Zee News : Apr 25, 2020, 03:16 PM
नई दिल्ली: अमेरिका (America) से ऑस्ट्रेलिया (Austrailia) तक, चीनी के वेट बाजारों (Wet Market) को बंद करने के लिए आवाजें उठाई जा रही हैं। इन बाजारों का इतिहास रहा है कि मनुष्यों में होने वाले बहुत से रोग यहां जन्म लेते हैं। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जिसपर मानव रोगों को नियंत्रित करने का जिम्मा होता है, उनका कहना है कि वे आजीविका का एक स्रोत हैं।
WHO के महानिदेशक का मानना है कि इन बाजारों को फिर से खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि वे दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए किफायती भोजन और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
युन्नान प्रांत के वेट मार्केट 2003 में SARS वायरस का स्रोत थे, जबकि कोरोना वायरस वुहान के वेट मार्केट से निकला था। जाहिर है चीन इन बाजारों को इस वायरस के स्रोत के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। बल्कि चीन तो वास्तव में एक कदम आगे बढ़ गया है। अब चीन का कहना है कि ये बाजार तो कभी थे ही नहीं। चीन के एक और 'बड़बोले' विदेश मंत्रालय प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन में 'वेट मार्केट' जैसी कोई चीज है ही नहीं।
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, मैं यह बताना चाहता हूं कि चीन में 'वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट' जैसी कोई चीज नहीं है। यहां तक कि चीन में 'वेट बाजार' जैसा कुछ नहीं है। यहां किसान बाजार, मुर्गी बाजार और सीफूड बाजार ज्यादा आम हैं। इन बाजारों में ताजा मांस, मछली, सब्जियां, समुद्री भोजन और कृषि से संबंधित कई तरह के उत्पाद बेचे जाते हैं। और कुछ बाजार ऐसे भी हैं जो जीवित पोल्ट्री यानी मुर्गी और बत्तख वगैरह बेचते हैं।'
हमें बताया जा रहा है कि वेट बाजार किसी भी दूसरे बाजार की तरह ही होते हैं जहां ताजा सामान बेचा जाता है। 'वेट' शब्द का अर्थ है कि इन बाजारों में 'खराब होने वाला' सामान बेचा जा रहे हैं, और जरूरी नहीं कि वो वन्यजीव हों।
वेट बाजार दक्षिण एशिया में कई वर्षों से मौजूद हैं, लेकिन वो सभी अजीब तरह का मांस नहीं बेचते हैं। हालांकि, चीन में ऐसा होता है।
चीन ने यह सुनिश्चित करने की बेहद कम कोशिशें की हैं कि वहां वन्यजीवों का व्यापार न हो। चीनी कृषि मंत्रालय ने एक मसौदा पारित किया जिसमें केवल कुत्तों को मानव उपभोग से छूट दी गई थी। अधिकांश वन्यजीवों को 'कृषि-पालन' प्रजाति के रूप में स्वीकृति दे दी गई, जिससे वन्यजीव व्यापारी उन प्रजातियों को मारने के लिए स्वीकृत मानते हैं। और चीन ने जानबूझकर इन लूप-होल को छोड़ दिया है जिससे वेट बाजारों में हो रहा व्यापार बना रहे।
WHO के महानिदेशक का मानना है कि इन बाजारों को फिर से खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि वे दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए किफायती भोजन और आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
युन्नान प्रांत के वेट मार्केट 2003 में SARS वायरस का स्रोत थे, जबकि कोरोना वायरस वुहान के वेट मार्केट से निकला था। जाहिर है चीन इन बाजारों को इस वायरस के स्रोत के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। बल्कि चीन तो वास्तव में एक कदम आगे बढ़ गया है। अब चीन का कहना है कि ये बाजार तो कभी थे ही नहीं। चीन के एक और 'बड़बोले' विदेश मंत्रालय प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि चीन में 'वेट मार्केट' जैसी कोई चीज है ही नहीं।
उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, मैं यह बताना चाहता हूं कि चीन में 'वाइल्ड लाइफ वेट मार्केट' जैसी कोई चीज नहीं है। यहां तक कि चीन में 'वेट बाजार' जैसा कुछ नहीं है। यहां किसान बाजार, मुर्गी बाजार और सीफूड बाजार ज्यादा आम हैं। इन बाजारों में ताजा मांस, मछली, सब्जियां, समुद्री भोजन और कृषि से संबंधित कई तरह के उत्पाद बेचे जाते हैं। और कुछ बाजार ऐसे भी हैं जो जीवित पोल्ट्री यानी मुर्गी और बत्तख वगैरह बेचते हैं।'
हमें बताया जा रहा है कि वेट बाजार किसी भी दूसरे बाजार की तरह ही होते हैं जहां ताजा सामान बेचा जाता है। 'वेट' शब्द का अर्थ है कि इन बाजारों में 'खराब होने वाला' सामान बेचा जा रहे हैं, और जरूरी नहीं कि वो वन्यजीव हों।
वेट बाजार दक्षिण एशिया में कई वर्षों से मौजूद हैं, लेकिन वो सभी अजीब तरह का मांस नहीं बेचते हैं। हालांकि, चीन में ऐसा होता है।
चीन ने यह सुनिश्चित करने की बेहद कम कोशिशें की हैं कि वहां वन्यजीवों का व्यापार न हो। चीनी कृषि मंत्रालय ने एक मसौदा पारित किया जिसमें केवल कुत्तों को मानव उपभोग से छूट दी गई थी। अधिकांश वन्यजीवों को 'कृषि-पालन' प्रजाति के रूप में स्वीकृति दे दी गई, जिससे वन्यजीव व्यापारी उन प्रजातियों को मारने के लिए स्वीकृत मानते हैं। और चीन ने जानबूझकर इन लूप-होल को छोड़ दिया है जिससे वेट बाजारों में हो रहा व्यापार बना रहे।