संसद / नागरिकता बिल राज्यसभा में आज होगा पेश, जानिए- सदन में कौन किसके साथ

NDTV : Dec 11, 2019, 10:13 AM
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में भले ही पास हो गया हो लेकिन अभी राज्यसभा में यह पास होना बचा है। बुधवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। सड़क से लेकर संसद में जारी विरोध के बीच राज्यसभा में बुधवार को विवादित नागरिकता संशोधन बिल पर 2 बजे चर्चा शुरू होगी। लोकसभा में बहस के बाद कुछ राजनीतिक दलों ने अपने रुख में बदलाव किया है, तो कुछ गैर-भाजपा-गैर-कांग्रेसी दल बिल के समर्थन में सामने आए हैं। बुधवार को अब बिल राज्यसभा में आना है जिसके समीकरण कुछ जटिल भी हैं और लगातार बदलते दिख रहे हैं।

राज्यसभा का बुधवार का समीकरण देखें तो बिल के समर्थन में 125 सांसद दिख रहे हैं, वहीं इसके विरोध में 109 सांसद हैं। जो सांसद बिल के समर्थन में हैं, उनमें भाजपा के 83, शिरोमणी अकाली दल के 3, लोक जनशक्ति पार्टी के एक, आरपीआई के एक, बीपीएफ के एक, एनपीएफ के एक, एजीपी के एक, एसडीएफ के एक, जदूय के 6, एआईएडीएमके के 11, पीएमके के 1, वाईएसआरसीपी के 2, टीडीपी के 2 और बीजेडी के 7 सांसद हैं। इनके अलावा चार निर्दलीय (परिमल नाथवानी, अमर सिंह, संजय दत्तात्रेय, सुभाष चंद्रा) और तीन मनोनीत सदस्य (स्वप्न दासगुप्ता, नरेंद्र जाधव, मैरी कॉम) भी बिल के समर्थन में हैं। 

जो सांसद इस बिल के विरोध में हैं, उनमें कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, आम आदमी पार्टी के 3, सीपाआई के 1, सीपीआईएम के 5, डीएमके के पांच, जेडीएस के एक, आईयूएमएल के एक, पीडीपी के 2, एनसीपी के 4, राजद के 4, बसपा के 4, सपा के 9, एमडीएमके के 1, केरल कांग्रेस के एक, टीआरएस के 6, शिवसेना के 3, दो निर्दलीय (रीताब्रता, वीरेंद्र कुमार) और एक मनोनीत (केटीएस तुलसी) शामिल हैं। इसके अलावा आज सदन में कुल 15 सांसद अनुपस्थित रहेंगे।

बता दें, लोकसभा ने सोमवार को इस विधेयक को पारित कर दिया है, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। विधेयक के खिलाफ छात्र संघों और वाम-लोकतांत्रिक संगठनों ने मंगलवार को पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सड़क अवरूद्ध होने के कारण अस्पताल ले जाते समय दो महीने के एक बीमार बच्चे की मौत हो गई। राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किये जाने से एक दिन पहले असम में इस विधेयक के खिलाफ दो छात्र संगठनों के राज्यव्यापी बंद के आह्वान के बाद ब्रह्मपुत्र घाटी में जनजीवन ठप रहा।

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