स्पोर्ट्स / बर्थडे स्पेशल: कभी विलेन तो कभी हीरो, मां की मौत के बाद जडेजा छोड़ना चाहते थे क्रिकेट

AMAR UJALA : Dec 06, 2019, 04:01 PM
खेल डेस्क | सौराष्ट्र में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में जडेजा के पिता प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में गार्ड की नौकरी करते थे। पिता की चाहत थी कि बेटा भारतीय सेना में जाए और सैनिक बनकर देश सेवा करे, लेकिन बेटे को क्रिकेट का जूनून था और उन्होंने इसे ही अपनी मंजिल बनाया।

हालांकि 1988 में जन्में जडेजा साल 2005 में मां की मौत के बाद टूट गए और क्रिकेट छोड़ने का मन बना लिया। इसके बाद उनके दोस्तों और परिवार के सदस्यों ने उनका हौंसला बढ़ाया और उन्हें सहारा दिया। जडेजा ने साल 2006-07 में दिलीप ट्रॉफी के साथ अपने प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत की। इसके बाद 2006 और 2008 में उन्हें अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत की तरफ से खेलने का मौका मिला।

साल 2008 का वो वर्ल्ड कप जडेजा के करियर का टर्निंग पॉइंट बना जब उन्होंने विराट की अगुवाई में शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन किया और उप-कप्तान के रूप में टीम को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई।

हालांकि उनका करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगे रहे। एक वक्त 2009 टी-20 विश्व के एक मुकाबले में जडेजा की धीमी पारी की वजह से टीम को हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से उनकी काफी आलोचना हुई। यहां तक मजाक के तौर पर उन्हें 'सर जडेजा' भी कहा जाने लगा।

घरेलू क्रिकेट में तीन तिहरा शतक जड़ चुके जडेजा को साल 2017 के चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में हार का विलेन भी बनना पड़ा जब उनकी वजह से जबरदस्त बल्लेबाजी कर रहे हार्दिक पांड्या को रनआउट हो गए।

इसके बाद उन्हें टीम में जगह बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन 2019 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में खेली गई उनकी जुझारू पारी ने उन्हें फिर से देश का हीरो बना दिया और उसके बाद वे टीम का अहम हिस्सा बन गए।

आईपीएल में धोनी की अगुवाई में चेन्नई की तरफ से खेलने वाले जडेजा के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। वे अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी से 4000 से अधिक रन बना चुके हैं और गेंदबाजी में भी 400 से अधिक विकेट चटका चुके हैं।

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