भोपाल / आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेलिंग कर 5 महिलाओं ने 20 अफसर-नेताओं से ऐंठे 15 करोड़

Dainik Bhaskar : Sep 21, 2019, 04:32 PM
भोपाल. नेताओं-अफसरों को ब्लैकमेल कर करोड़ों वसूलने वाली पांचों महिलाओं के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस और एटीएस को पता चला है कि इन महिलाओं ने करीब 20 लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाए और इन्हें वायरल करने की धमकी देकर उनसे करीब 15 करोड़ रुपए की वसूली की है। किसी से 50 लाख तो किसी से तीन करोड़ रुपए तक की वसूली की गई। इनसे जब्त मोबाइल और 8 सिम की जांच में करीब 90 वीडियो भी मिले हैं। इनमें से 30 वीडियो आईएएस, आईपीएस अफसरों और नेताओं के हैं। पुलिस ने फिलहाल इन्हें रिकॉर्ड में नहीं लिया है। फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है।

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यह भी चर्चा है कि ज्यादातर वीडियो श्वेता जैन पति विजय और श्वेता जैन पति स्वप्निल के हैं। इनसे जुड़ी 5-6 लड़कियां और हैं, जो इन्हें के साथ रैकेट में काम करती हैं। इन्हीं में से कुछ ने व्यक्तिगत तौर पर भी नौकरशाही और नेताओं के बीच दखल बढ़ाना शुरू किया। वीडियो में राज्य सेवा से जुड़े कई अधिकारी, प्रमोटी आईएएस और उद्योगपतियों के भी होने का अंदेशा है, जिसकी पड़ताल की जा रही है। कोर्ट ने श्वेता पति विजय जैन, श्वेता पति स्वप्निल जैन और बरखा अमित सोनी को निगम इंजीनियर से 3 करोड़ की डिमांड करने के मामले में जेल भेज दिया। जबकि अन्य आरोपी आरती दयाल, छात्रा मोनिका यादव और ड्राइवर ओमप्रकाश 22 सितंबर तक इंदौर पुलिस की रिमांड पर हैं।

ज्यादातर अफसर भोपाल और इंदौर से 

ज्यादातर राज्य सेवा के अधिकारी इंदौर और भोपाल में पदस्थ रहे हैं। एडीजी स्तर के एक पुलिस अधिकारी पूर्व में इंदौर पोस्टिंग के दौरान इन महिलाओं के ज्यादा संपर्क में रहे। महिलाओं की इन अफसरों से मुलाकात भोपाल के एक नामी पुराने होटल के साथ इंदौर-भोपाल के फार्म हाउस में हुई। श्वेता जैन और पति स्वप्निल का भोपाल में एक नामी क्लब में खासा आना जाना रहा। यहां भी ये दोनों अफसरों को जाल में फांसने का काम करते थे। जिस रात पुलिस ने ब्लैकमेलर महिलाओं को हिरासत में लिया, उसके दूसरे ही दिन स्वप्निल को सुबह के समय इसी क्लब में देखा गया। एक पूर्व मंत्री के साथ एक महिला भारत के बाहर भी घूमने जा चुकी है। 

7-8 तो ऐसे थे, जो इनके मकसद के बारे में जानते थे

ब्लैकमेलर महिलाओं के जाल में फंसने वाले 20 लोगों में 7-8 तो ऐसे थे, जो इनके मकसद के बारे में जानते थे। इसके बाद भी उनके संपर्क में बने रहे। बहरहाल, आरोपी महिलाओं के पास से मिली सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और एंड्रॉयड फोन का परीक्षण कर लिया गया है। यह गैंग व्यक्ति की पेइंग कैपेसिटी को देखकर किसी म्यूचुअल फ्रेंड के जरिए उन्हें जाल में फांसता था। इसके बाद ही सौदेबाजी शुरू होती थी।

पुलिस ने इसे संगठित अपराध माना

प्रदेश के सीनियर आईएएस अफसर और इंदौर नगर निगम के इंजीनियर के साथ हुए हनी ट्रैप को पुलिस ने एक संगठित अपराध माना है। केवल यही दो मामले उजागर हुए, लेकिन गुपचुप तरीके से की गई कई डील भी सरकार के कानों तक पहुंच चुकी। यही वजह रही कि काउंटर इंटेलिजेंस एक्टिव हुआ। सरकार की हरी झंडी मिलते ही 15 सदस्यीय टीम ने इस शातिर गैंग पर नजर रखनी शुरू कर दी। अब तक की जांच में कई खुलासे सामने आने लगे हैं। हनी ट्रैप गैंग की महिलाओं और छात्रा से एटीएस और क्राइम ब्रांच ने ऐसे गोपनीय तरीके से पूछताछ कर रही है कि वह बाहर किसी को पता नहीं चल सके। पुलिस के अन्य अफसरों, कर्मचारियों को भी उन तक पहुंचने की इजाजत नहीं है। इन आरोपियों ने कई खुलासे किए हैं, पर अब पुलिस पर ये दबाव बनाया जा रहा है कि मामले को ज्यादा बढ़ाया न जाए।

लेट नाइट पार्टियों की शौकीन थीं ये महिलाएं, हाईवे पार्टी के नाम से होती थी पिकनिक

हनी ट्रैप में पकड़े जाने वाली महिलाएं लेट नाइट पार्टियों की शौकीन थीं। इनके मोबाइल फोन में शराब पार्टियों के कई वीडियो मिले। अक्सर शनिवार की रात को हाईवे पार्टी के नाम से इनकी पिकनिक होती रही। भोपाल-इंदौर फोरलेन रोड और सीहोर बायपास के रिसोर्ट, होटल या फॉर्म हाउस इसके लिए इस्तेमाल होते थे। इसमें आईएएस-आईपीएस अफसर को भी बुलाया जाता था। पिछले दिनों बुंदेलखंड के एक मंत्री भी पार्टी में पहुंचे थे, जिसकी पोस्ट फेसबुक पर डाली गई थी। इस पोस्ट को मंत्री ने पता चलते ही हटवा दिया था।

मोनिका का कबूलनामा, फेसबुक पर छह महीने पहले आरती से दोस्ती हुई

इन पांच महिलाओं से में से एक मोनिका यादव ने इंदौर पुलिस को पूछताछ में बताया, ‘‘आरती दयाल का रौब देखकर मैं प्रभावित हो गई और नौकरी के चक्कर में उससे जुड़ गई। उसने वीडियो कब बना लिया, पता नहीं चला। आरती मैडम से मेरी दोस्ती छह महीने पहले फेसबुक पर हुई थी। मुझे नौकरी की जरूरत थी, इसलिए मैंने उनसे मदद मांगी। आरती खुद को सरकारी कॉन्ट्रैक्टर बताकर बड़े लोगों से मिलती। मैडम ने मुझे भोपाल की एक होटल में निगम इंजीनियर हरभजन सिंह से मिलवाया। फिर इंजीनियर दो-तीन बार और भोपाल आए। वहां मुझसे होटल में मिले। पहले मेरे साथ आरती मैडम कमरे में रहती थी और इंजीनियर के आते ही वह चली जाती थी। वैसे इंजीनियर से वे इसके बदले में क्या डिमांड करती थी, ये वे ही जाने, पर एक बार इंजीनियर ने मुझे 8 हजार रुपए दिए थे। चार दिन पहले आरती मैडम मिली तो बोली कि इंदौर चलो, तुम्हारी पक्की नौकरी लगने वाली है। मैंने घरवालों को बोल दिया कि पांच दिन बाद नौकरी की मिठाई लेकर लौटूंगी, लेकिन यहां आते ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरती 50 लाख रुपए लेने के लिए मुझे इंदौर लाई थी।’’

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