बिज़नेस / भारत के एफडीआई नियम में सख्ती पर भड़का चीन, बताया WTO सिद्धांतों के खिलाफ

भारत द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियम में बदलाव पर चीन भड़क गया है। चीन ने इसे विश्व व्यापार संगठन के नियमों के खिलाफ बताया है। नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि कुछ खास देशों से प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।

AajTak : Apr 20, 2020, 07:53 PM
बिज़नेस डेस्क | भारत द्वारा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के नियम में बदलाव पर चीन भड़क गया है। चीन ने इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के खिलाफ बताया है। नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि कुछ खास देशों से प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।

अधिकारी ने कहा कि ‘अतिरिक्त बाधाओं’ को लागू करने वाली नई नीति G-20 समूह में निवेश के लिए एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी वातावरण के लिए बनी आम सहमति के खिलाफ भी है।

क्या किया था भारत सरकार ने

गौरतलब है कि भारत सरकार ने हाल में एफडीआई नियमों में बदलाव करते हुए कहा था कि भारत के साथ जमीन सीमा साझा करने वाले देशों की किसी भी कंपनी या व्यक्ति को भारत में किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी। इस फैसले से चीन जैसे देशों से होने वाले विदेशी निवेश पर असर पड़ेगा।

क्यों लिया फैसला?

सरकार का यह फैसला बेहद अहम है। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न नाजुक परिस्थितियों का फायदा उठाकर पड़ोसी देशों की विदेशी कंपनियां घरेलू कंपनियों का अधिग्रहण न कर लें।

अब तक बांग्लादेश और पाकिस्तान से होने वाले निवेश के लिए ही सरकार की अनुमति की जरूरत थी। भारत सरकार ने कोविड-19 महामारी की वजह से भारतीय कंपनियों का 'अवसरवादी तरीके से टेकओवर/अधिग्रहण' को रोकने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से जुड़ी नीतियों की समीक्षा के बाद यह फैसला किया।

क्या कहा चीन के प्रवक्ता ने?

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, चीनी दूतावास के प्रवक्ता जी रोंग ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय पक्ष द्वारा विशिष्ट देशों से निवेश के लिए लगाई गई अतिरिक्त बाधाएं डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांन्त का उल्लंघन करती हैं, और उदारीकरण तथा व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।'