India-China / तीस्ता के बहाने बांग्लादेश में पांव पसारने में जुटा है चीन, भारत की बढ़ी चुनौती

AMAR UJALA : Aug 22, 2020, 09:19 AM
Delhi: भारत के पड़ोसियों को साधने में जुटा चीन अब तीस्ता नदी के बहाने बांग्लादेश में पांव पसारने में जुट गया है। दरअसल, चीन ने बांग्लादेश को करीब 7500 करोड़ रुपये (एक अरब डॉलर) का कर्ज देने की बात की है जो तीस्ता नदी के पानी की बेहतर व्यवस्था और सिंचाई परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा। चीन ने यह पेशकश उस वक्त की है, जब पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उसके साथ भारत की तनातनी चल रही है।

नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका को साधने के बाद चीन की निगाह अब बांग्लादेश पर है। तीस्ता उन 54 नदियों में से एक है जो बंगाल की खाड़ी में बहने से पहले बांग्लादेश में जाती है। ऐसे में बांग्लादेश को कर्ज देकर चीन भारत के खिलाफ एक नई साजिश रच सकता है। वह भारत के सहयोगियों में से एक को नियंत्रित कर अपनी ओर कर सकता है।

तीस्ता बांग्लादेश की चौथी सीमा पार वाली बड़ी नदी है। बांग्लादेश में कम से कम 2.1 करोड़ लोग तीस्ता नदी पर निर्भर हैं। दिसंबर में काम शुरू होने की उम्मीद के साथ चीन नदी प्रबंधन परियोजना के लिए बांग्लादेश की मदद कर रहा है। इस मदद से गर्मी के दिनों में नदी के जलस्तर को बनाए रखने में बांग्लादेश अहम कदम उठा सकेगा।

यह भी कहा जा रहा है कि जल को लेकर भारत के साथ समझौता नहीं हो पाने के बाद यह आर्थिक मदद कारगर सिद्ध होगा। हालांकि, चिंता की बात यह है कि जिस तीस्ता नदी के प्रोजेक्ट के लिए चीन बांग्लादेश को कर्ज दे रहा है उसकी उत्पत्ति भारत में है। यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश करने से पहले सिक्किम और पश्चिम बंगाल से होकर बहती है।

 

तीस्ता विवाद

414 किमी लंबी तीस्ता हिमालय में 7,096 मीटर ऊपर स्थित पाहुनरी ग्लेशियर से निकलती है। यहां से यह सिक्किम में प्रवेश करती है और फिर पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश चली जाती है, जहां यह ब्रह्मपुत्र नदी से मिल जाती है। ब्रह्मपुत्र आगे जाकर पद्मा नदी से मिलती है। गंगा नदी को बांग्लादेश में पद्मा कहते हैं। पद्मा आगे जाकर मेघना नदी से मिलती है और मेघना नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इस नदी को लेकर विवाद वास्तव में जल के बंटवारे को लेकर है।

बांग्लादेश चाहता है कि नदी का पानी चूंकि भारत से होते हुए उनके देश में आ रहा है, इसलिए भारत हिसाब से पानी खर्च करे, ताकि उनके यहां पहुंचने तक नदी में जलस्तर बना रहे। वहीं, भारत में पश्चिम बंगाल का कहना है कि पानी इतना नहीं है कि वह उसे बांग्लादेश के मन मुताबिक हिसाब से बांट सके। सबसे पहले 1983 में एक समझौते की कोशिश हुई जिसमें पानी के आधे-आधे बंटवारे का प्रस्ताव किया गया, मगर उस पर बात बनी नहीं, उसका पालन नहीं हो सका।

2011 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जल बंटवारे को लेकर एक समझौता जरूर हुआ, मगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के चलते यह समझौता ठंडे बस्ते में चला गया। 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और 2015 में वो ढाका दौरे पर गए तो एक बार फिर तीस्ता समझौते का एक नया प्रस्ताव रखा, मगर बात फिर ममता बनर्जी के अहं वाले मुद्दे पर आकर अटक गई।

 

दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार बांग्लादेश

बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते काफी महत्वपूर्ण है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा कारोबारी भागीदार बांग्लादेश है। 2018-19 में तकरीबन 67 हजार करोड़ रुपये का भारत ने बांग्लादेश को निर्यात किया था। वहीं, इसी दौरान तकरीबन 7600 करोड़ रुपये का आयात बांग्लादेश से किया गया था।

भारत हर साल बांग्लादेशी नागरिकों के लिए करीब 20 लाख वीजा जारी करता है। इनमें भारत में इलाज कराने वाले, पर्यटक और पढ़ाई करने वाले छात्र शामिल हैं।


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