बीकानेर जिले में गजनेर के सुरजडा गांव में एक युवक ने बीती रात अपनी पत्नी और दो बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी और उसके बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। एक बच्चे के जाग जाने से उसकी व उसकी बहन की जान बच गई। इस घटना से परिवार सहित पूरा गांव सदमे में डूबा रहा और घरों में चूल्हे नहीं जले।
जानकारी के अनुसार जेठाराम मेघवाल (34) और उसकी पत्नी शारदा (30) घर में परिवारजनों से थोड़ा दूर खुले में सो रहे थे। जेठाराम ने पहले अपनी पत्नी का गला दबाकर हत्या की और बाद में परिवारजनों के पास सो रही अपनी पुत्री आयशा (4) को उठाकर लाया और उसका गला दबाकर मारकर चारपाई पर डाल दिया। फिर पुत्र जितेन्द्र (9) को उठाकर लाया और उसे भी गला दबाकर मार दिया, और चारपाई पर डाल दिया। फिर अपने पुत्र रवि को उठाकर लाने लगा तो उसके रोने पर घरवाले जाग गए। इस पर जेठाराम ने बिजली का तार काटकर आटा चक्की की दुकान में लगे पंखे के हुक से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
भतीजा रोया बोला पिताजी गला दबा रहे हैं
जेठाराम के छोटे भाई ने बताया कि रात्रि सभी परिवार के सदस्य घर के बाहर कूलर लगाकर चारपाइयों पर सो रहे थे। रात्रि लगभग ढाई बजे उसका भतीजा रवि जोर से रोया की उसके पिता जेठाराम उसका गला दबा रहे है। बच्चे को बुरा सपना आने की सोच उसे वापिस सुला दिया।
बीस मिनट बाद कूलर बन्द होने से गर्मी लगने लगी। आसपास घरों में लाइट जलती देख वायर हिलने की आशंका के चलते घर में लगी आटा चक्की से लगाए वायर को संभालने गया तो देखा जेठाराम की लाश पंखे से लटकी हुई थी। उसके शोर मचाने पर परिवारजन जागे। घटना की जानकारी मिलने पर वहां ग्रामीणों की भीड़ एकत्रित हो गई। हर कोई घटना पर शोक प्रकट करते हुए परिवारजनों को ढांढस दिलाने का प्रयास कर रहा था।
बच्चे की आंख खुलने से दो बच्चों की जान बची
जेठाराम ने जब अपने पुत्र रवि (10) का गला दबाया तो वह जाग गया। उसके रोने पर परिवार वालों ने उसे सुला दिया। वहीं पास में ही जेठाराम की एक और पुत्री किरण (12) सो रही थी। इससे दोनों बच्चों की जान बच गई। अब इन दोनों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया है।
बिखर गया खुशहाल संयुक्त परिवार
तीनों भाई परिवार सहित अपने माता पिता के साथ संयुक्त परिवार के रूप में रहते थे। तीनों शादीशुदा थे और बच्चों के साथ खुशहाली का जीवन व्यापन कर रहे थे। परिवार में कोई मनमुटाव- झगड़ा नहीं था। जेठाराम की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उसका पांच-छह महीने तक इलाज चला। तबियत ठीक होने की बात कहकर जेठाराम ने दवाइयां लेना बंद कर दिया था। रात को जेठाराम ने अपनी पत्नी, पुत्री, पुत्र की हत्या कर खुद आत्महत्या कर ली।