देश / गेहूं की बंपर पैदावार, क्या इस बार हो पाएगी रिकॉर्ड सरकारी खरीद, एमएसपी को लेकर उठे सवाल

कोरोना वायरस संकट के बीच रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं (Wheat) की कटाई जारी है। देश में करीब 60 फीसदी फसल कट चुकी है लेकिन खरीद में 15 से 20 दिन की देरी हो चुकी है। हरियाणा को छोड़कर किसी भी राज्य ने इसकी भरपाई के लिए बोनस का एलान नहीं किया है। इसके बावजूद राहत की बात ये है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक ने पूरी खरीद करने का वादा किया है।

News18 : Apr 16, 2020, 02:57 PM
नई दिल्ली। कोरोना वायरस संकट (Coronavirus-outbreak) के बीच रबी सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं (Wheat) की कटाई जारी है। देश में करीब 60 फीसदी फसल कट चुकी है लेकिन खरीद में 15 से 20 दिन की देरी हो चुकी है। हरियाणा को छोड़कर किसी भी राज्य ने इसकी भरपाई के लिए बोनस का एलान नहीं किया है। इसके बावजूद राहत की बात ये है कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक ने पूरी खरीद करने का वादा किया है। रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) 2020-21 में करीब 4 करोड़ टन गेहूं की खरीद होने का अनुमान है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Ministry of agriculture) के अनुमान के मुताबिक मौजूदा सीजन में गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद है। लेकिन क्या खरीद भी वाकई पहले से बढ़ पाएगी। जबकि आठ साल पहले के मुकाबले गेहूं की कुल राष्ट्रीय खरीद में करीब 40 लाख मिट्रिक टन की कमी आ चुकी है। आरएमएस 2019-20 में कुल 341।32 लाख मिट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था, जो साल 2012-13 में 382 लाख मिट्रिक टन था।

गेहूं उत्पादन का अनुमान

इस साल तीन करोड़ 36।1 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी जबकि पिछले साल यह दो करोड़ 99।3 लाख हेक्टेयर था। जाहिर है उत्पादन भी अधिक होगा। रकबा बढ़ने और अच्छी बरसात के आधार पर कृषि मंत्रालय ने इस साल देश में गेहूं की पैदावार रिकॉर्ड 10 करोड़ 62।1 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान लगाया है। जो 2018-19 में 10 करोड़ 36 लाख टन ही था।

किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से खरीद में हो रही देरी के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Prices) पर प्रति सप्ताह 50 रुपये क्विंटल की दर से बोनस दे। वरना किसानों के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाएगी।

2500 रुपये प्रति क्विंटल हो एमएसपी

कृषि मामलों के जानकार पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि असली सवाल ये है कि किसानों को कितना पैसा मिल रहा है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP)  ने 1925 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की है। यह नाकाफी है। एमएसपी ए2+एफएल फार्मूले के आधार पर तय हुई है। जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरों की मजदूरी, ईंधन, सिंचाई के साथ-साथ परि‍वार के सदस्‍यों द्वारा खेती में की गई मेहतन का मेहनताना शामिल है। हमारी मांग है कि सरकार इसकी एमएसपी सी-2 फार्मूले के आधार पर दे। जिसमें जमीन की कीमत, कि‍राया व खेती में लगी स्‍थाई पूंजी पर ब्‍याज को भी शामि‍ल कि‍या जाता है। इस आधार पर 2500 रुपये क्विंटल के रेट पर खरीद होनी चाहिए।

गेहूं उत्पादक राज्यों में खरीद केंद्र

-उत्तर प्रदेश में 15 दिन की देरी से बुधवार 15 अप्रैल को खरीद शुरू हुई है। लेकिन भारी अव्यवस्था के बीच। सरकार ने 4479 केंद्रों पर खरीद का एलान किया है।

-पंजाब में इस साल 1867 खरीद केंद्र और 1824 राइस मिलों को मंडी यार्ड घोषित किया है। 1925 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सभी खरीद एजेंसियां और एफसीआई गेहूं खरीदेगी।

-मध्य प्रदेश में कोरोना के हॉटस्पॉट इंदौर, भोपाल और उज्जैन के शहरी इलाके को छोड़कर बाकी जिलों में 4305 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। 1500 गोदामों और साइलो केंद्रों पर भी खरीद होगी।

-हरियाणा में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए खरीद केंद्रों की संख्या 477 से बढ़ाकर लगभग 2000 की गई है।


कहां कितनी हो सकती है खरीद

पंजाब में करीब 1.4 करोड़ टन गेहूं खरीदे जाने का अनुमान है। इसी तरह मध्य प्रदेश में 1 करोड़ टन,  हरियाणा में 75 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 55 लाख टन गेहूं खरीद की योजना है।


छह राज्यों में 93 फीसदी से अधिक पैदावार

कृषि मंत्रालय की एक रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार मिलकर देश का 93।31 फीसदी गेहूं पैदा करते हैं। अकेले यूपी का शेयर 34।89 फीसदी है। देश के कुल गेहूं उत्पादन में पंजाब 21।55, हरियाणा 13।20, मध्य प्रदेश 8।81, राजस्थान 8।57 और बिहार 6।2 फीसदी योगदान देता है। हालांकि प्रति हेक्टेयर सबसे ज्यादा पैदावार के मामले में पंजाब और हरियाणा पहले और दूसरे नंबर पर हैं।