कोरोना को हराने की कहानी / कैम्ब्रिज की स्टूडेंट बोलीं- कोरोना से सिर्फ 3% लोगों की जान जाती है

काेराेनावायरस काे हराकर साेनीपत की तमन्ना जैन घर लौट आईं। वे यूके से 18 मार्च को घर लौटी थीं। जब कोरोना से संक्रमित होने का संदेह हुआ तो खुद ही जांच कराई। इलाज के दौरान पूरे समय पॉजिटिव सोच बनाए रखी। तमन्ना ने अस्पताल में बिताए 14 दिन का तजुर्बा साझा किया। तमन्ना ने कहा, ‘‘मैं यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से मास्टर इन अप्लाइड मैथेमेटिक्स की पढ़ाई कर रही हूं। 18 मार्च काे यूके से घर लौटी थी।

Dainik Bhaskar : Apr 04, 2020, 12:49 PM
सोनीपत | काेराेनावायरस काे हराकर साेनीपत की तमन्ना जैन घर लौट आईं। वे यूके से 18 मार्च को घर लौटी थीं। जब कोरोना से संक्रमित होने का संदेह हुआ तो खुद ही जांच कराई। इलाज के दौरान पूरे समय पॉजिटिव सोच बनाए रखी। तमन्ना ने अस्पताल में बिताए 14 दिन का तजुर्बा साझा किया।

यकीन था- डॉक्टर मुझे कुछ नहीं होने देंगे

तमन्ना ने कहा, ‘‘मैं यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज से मास्टर इन अप्लाइड मैथेमेटिक्स की पढ़ाई कर रही हूं। 18 मार्च काे यूके से घर लौटी थी। मुझे कोरोनावायरस के बारे में पता था, इसलिए घर से बाहर नहीं गई। अपने कमरे में रही। जब शरीर अस्वस्थ लगा ताे अगले दिन खुद ही जांच के लिए अस्पताल पहुंची। काेराेनावायरस की रिपोर्ट जब पाॅजिटिव आई ताे एक बार मन में आया कि गंभीर बीमारी से जूझ रही हूं, लेकिन पता था कि मैं वक्त रहते सामने आ गई हूं। इसलिए डॉक्टर मुझे कुछ होने नहीं देंगे।’’

14 दिन नकारात्मक विचार नहीं आने दिए

‘‘मैंने खुद साहस बनाए रखा। परिवार के लोगों ने भी हौसला बढ़ाया। इसी वजह से 14 दिन तक मन में एक बार भी नकारात्मक विचार नहीं आने दिए। इसके लिए ध्यान शुरू कर देती थी। इससे साेच पाॅजिटिव बनाए रखी। लगता था कि कोरोनावायरस से कुछ गलत नहीं हाेने वाला है, क्योंकि करीब तीन फीसदी लोगों की ही जान जाती है। खानपुर मेडिकल काॅलेज के जिस वॉर्ड में भर्ती थी, वहां सुबह और शाम केबिन में टहल लेती थी। खुद को व्यस्त रखने के लिए ध्यान लगा लेती थी। इसके साथ अपने सब्जेक्ट से जुड़ी बातें पढ़ती रहती थी। 14 दिन में शरीर में काेई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। यह सब नॉर्मल फ्लू की तरह ही था।''

हेल्दी डाइट का रखा ध्यान

‘‘मैं संतरा, कीवी, केला, सेब, दलिया और दाल खाती थी। इसके साथ विटामिन सी की टेबलेट लेती थी। हेल्दी डाइट, समय पर सूचना और पॉजिटिव सोच काेराेना काे हराने में कारगर साबित हुई। डाॅक्टराें और स्टाफ नर्स ने भी बहुत हाैसला बढ़ाया। मुझे अस्पताल के कैंटीन से ही खाने की सारी चीजें समय पर मिलती रहीं। मेरा यही कहना है कि इस बीमारी का खौफ न रखें। ऐसा नहीं है कि इसका इलाज नहीं है। आपकी इच्छाशक्ति, आपका दृढ़ संकल्प ही आपको जल्द स्वस्थ करता है। आपको हिम्मत से काम लेना है, भावनाओ में नहीं बहना। पाॅजिटिव साेच बनाए रखनी चाहिए। डॉक्टरों की कही बातों काे पूरी तरह मानना है। इन सबसे जरूरी बात यह है कि बहुत जरूरी हो तो ही बाहर निकलें। घर में जितनी बार भी बाहर से लाैटें, हाथ ठीक से जरूर धाेएं। साेशल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें। किसी पड़ाेसी के घर पर भी न जाएं। निकलें तो मास्क लगाकर निकलें।’’

विदेश से आए लोग छिपकर न रहें 

‘‘विदेश से आए लाेग अपनी डिटेल न छुपाएं। सूचना प्रशासन काे दें, ताकि मदद पाने में आसानी हाे। ऐसा नहीं करेंगे तो अपनों को ही संकट में डालेंगे। ऐसे लोग खुद काे अपने घर में क्वारैंटाइन करें। अस्वस्थ हाेने पर तुरंत स्वास्थ्य विभाग काे सूचित करें, ताकि मदद मिल सके। मित्राें काे घर पर ने बुलाएं। हेल्दी डाइट लें। किसी के बहकावे में आकर कुछ गलत न खाएं।’’