India-US Relation / चीन को भारी पड़ेगी भारत-अमेरिका की यारी, होने जा रही छह सर्विलांस एयरक्राफ्ट की डील

NavBharat Times : Jul 25, 2020, 07:46 AM
नई दिल्‍ली: चीन के साथ बॉर्डर पर हालात देखते हुए भारत ने डिफेंस डील्‍स में तेजी लाना शुरू कर दिया है। अमेरिका से छह और पोसाइडन (P-8I) एयरक्राफ्ट खरीदने की तैयारी है। लॉन्‍ग रेंज वाले यह एयरक्राफ्ट पहले से भारतीय नेवी यूज कर रही है। इनमें खास रडार से लेकर इलेक्‍ट्रोऑप्टिक सेंसर्स लगे होते हैं। साथ ही ये हारपून ब्‍लॉक-II और एमके-54 लाइटवेट टारपीडो से लैस हैं। फिलहाल इनका इस्तेमाल हिंद महासागर के अलावा पूर्व लद्दाख में भी सर्विलांस मिशन के लिए हो रहा है। भारत ने अमेरिका से प्रीडेटर-बी आर्म्‍ड ड्रोन्‍स की खरीद को भी फास्‍ट-ट्रैक किया है।


पहले से ही चार आने बाकी

P-8I एयरक्राफ्ट्स को बोइंग बनाती है। जनवरी 2009 में 2.1 बिलियन डॉलर का सौदा हुआ था। नेवी आठ P-8I एयरक्राफ्ट्स को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है, अगले चार दिसंबर से डिलीवर होने शुरू हो जाएंगे। इनके लिए जुलाई 2016 में अलग से 1.1 बिलियन डॉलर का कॉन्‍ट्रैक्‍ट साइन हुआ था। डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, करीब 1.8 बिलियन डॉलर में छह और P-8Is के लिए 'लेटर ऑफ रिक्‍वेस्‍ट' जारी कर दिया गया है। यह सौदा पेंटागन के फॉरेन मिलिट्री सेल्‍स प्रोग्राम के तहत होगा। एक सूत्र ने कहा कि अमेरिका काग्रेस के अप्रूवल के बाद 'लेटर ऑफ एक्‍सेप्‍टेंस' भेजेगा। सौदा अगले साल की शुरुआत तक हो जाने की उम्‍मीद है।सोमवार को आ सकता है राफेल

फ्रांस के घातक लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेप इस हफ्ते भारत पहुंच रही है। खबर है कि चीन से तनातनी को देखते हुए राफेल को लद्दाख सेक्‍टर में तैनात किया जा सकता है। पहले चार विमान ही आने वाले थे मगर एयरफोर्स की रिक्‍वेस्‍ट पर फ्रांस ने छह राफेल 27 जुलाई तक देने को कहा है। लद्दाख में भारत दिन हो या रात, सर्दी हो या बारिश, हर मौसम में हर वक्‍त हमला करने की क्षमता डेवलप कर रहा है। राफेल इसमें उसका बड़ा हथियार साबित होगा। इस लड़ाकू विमान में Meteor की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल भी लगकर आएगी।


डिफेंस पर खर्च में तीसरे नंबर पर भारत

भारत का रक्षा बजट (71.1 अरब डॉलर) दुनिया में तीसरे नंबर पर है। टॉप-5 देशों की लिस्ट में पहले नंबर पर अमेरिका आता है। दूसरे नंबर पर चीन, उसके बाद भारत, रूस और सऊदी अरब का नंबर आता है। 2019 में अमेरिका का रक्षा बजट 732 अरब डॉलर रहा। उसी साल चीन का कुल रक्षा बजट 261 अरब डॉलर था। रूस का रक्षा बजट 65.1 अरब डॉलर है, वहीं सऊदी का डिफेंस बजट 61.9 अरब डॉलर है।

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