विश्व / चीन ने रूसी फाइटरजेट सुखोई एसयू-35 में लगाया ऐसा खास हथियार, अमेरिका के भी छूटे 'पसीने'

AMAR UJALA : Oct 16, 2019, 08:43 PM
वर्ल्ड डेस्क | चीनी सेना के पास अमेरिका के अत्याधुनिक हथियारों की कार्बन कॉपी तो है ही, साथ ही उनके पास जे-20 जैसे एडवांस टेक्नोलॉजी वाले लड़ाकू विमान भी हैं। चीन के इस लड़ाकू जहाज की खासियत है कि यह रडार को चकमा देने में सक्षम है। वहीं चीन के पास रूस का चौथी पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट सुखोई एसयू-35 फ्लैंकर-ई भी है। चीन ने रूस से हासिल इस लड़ाकू विमान में ऐसी खास मिसाइलें लगाई हैं, जिससे अमेरिका के भी पसीने छूट रहे हैं।

निकट दक्षिण चीन सागर में किया अभ्यास

सुखोई एस-35 मल्टीपर्पज फाइटर जेट है, जो हवाई युद्ध के अलावा जमीनी और सतह को भी निशाना बना सकता है। वहीं इस जहाज के आने से चीनी सेना की क्षमता में काफी बढ़ोतरी हुई है। हाल ही में चीन ने ताइवान के निकट दक्षिण चीन सागर में अभ्यास के दौरान इस जहाज का इस्तेमाल किया था, जिससे ताइवान की परेशानी बढ़ना तय थी। वहीं ताइवान के हर रुख पर अब चीन की नजर है।

लगाई लंबी रेंज वाली एयर-टू-एयर मिसाइल

ताइवान की परेशानी इस बात है कि चीन ने सुखोई एसयू-35 में लंबी रेंज वाली एयर-टू-एयर मिसाइल पीएल-15 लगा दी हैं। जे-20 के बाद चीन के पास सुखोई-35 ही है जिस पर वह सबसे ज्यादा भरोसा कर सकता है। असल में स्टील्थ फाइटर जे-20 अभी प्रायोगिक अवस्था में ही है, हालांकि यह सही है कि जे-20 ने ऑपरेशन क्षमता के कई मानकों पूरा किया है, लेकिन अभी भी उसके कुछ और टेस्ट किए जाने हैं, जिसके बाद उसे सेना में शामिल किया जाएगा।

दूर से ही रिफ्यूल टैंकरों पर निशाना

वहीं सुखोई-35 में पीएल-15 मिसाइल सिस्टम लगने बाद वह और घातक हो गया है। अपनी लंबी दूरी की क्षमता के चलते पीएल-15 मिसाइलों से चीन अमेरिका के हवा में ही ईंधन भरने वाले रिफ्यूल टैंकरों पर निशाना लगा सकता है, इसके अलावा एयर ऑपरेशंस में जरूरी ई-3 अवाक्स (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) जैसे टोही विमानों को भी निशाना बना सकता है।

300 किमी तक की रेंज से निशाना

आईआईएसएस मिलिट्री एनालिस्ट डोग बैरी की लिखी किताब वॉर ऑन रॉक्स में अमेरिकी जनरल हॉक कारलिस्ले का हवाला देते हुए लिखा है कि पीएल-15 वास्तव में चिंता का विषय है। उनकी गहरी चिंता इस बात को लेकर है कि 300 किमी तक की इतनी ज्यादा रेंज होने के अलावा इस मिसाइल सिस्टम में एडवांस इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन राडार लगा है, जो एक जंगी जहाज को व्यस्त करने के लिए काफी है। इसकी यही खासियत इसे पश्चिमी देशों की एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम से अलग बनाती है। वहीं पश्चिमी देशों की मिसाइलें कई बार लक्ष्य से चूक भी जाती हैं।  

अधिकतम रफ्तार मैक 4

चीन ने सबसे पहले चेंगदु जे-10सी फाइटर जेट भी पीएल-10 और पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम लगाया था। चीन के 607 इंस्टीट्यूट में विकसित पीएस-15 या पी ली या थंडरबोल्ट के नाम से मशहूर बियोंड-विजुअल-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (BVRAAM)  श्रेणी की है। जिसमें डुअल-पल्स रॉकेट मोटर लगी है और इसकी अधिकतम रफ्तार मैक 4 है और 300 किमी तक की दूरी तय कर सकती है। यहां तक कि यह टैंकर और एरियल व्हीकल्स तक को निशाना बना सकती है।

पीएल-15 के खौफ का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि एफ-16 जैसे विमान बनाने वाली लॉकहीड मार्टिन अमेरिकी एयरफोर्स के लिए एडवांस एयर-टू-एयर मिसाइल डेवलप करने की तैयारी कर रहा है। जिसकी रेंज 260 मील यानी 418 किमी के आसपास होगी। कंपनी इस मिसाइल को एफ-22 और एफ-35 जैसे फाइटर जेट्स में लगाएगी।        

अब 400 किमी रेंज वाली मिसाइल की टेस्टिंग

ऐसा नहीं है कि चीन इन लंबी रेंज की एयर-टू-एयर मिसाइल बनाने का बाद शांत हो कर बैठ गया है, बल्कि यह प्रक्रिया बदस्तूर जारी है। खबरें ये भी हैं कि चीन ने एसयू-35 के मुकाबले अपने देसी जंगी एयरक्राफ्ट जे-16 फ्लैंकर में भी यह सिस्टम लगा दिया है। वहीं चीन अब इससे भी लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल बनाने में जुटा हुआ है और इसकी टेस्टिंग भी जारी है। एनालिस्ट डोग बैरी लिखते हैं कि 2016 के आखिर में कुछ तस्वीरें प्रकाशित हुई थीं जिसमें शेनयांग जे-16 फ्लैंकर में दो बड़ी मिसाइलों के साथ दिखाई दे रहा था।

इन मिसाइलों के डिजाइन देख कर लग रहा था कि ये बेहद लंबी दूरी वाली एयर-टू-एयर मिसाइल हैं, जिसकी रेंज 400 किमी तक है। जिसका मतलब है कि चीन अपने ही इलाके से प्रतिद्वंदी देश के टैंकर्स, अवाक्स, इंटेलीजेंस सर्विलांस को निशाना बना सकता है।      

क्या है एसयू-35 फ्लैंकर-ई की खासियतें

फ्लैंकर ई इस समय रूस के टॉप फाइटर जेट एयरक्राफ्ट में से एक है। चौथी पीढ़ी का होने के बावजूद इसमें कई खासियतें हैं। हालांकि अमेरिका के एफ-35 से मुकाबले में यह कमजोर है। वहीं रूस ने पांचवी पीढ़ी का पाक-एफए स्टेल्थ फाइटर भी बना लिया है, जो फिलहाल प्रोडक्शन में है। एसयू-35 की तुलना अमेरिका के एफ-15 ईगल, एफ-15एस, यूरोफाइटर्स और राफेल से की जा सकती है। ट्विन इंजन वाले एसयू-35 मल्टीरोल फाइटर है और डॉगफाइट में बेजोड़ है।

हाई-एल्टीट्यूड पर 2.25 मैक की स्पीड

2003 में सुखोई के सब-कॉन्ट्रैक्टर कोमसोमोलस्क-ऑन-अमूर-एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन एसोसिएशन (KnAAPO) ने इसका निर्माण शुरू किया था। वहीं इसका पहला प्रोटोटाइप 2007 में और उत्पादन 2009 में शुरू हुआ। वहीं इसमें सैटर्न AL-41F1S टर्बोफैन इंजन लगा है। एफ-22 रैप्टर अकेला जेट है जिसमें यही टेक्नोलॉजी लगी हुई है। वहीं एसयू-35 हाई-एल्टीट्यूड पर 2.25 मैक की स्पीड हासिल कर सकता है। वहीं एफ-15एस और एफ-22 की तरह यह 60 हजार फीट तक उड़ सकता है, जबकि सुपर हॉर्नेट्स, राफेल और एफ-35एफ 50 हजार फीट तक उड़ सकते हैं। वहीं इंटरनल फ्यूल टैंक्स पर यह 2,200 मील यानी 3,540 किमी और दो एक्सटर्नल फ्यूल टैंक्स पर 4,506 किमी की दूरी तय कर सकता है।

रूसी सेना में फिलहाल 48 एसयू-35

वहीं यह हल्के टाइटेनियम एयरफ्रेम से निर्मित है और पुरानी पीढ़ी के जहाजों के मुकाबले इसके इंजन की लाइफ ज्यादा है। इसका क्षमता छह हजार और 4,500 उड़ान घंटे जबकि एफ-22 और एफ-35 की क्षमता 8,000 उड़ान घंटे है। हालांकि इसमें रडार को चकमा देने की क्षमता नहीं है, लेकिन कंपनी का दावा है कि इंजन इनलेट्स, कैनोपी और रडार शोषक मैटेरियल का प्रयोग करके इसे स्टील्थ फाइटर बनाया जा सकता है।

वहीं इसमें लंबी दूरी वाली  के-77एम राडार गाइडेड मिसाइल्स (AA-12 Adder) मिसाइल लगाई जा सकती है जिसकी रेंज 193 किमी है। इसमें हथियार लगाने के लिए 12 से लेकर 15 पाइंट्स दिये गए हैं, जबकि एफ-15सी और एफ-22 में यह संख्या आठ है। इसमें शॉर्ट रेंज के अलावा मीडियम रेंज वाली मिसाइलें भी लगाई जा सकती हैं। रूसी सेना में फिलहाल 48 एसयू-35 हैं, जबकि 50 अभी ऑर्डर स्टेज पर हैं। कंपनी हर साल केवल 10 एसयू-35 ही बना सकती है। वहीं रूस ने इनकी तैनाती सीरिया में भी की है।

चीन ने 24 एसयू-35 का ऑर्डर किया था और माना जा रहा है कि वह अपने डिजाइन में एसयू-35 के विशेष थ्रस्ट वेक्टर इंजन की कापी करेगा। चीनी सेना के पहले से ही एसयू-27 की कापी शेनयांग जे-11 है।

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