Special / क्‍या वाकई पुरुषों में भी हो सकती है प्रेग्‍नेंसी? इस सिंड्रोम को समझना है जरूरी

Zoom News : Jun 08, 2021, 08:47 PM
Special | इसे पिता का अपनी प्रेग्नेंट पार्टनर और होने वाले बच्चे की तरफ बहुत ज्यादा भावनात्मक लगाव से ही जोड़ कर देखा जाता है। इसके अलावा हार्मोनल बदलाव भी कुछ हद तक इस सिंड्रोम के जिम्मेदार हैं।

महिला पार्टनर का पड़ता है असर

मेडिकल साइंस में इसे 'सहानुभूति गर्भावस्था' (Sympathetic pregnancy) कहा जाता है। अपने महिला पार्टनर की प्रेग्नेंसी का असर इन पुरुषों पर इस कदर होता है कि वो पार्टनर को महसूस होने वाले सारे लक्षण खुद भी महसूस करने लगते हैं। मेडिकल रूप से इसे अभी तक किसी भी तरह का डिसऑर्डर नहीं माना गया है।

लंदन में रिसर्च

इंग्लैंड की राजधानी लंदन के सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल की एक स्टडी के मुताबिक, कौवॉड सिंड्रोम होने पर पुरुषों को महिलाओं के जैसे ही पेट में दर्द, पेट फूलना, पीठ में दर्द, आलस आना, मॉर्निंग सिकनेस, दांत में दर्त, ज्यादा भूख लगने जैसे प्रेग्नेंसी के लक्षण महसूस होते हैं। यही नहीं, उनमें डिप्रेशन, मूड में बदलाव, सुबह जल्दी उठना, तनाव और यादाश्त कमजोर होने जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं।

सिंड्रोम का पैटर्न है तय

ये सिंड्रोम प्रेग्नेंसी के पैटर्न पर ही चलता है। ये प्रेग्नेंसी के पहली तिमाही में शुरू होता है, दूसरे में अस्थायी रूप से चला जाता है और अंतिम तिमाही में फिर से इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। बच्चे के पैदा होने के बाद भी कुछ दिनों तक ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक वजह

कौवॉड सिंड्रोम की एक थ्योरी के मुताबिक, कभी-कभी पुरुष होने वाले बच्चे को अपने प्रतिद्वंद्वी का तरह देखते हैं क्योंकि उन्हें अपनी मां का ध्यान ज्यादा मिलता है। वहीं मनोवैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि कौवॉड सिंड्रोम एक सुरक्षात्मक कवच की तरह है क्योंकि इसमें पुरुष अपने पार्टनर और होने वाले बच्चे से बहुत ज्यादा लगाव रखते हैं और उनका हर तरीके से ख्याल रखने लगते हैं।

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