AMAR UJALA : Sep 09, 2019, 05:47 PM
बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन से पाकिस्तान और चीन दोनों पर कम से कम समय में निशाना साधा जा सकता है। शायद यही वजह है कि इस स्टेशन को तीन साल के अथक प्रयासों के बाद आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। मिग-21 के स्क्वाड्रन (बेड़े) का प्रमुख ठिकाना रहे इस स्टेशन को अब यहां नए स्क्वाड्रन का इंतजार है। रक्षा मंत्रालय में इस पर मंथन भी चल रहा है।
दरअसल, बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन मध्य वायु कमान के अंतर्गत आता है, जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है। वायुसेना स्टेशन का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। इसलिए स्टेशन को अपग्रेड करने की योजना बनी। इसकेअंतर्गत स्टेशन पर उड़ानों को बंद कर दिया गया और करीब तीन साल बाद यह एक उन्नत स्टेशन बनकर तैयार हो गया है। सूत्रों की मानें तो स्टेशन पर मिग की जो स्क्वाड्रन थी, उसे देश के दूसरे वायुसेना स्टेशनों पर शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि यहां नए स्क्वाड्रन लगाए जाने की तैयारी है। इसे लेकर रक्षा मंत्रालय व वायुसेना के बीच मंथन भी शुरू हो चुका है। एयरफोर्स स्टेशन पर हैंगरों से लेकर रन-वे, रडार व अन्य जरूरी उपकरणों को आधुनिकतम बनाया गया है। इससे स्टेशन की क्षमता में कई गुना वृद्घि हो गई है।यहां पर है ‘वॉल ऑफ फेम’बख्शी का तालाब एयरफोर्स स्टेशन परिसर के अंदर ‘वॉल ऑफ फेम’ है। इस दीवार पर वायुसेना के जांबाजों का शौर्य व पराक्रम झलकता है। स्क्वाड्रन लीडर प्रीतपाल सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अनिल कुमार, फ्लाइट लेफ्टिनेंट योगेंद्र प्रसाद सिंह और स्क्वाड्रन लीडर घनश्याम सिंह थापा जैसे जांबाजों के पराक्रम के किस्से इस पर लिखे गए हैं। शौर्य व पराक्रम का गढ़ है बीकेटी स्टेशनबीकेटी एयरफोर्स स्टेशन पर साल 2016 में एयर शो हुआ, जिसमें जांबाजों ने शौर्य व पराक्रम का परिचय दिया था। सुखोई, मिग समेत सूर्यकिरण ने हैरतअंगेज करतबों ने लोगों का दिल जीत लिया था। इसके बाद आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी लड़ाकू व मालवाहक विमानों की लैंडिंग करवाने में बीकेटी का योगदान सराहनीय रहा।इसी क्रम में गत मार्च में एशिया डिफेंस मिनिस्टर मीटिंग (एडीएमएम) की एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप ऑन मिलिट्री मेडिसिन के‘मेडेक्स-2019’ के तहत भी बीकेटी में ग्लोबमास्टर सी-17 की लैंडिंग हुई और हाल ही में एक्रोबेटिक टीम ने कारगिल दिवस पर प्रदर्शन किया था।यहां होती है पायलटों की ट्रेनिंगइस एयरफोर्स स्टेशन के अतिरिक्त एयर डिफेंस कॉलेज है, जो मेमोरा में स्थित है। यहां फाइटर पायलट कोर्स कराया जाता है। मसलन, पायलटों की ट्रेनिंग यहां होती है। हाल ही में यहां अत्याधुनिक रडार लगाया गया है, जिससे देश के किसी भी विमान पर नजर रखी जा सकती है। दरअसल, रडार के जरिए देश के अन्य रडारों को जोड़ा जा सकता है।बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन का सफर
दरअसल, बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन मध्य वायु कमान के अंतर्गत आता है, जिसका मुख्यालय इलाहाबाद में है। वायुसेना स्टेशन का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। इसलिए स्टेशन को अपग्रेड करने की योजना बनी। इसकेअंतर्गत स्टेशन पर उड़ानों को बंद कर दिया गया और करीब तीन साल बाद यह एक उन्नत स्टेशन बनकर तैयार हो गया है। सूत्रों की मानें तो स्टेशन पर मिग की जो स्क्वाड्रन थी, उसे देश के दूसरे वायुसेना स्टेशनों पर शिफ्ट कर दिया गया है, जबकि यहां नए स्क्वाड्रन लगाए जाने की तैयारी है। इसे लेकर रक्षा मंत्रालय व वायुसेना के बीच मंथन भी शुरू हो चुका है। एयरफोर्स स्टेशन पर हैंगरों से लेकर रन-वे, रडार व अन्य जरूरी उपकरणों को आधुनिकतम बनाया गया है। इससे स्टेशन की क्षमता में कई गुना वृद्घि हो गई है।यहां पर है ‘वॉल ऑफ फेम’बख्शी का तालाब एयरफोर्स स्टेशन परिसर के अंदर ‘वॉल ऑफ फेम’ है। इस दीवार पर वायुसेना के जांबाजों का शौर्य व पराक्रम झलकता है। स्क्वाड्रन लीडर प्रीतपाल सिंह, स्क्वाड्रन लीडर अनिल कुमार, फ्लाइट लेफ्टिनेंट योगेंद्र प्रसाद सिंह और स्क्वाड्रन लीडर घनश्याम सिंह थापा जैसे जांबाजों के पराक्रम के किस्से इस पर लिखे गए हैं। शौर्य व पराक्रम का गढ़ है बीकेटी स्टेशनबीकेटी एयरफोर्स स्टेशन पर साल 2016 में एयर शो हुआ, जिसमें जांबाजों ने शौर्य व पराक्रम का परिचय दिया था। सुखोई, मिग समेत सूर्यकिरण ने हैरतअंगेज करतबों ने लोगों का दिल जीत लिया था। इसके बाद आगरा एक्सप्रेस-वे पर भी लड़ाकू व मालवाहक विमानों की लैंडिंग करवाने में बीकेटी का योगदान सराहनीय रहा।इसी क्रम में गत मार्च में एशिया डिफेंस मिनिस्टर मीटिंग (एडीएमएम) की एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप ऑन मिलिट्री मेडिसिन के‘मेडेक्स-2019’ के तहत भी बीकेटी में ग्लोबमास्टर सी-17 की लैंडिंग हुई और हाल ही में एक्रोबेटिक टीम ने कारगिल दिवस पर प्रदर्शन किया था।यहां होती है पायलटों की ट्रेनिंगइस एयरफोर्स स्टेशन के अतिरिक्त एयर डिफेंस कॉलेज है, जो मेमोरा में स्थित है। यहां फाइटर पायलट कोर्स कराया जाता है। मसलन, पायलटों की ट्रेनिंग यहां होती है। हाल ही में यहां अत्याधुनिक रडार लगाया गया है, जिससे देश के किसी भी विमान पर नजर रखी जा सकती है। दरअसल, रडार के जरिए देश के अन्य रडारों को जोड़ा जा सकता है।बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन का सफर
- 60 के दशक में बीकेटी एयरफोर्स की केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट थी जहां 1966 में रन-वे था।
- 1966 में यहां मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ‘डकोटा’ की मेंटेनेंस होती थी।
- 1975 में सबसे पहला ‘नाट’ एयरक्राफ्ट यहां आया जो काफी समय तक स्टेशन से जुड़ा रहा।
- 1980 में देश का पहला स्वदेशी विमान ‘मारुत’ बीकेटी की शान बना।
- 1983 में बीकेटी स्टेशन पर मिग-21 की स्क्वाड्रन बनी, जिन्हें रैपियर्स कहते थे।
- 2014 में केयर एंड मेंटेनेंस यूनिट से बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन बन गया।
- 2016 में लंबे अरसे बाद एयर शो हुआ, जिसमें सुखोई, मिग व ऐरोबेटिक टीम ने जलवे बिखेरे।
- 2017 में एयरफोर्स स्टेशन के रन-वे व एयरफील्ड का अपग्रेडेशन शुरू हुआ।