंग रेप में शामिल नहीं हो सकते ,60-70 साल के बुजुर्ग बलात्कार नहीं कर सकते,एक पुरुष रिश्तेदार (चाचा-भतीजा) के सामने रेप नहीं कर सकता। अगड़ी जाति का कोई पुरुष किसी पिछड़ी जाति की महिला से रेप नहीं कर सकता क्योंकि वह अशुद्ध होती है,भंवरी के पति चुपचाप खामोशी से पत्नी का रेप होते नहीं देख सकते थे।