AajTak : Apr 23, 2020, 04:36 PM
वुहान में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या में चीन के अचानक 50 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद से ही उसके आधिकारिक आंकड़ों पर संदेह बढ़ता जा रहा है। चीन ने पिछले सप्ताह वुहान के मृतकों की संख्या बढ़ाते हुए कहा था कि अस्पतालों में हड़बड़ी या दूसरी वजहों से इन मौतों का रिकॉर्ड दर्ज नहीं किया जा सका था। अब हॉन्ग कॉन्ग के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में कहा है कि चीन में कोरोना वायरस की पहली लहर में संक्रमण का आंकड़ा 2,32,000 से ज्यादा हो सकता है। यह संख्या आधिकारिक आंकड़े से चार गुना ज्यादा है।
चीन ने 20 फरवरी तक कोरोना वायरस संक्रमण के 55,000 मामलों की ही पुष्टि की थी लेकिन हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर चीन ने अभी इस्तेमाल हो रही संक्रमण की परिभाषा शुरुआत से ही लागू की होती तो कोरोना संक्रमितों का आधिकारिक आंकड़ा काफी ज्यादा होता।
चीन में कोरोना वायरस संक्रमण के 83,000 से ज्यादा मामले हैं। जबकि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा 2 लाख के करीब पहुंचने वाला है और संक्रमण के 26 लाख से ज्यादा मामले हैं। तमाम देशों में कोरोना संक्रमण के मामले चीन के आंकड़े को पार कर चुके हैं और अब भी मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 15 जनवरी से 3 मार्च के बीच कोरोना वायरस संक्रमण की करीब 7 अलग-अलग परिभाषाएं तय कीं। स्टडी में पाया गया कि परिभाषा बदलने की वजह से संक्रमण के वास्तविक और आधिकारिक मामलों में बड़ा अंतर आ गया। हॉन्ग कॉन्ग की स्टडी में वुहान में विश्व स्वास्थ्य संगठन मिशन की ओर से जारी किए 20 फरवरी तक के डेटा को शामिल किया गया। स्टडी में अनुमान लगाया कि चीन की सरकार के शुरुआती चार बदलावों की वजह से कोरोना संक्रमण के डिटेक्टेड मामलों और आधिकारिक आंकड़ों का फासला 2।8 से 7।1 गुना तक बढ़ गया।स्टडी में कहा गया कि चीन की सरकार ने कोरोना संक्रमण केस के लिए जो पांचवीं परिभाषा दी, अगर वह शुरू से लागू की जाती तो हमारा अनुमान है कि 20 फरवरी तक वहां 2,32,000 केस होते। जो चीन के 55,508 के आंकड़े से करीब चार गुना ज्यादा होता। अब चीन में हल्के लक्षण वाले संक्रमण के मामलों की भी गिनती की जा रही है जबकि पहले ऐसा नहीं था।चीन के आंकड़ों पर इसलिए भी सवाल खड़े किए जा रहे थे क्योंकि वह शुरुआत में बिना लक्षण वाले मरीजों को कोरोना वायरस के मामलों में शामिल नहीं कर रहा था। अगर किसी में कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण नजर नहीं आता है लेकिन वह टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो चीन उसे कन्फर्म केस नहीं मानता था। हालांकि, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों में टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए सभी मरीजों को आधिकारिक आंकड़े में शामिल किया जाता है।भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आए हैं। इसी महीने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन में कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक-तिहाई लोगों में या तो देरी से लक्षण दिखाए दिए या फिर लक्षण दिखाई ही नहीं दिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बिना लक्षण वाले मामले ही ज्यादा हैं।चीन के आंकड़ों पर हमेशा से ही दुनिया को शक रहा है। बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नए कोरोना वायरस की महामारी के बारे में वक्त पर सूचना देने में असफल रही। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय जांच की भी मांग की है।
चीन ने 20 फरवरी तक कोरोना वायरस संक्रमण के 55,000 मामलों की ही पुष्टि की थी लेकिन हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर चीन ने अभी इस्तेमाल हो रही संक्रमण की परिभाषा शुरुआत से ही लागू की होती तो कोरोना संक्रमितों का आधिकारिक आंकड़ा काफी ज्यादा होता।
चीन में कोरोना वायरस संक्रमण के 83,000 से ज्यादा मामले हैं। जबकि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से मौत का आंकड़ा 2 लाख के करीब पहुंचने वाला है और संक्रमण के 26 लाख से ज्यादा मामले हैं। तमाम देशों में कोरोना संक्रमण के मामले चीन के आंकड़े को पार कर चुके हैं और अब भी मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने 15 जनवरी से 3 मार्च के बीच कोरोना वायरस संक्रमण की करीब 7 अलग-अलग परिभाषाएं तय कीं। स्टडी में पाया गया कि परिभाषा बदलने की वजह से संक्रमण के वास्तविक और आधिकारिक मामलों में बड़ा अंतर आ गया। हॉन्ग कॉन्ग की स्टडी में वुहान में विश्व स्वास्थ्य संगठन मिशन की ओर से जारी किए 20 फरवरी तक के डेटा को शामिल किया गया। स्टडी में अनुमान लगाया कि चीन की सरकार के शुरुआती चार बदलावों की वजह से कोरोना संक्रमण के डिटेक्टेड मामलों और आधिकारिक आंकड़ों का फासला 2।8 से 7।1 गुना तक बढ़ गया।स्टडी में कहा गया कि चीन की सरकार ने कोरोना संक्रमण केस के लिए जो पांचवीं परिभाषा दी, अगर वह शुरू से लागू की जाती तो हमारा अनुमान है कि 20 फरवरी तक वहां 2,32,000 केस होते। जो चीन के 55,508 के आंकड़े से करीब चार गुना ज्यादा होता। अब चीन में हल्के लक्षण वाले संक्रमण के मामलों की भी गिनती की जा रही है जबकि पहले ऐसा नहीं था।चीन के आंकड़ों पर इसलिए भी सवाल खड़े किए जा रहे थे क्योंकि वह शुरुआत में बिना लक्षण वाले मरीजों को कोरोना वायरस के मामलों में शामिल नहीं कर रहा था। अगर किसी में कोरोना संक्रमण का कोई लक्षण नजर नहीं आता है लेकिन वह टेस्ट में पॉजिटिव आता है तो चीन उसे कन्फर्म केस नहीं मानता था। हालांकि, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों में टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए सभी मरीजों को आधिकारिक आंकड़े में शामिल किया जाता है।भारत समेत पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के 50 फीसदी से ज्यादा मामलों में कोई लक्षण नजर नहीं आए हैं। इसी महीने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन में कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक-तिहाई लोगों में या तो देरी से लक्षण दिखाए दिए या फिर लक्षण दिखाई ही नहीं दिए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बिना लक्षण वाले मामले ही ज्यादा हैं।चीन के आंकड़ों पर हमेशा से ही दुनिया को शक रहा है। बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी नए कोरोना वायरस की महामारी के बारे में वक्त पर सूचना देने में असफल रही। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय जांच की भी मांग की है।