NavBharat Times : Aug 13, 2020, 04:15 PM
ग्लॉस्टरशेयर: दुनियाभर में Large Blue नाम की प्रजाति की तितलियां विलुप्तप्राय हैं और 4 दशकों तक ब्रिटेन में गायब रहने के बाद ये अब दिखाई दी हैं। इसके लिए 5 साल तक कड़ी मेहनत की गई और प्रकृति के हिसाब से पूरा ताना-बाना रचा गया। माना जा रहा है कि यह दुनियाभर में किसी कीड़े की प्रजाति का सफलता से दोबारा पनपने का यह पहला मौका है।
5 साल की कड़ी मेहनतपिछले साल ब्रिटेन के ग्लॉस्टरशेयर के Rodborough Common बायॉलजिकल साइट पर Large Blue तितली के 1,100 लार्वा छोड़े गए थे। तितली के कैटरपिलर को स्वीडन से एक इकॉलजिस्ट की कैंपर वैन में लाया गया था। इस जगह का 5 साल तक तितलियों के रहने लायक जगह के तौर पर विकास किया गया था। आखिरकार मेहनत सफल हुई और 150 साल बाद कॉट्सवोल्ड की पहाड़ियों पर करीब 750 से नजर आईं जिन्हें देखकर पर्यावरणविद बेहद खुश हैं।
एक छोटी सी चीटीं पर निर्भरग्लॉस्टरशेयर में इन कारनामे को कर दिखाने के पीछे प्रफेसर जेरेमी थॉमस और डेविड सिमकॉक्स की सालों की मेहनत है। इस तितली के लार्वा से बनने के लिए लाल चींटी Myrmica sabuleti की बड़ी भूमिका है। इसलिए पहले ऐसा मैदान बनाया गया जहां ये चींटी पनप सके। इसके लिए यहां गायें लाई गईं जो जिनके चरने से खास घास पैदा हुई और चीटियां पनपने लगीं। ये चीटियां ही लार्वा को अपना समझकर अपने साथ रखती हैं और पालती हैं।
5 साल की कड़ी मेहनतपिछले साल ब्रिटेन के ग्लॉस्टरशेयर के Rodborough Common बायॉलजिकल साइट पर Large Blue तितली के 1,100 लार्वा छोड़े गए थे। तितली के कैटरपिलर को स्वीडन से एक इकॉलजिस्ट की कैंपर वैन में लाया गया था। इस जगह का 5 साल तक तितलियों के रहने लायक जगह के तौर पर विकास किया गया था। आखिरकार मेहनत सफल हुई और 150 साल बाद कॉट्सवोल्ड की पहाड़ियों पर करीब 750 से नजर आईं जिन्हें देखकर पर्यावरणविद बेहद खुश हैं।
एक छोटी सी चीटीं पर निर्भरग्लॉस्टरशेयर में इन कारनामे को कर दिखाने के पीछे प्रफेसर जेरेमी थॉमस और डेविड सिमकॉक्स की सालों की मेहनत है। इस तितली के लार्वा से बनने के लिए लाल चींटी Myrmica sabuleti की बड़ी भूमिका है। इसलिए पहले ऐसा मैदान बनाया गया जहां ये चींटी पनप सके। इसके लिए यहां गायें लाई गईं जो जिनके चरने से खास घास पैदा हुई और चीटियां पनपने लगीं। ये चीटियां ही लार्वा को अपना समझकर अपने साथ रखती हैं और पालती हैं।