AajTak : Apr 15, 2020, 02:19 PM
दिल्ली: जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट के बीच जूझ रही है। इस कोरोना के महासंकट के बीच चीन का अमानवीय चेहरा सामने आया है। चीन ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में बहने वाली मेकांग का बहाव कम कर दिया है। इससे चार देशों में सूखा पड़ गया है। इनमें थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।
माना जाता है कि भारत में जो स्थान गंगा और ब्रह्मपुत्र का है ठीक वैसे ही दक्षिण पूर्व एशिया में मेकांग नदी का भी है। मेंकाग नदी में पानी का बहाव कम होने से थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देश सूखे का सामना कर रहे हैं। सूखे से बेहाल इन देशों के किसानों और मछुआरों की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें मजबूरन प्रर्दशन करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि चीन के इस कदम से किसानों और मछुआरों में काफी गुस्सा है।
इस नदी से करोड़ों किसानों और मछुआरों की आजीविका चलती है। नदी के आसपास रहने वाले किसान और मछुआरे मेकांग नदी के पानी पर निर्भर रहते हैं। लेकिन चीन के मेकांग का बहाव कम कर करने की वजह से पानी में लगातर कमी आ रही है और सूखा पड़ रहा है। चीन में बांध बनने की वजह से मेकांग नदी सूखती जा रही है।
बताया जा रहा है कि फरवरी में चीन ने विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि वह किसानों के दर्द को समझते हैं। उन्होंने दावा किया था कि मेकांग नदी में पानी कम हो रहा है जिसकी वजह से चीन इस साल सूखे का सामना कर रहा है। वहीं चीन के दावे के उलट अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं जब चीन सूखे का सामना कर रहा है।
अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिकों ने बताया कि मेकांग नदी तिब्बत के पठार से निकलती है जहां चीनी इंजीनियरों ने पानी के बाहव को धीमा कर दिया है। अपनी शोध रिपोर्ट में इस बात का खुलासा करने वाले एलन बसिष्ट का कहना है कि सैटेलाइट से मिले आंकड़े झूठ नहीं बोलते हैं और तिब्बत के पठार पर भी विशाल जल राशि मौजूद है।
एलन बसिष्ट ने बताया कि कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश पानी के संकट से जूझ रहे हैं। दरअसल चीन ने बड़े पैमाने पर मेकांग नदी का पानी अपने पास रोक लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि इस साल फरवरी के आखिर दिनों में चीन कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा था तभी चीन के विदेश मंत्री को अचानक लाओस जाना पड़ गया था।
माना जाता है कि भारत में जो स्थान गंगा और ब्रह्मपुत्र का है ठीक वैसे ही दक्षिण पूर्व एशिया में मेकांग नदी का भी है। मेंकाग नदी में पानी का बहाव कम होने से थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देश सूखे का सामना कर रहे हैं। सूखे से बेहाल इन देशों के किसानों और मछुआरों की हालत इतनी खराब हो गई है कि उन्हें मजबूरन प्रर्दशन करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि चीन के इस कदम से किसानों और मछुआरों में काफी गुस्सा है।
इस नदी से करोड़ों किसानों और मछुआरों की आजीविका चलती है। नदी के आसपास रहने वाले किसान और मछुआरे मेकांग नदी के पानी पर निर्भर रहते हैं। लेकिन चीन के मेकांग का बहाव कम कर करने की वजह से पानी में लगातर कमी आ रही है और सूखा पड़ रहा है। चीन में बांध बनने की वजह से मेकांग नदी सूखती जा रही है।
बताया जा रहा है कि फरवरी में चीन ने विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि वह किसानों के दर्द को समझते हैं। उन्होंने दावा किया था कि मेकांग नदी में पानी कम हो रहा है जिसकी वजह से चीन इस साल सूखे का सामना कर रहा है। वहीं चीन के दावे के उलट अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं जब चीन सूखे का सामना कर रहा है।
अमेरिकी जलवायु वैज्ञानिकों ने बताया कि मेकांग नदी तिब्बत के पठार से निकलती है जहां चीनी इंजीनियरों ने पानी के बाहव को धीमा कर दिया है। अपनी शोध रिपोर्ट में इस बात का खुलासा करने वाले एलन बसिष्ट का कहना है कि सैटेलाइट से मिले आंकड़े झूठ नहीं बोलते हैं और तिब्बत के पठार पर भी विशाल जल राशि मौजूद है।
एलन बसिष्ट ने बताया कि कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देश पानी के संकट से जूझ रहे हैं। दरअसल चीन ने बड़े पैमाने पर मेकांग नदी का पानी अपने पास रोक लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि इस साल फरवरी के आखिर दिनों में चीन कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा था तभी चीन के विदेश मंत्री को अचानक लाओस जाना पड़ गया था।