Corona myths and facts / क्या धूल की तरह हवा में घुलकर बाद में भी संक्रमित कर सकता है कोरोना, जानें जवाब

NavBharat Times : Aug 12, 2020, 04:15 PM
Delhi: दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) शुरू से ही कह रहा है कि कोविड-19 महामारी मरीज की सांसों से भी फैलती है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि आप अगर किसी मरीज के करीब कई मिनटों तक साथ रहते हैं तभी उसकी सांसों के जरिए आपको भी कोरोना का संक्रमण हो सकता है। अगर आप मरीज से 6 फूट दूर हैं और मास्क पहने हैं तो मरीज के खींसने या छींकने के बाद भी आप सुरक्षित हैं क्योंकि मुंह या नाक से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स हवा में बेहद कम दूरी तय कर पाते हैं और तुरंत जमीन पर गिर जाते हैं।

​दो उदाहरण जब काम नहीं आई WHO की सलाह

कई बार यह सलाह काम नहीं आती है। एक चीनी रेस्त्रां में एसी से निकल रही दूषित हवा से तीन अलग-अलग टेबल पर बैठे लोगों को संक्रमित कर दिया। अमेरिका में गायकों के एक समूह (Choir) के 52 सदस्य कोविड-19 महामारी के शिकार हो गए क्योंकि उन्होंने एक हॉल में साथ में ही अभ्यास किया था। दूसरे देशों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं और ऐसा लगने लगा है कि मानो कोरोना वायरस हवा में टिका रह सकता है।


​WHO ने मानी एयरबॉर्न स्प्रेड की आशंका

पिछले महीने 239 वैज्ञानिकों और इंजनियिरों ने खुली चिट्ठी लिखकर डब्ल्यूएचओ से कोविड के एयरबॉर्न स्प्रेड की आशंका स्वीकार करने की मांग की। उसके बाद डब्ल्यूएचओ ने सहमति दे दी और कहा कि बेहद करीब में हवा के जरिए कोरोना वायरस का संक्रमण (short-range aerosol transmission) संभव है। इसका मतलब है कि कुछ परिस्थितियों में आप किसी मरीज से सटे बिना या मरीज के छींकने या खांसने के बिना भी सिर्फ करीब होने के कारण संक्रमित हो सकते हैं। ध्यान रखिए कि डब्ल्यूएचओ ने यह नहीं कहा कि यह कोरोना के संक्रमण का मुख्य जरिया है बल्कि इसकी सिर्फ आशंका जताई।


​समझें क्या हैं ड्रॉपलेट्स और एयरोसॉल्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस सलाह में कई शर्तें हैं। इसमें कहा गया है कि अगर कमरों में हवा गुजरने (वैंटिलेशन) की व्यवस्था नहीं हो या अच्छी व्यवस्था नहीं हो और वहां लोगों की भीड़ ज्यादा वक्त तक इकट्ठी रहे तो एक से दूसरे में कोरोना का संक्रमण हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने एयरोसॉल ट्रांसमिशन की बात भी की है। एयरोसॉल का मतलब क्या होता है? आधुनिक वैज्ञानिक ड्रॉपलेट्स और एयरोसॉल्स को एक ही मानते हैं। एयरोसॉल हवा में घुला ठोस पदार्थ का एक कण होता है और एक ड्रॉपलेट हवा में घुला एक तरल पदार्थ का एक कण होता है। लेकिन डब्ल्यूएचओ कहता है कि किसी ड्रॉपलेट को एयरोसॉल तभी कहा जा सकता है जब वो आकार में 5 माइक्रोन्स से छोटा हो। एक माइक्रोन एक मिलिमीटर का हजारवां भाग होता है। हालांकि, इसी आकार में 10 कोरोना वायरस एक-दूसरे से चिपके रह सकते हैं। इंसान के बाल की चौड़ाई करीब 50 माइक्रोन होती है।


​तब 6 फीट की दूरी का फॉर्म्युला भी फेल

जब बहुत छोटे ड्रॉपलेट्स मरीज के मुंह या नाक से निकलते हैं तो वो जमीन पर गिरने से पहले वाष्प बनकर हवा में पूरी तरह घुल सकते हैं। तब मरीज से निकले वायरस धूल की तरह हवा में मिल जाते हैं। यही तैरते हुए वायरस उन लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं जो मरीज से 6 फीट से भी ज्यादा दूरी पर हों।


कौन से रोगाणु कितने संक्रमणकारी?

वैज्ञानिकों को महीनों यह सवाल सताता रहा कि क्या कोरोना वायरस जमीन पर गिर जाते हैं या धूल की तरह हवा में तैरते रहते हैं। जो रोगाणु (Germs) धूल की तरह हवा में घुल जाते हैं वो बेहद संक्रमणकारी होते हैं। मसलन, मीजल्स, चिनकपॉक्स और ट्युबरकुलोसिस (टीबी) के रोगाणु। यही कारण है कि मीजल्स का हर मरीज 12 से 18 लोगों को संक्रमित कर देता है। जो बीमारियां भारी-भरकम ड्रॉपलेट्स से फैलती हैं, उनके रोगाणु कम संक्रमणकारी होते हैं। मसलन, फ्लू, कॉमन कोल्ड और हूपिंग कफ। कोरोना वायरस आम तौर पर भारी ड्रॉपलेट्स वाले रोगाणुओं जैसा ही व्यवहार करता है। इसलिए, इसे एयरबॉर्न कहना कुछ हद तक उचित नहीं है।


​बातचीत से भी फैलता है कोरोना

मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT) के शोधकर्ताओं ने कहा कि खांसी या छींक से निकले ड्रॉपलेट्स 20 फीट तक की दूरी तय कर सकते हैं। बातचीत के दौरान भी मुंह से ड्रॉपलेट्स निकलते हैं, लेकिन बेहद महीन जो हवा में 10 मिनट या उससे ज्यादा देर तक रह सकते हैं। वायरस भी माइक्रोस्कॉपिक ड्रॉपलेट्स में घुले हो सकते हैं जो मरीजों के सामान्य रूप से सांस लेने और छोड़ने के दौरान निकलते हैं। इसलिए, चारों तरफ से घिरी जगह, मसलन किसी हॉल, दुकान या ऑफिस की हवा में मौजूद वायरस कई बार दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।


​बस इतनी सी सतर्कता और जोखिम कम

कुल मिलाकर इतना कहा जा सकता है कि अगर आप अपनी बालकनी में चाय पी रहे हैं तो आपको कोविड नहीं हो जाएगा। आपको बंद जगहों पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है। भीड़भाड़ से बचने की जरूरत है। घर में रौशनदान की व्यवस्था बेहतर करने की दरकार है। लोगों के चीखने-चिल्लाने, गाना गाने या फिर सामान्य बातचीत करने से वायरस के फैलने का रिस्क बढ़ जाता है। इसलिए, अगर ऐसी किसी जगह जा रहे हों तो अच्छी क्वॉलिटी का मास्क पहनें, वहां से जल्दी निकलने की कोशिश करें और लौटकर साफ-सफाई के सारे नियमों का पालन करें।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER