सिरोही / राजस्थान के सिरोही के पूर्व राजघराने का दावा-हम भी श्रीराम के वंशज

Dainik Bhaskar : Aug 29, 2019, 10:24 AM
सुप्रीम कोर्ट की ओर से श्रीराम के वंशज होने या नहीं होने के सवाल के बाद राजस्थान में जहां जयपुर और उदयपुर राजघरानों की ओर से उनके वंशज होने का दावा किया गया था, वहीं अब तीसरा सिरोही का राजघराना श्रीराम के वंशज होने का दावा कर रहा है। यहां तक कि सिरोही के पूर्व महाराजा रघुवीरसिंह का कहना है कि उनके पास 100 वंशजों की पूरी सूची है और यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे। उनकी ओर से यह भी दावा है कि राजस्थान श्रीराम के वंशजों की कर्मभूमि है।

दरअसल, 5 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर को लेकर नियमित सुनवाई शुरू हुई थी। 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की ओर से भगवान राम के वकील से यह पूछा गया कि अयोध्या या फिर दुनिया में कहीं भगवान राम का वंशज है या नहीं? इस पर वकील की ओर से यह जवाब दिया गया कि हमें इसकी जानकारी नही है, लेकिन, जयपुर और उदयपुर राजपरिवार के बाद सिरोही राजघराने की ओर से उनके वंशज होने का दावा किया जा रहा है।

पूर्व महाराजा व इतिहासकार के जानकार रघुवीरसिंह देवड़ा का दावा है कि लक्षमण के पड़ पौत्र मालव हुआ करते थे, जिन्होंने मूलस्थान यानी, आज मुल्तान है उसे राजधानी बनाया और हम लोग उन्हीं के वंशज हैं। मालव व सिकंदर के बीच युद्ध के बाद की गणना की जाए तो हम 100वीं पीढ़ी या वंशज हैं। पहले मालव हुए और बाद में चौहान और अब देवड़ा। उनका यह भी दावा है कि इन 100 पीढिय़ों और वंशजों की सूची उनके पास है। यदि सुप्रीम कोर्ट उन्हें बुलाती है तो वे सबूतों के साथ पेश होंगे और यह बताएंगे कि वे श्रीराम के वंशज हैं।

रघुवीरसिंह ने दिए ये तीन सबूत

मालव वंशज: यह सत्य है कि मालव लक्ष्मण के पड़ पौत्र थे। मालव के बाद विक्रमादित्य व चंद्रगुप्त मौर्य का शासन आया, जो इन्हीं के वंशज थे।
जब गुप्त साम्राज्य भी समाप्त हो गया, तो आबूरोड स्थित वशिष्ठ आश्रम में कुछ लोग यहां पहुंचे। जहां चव्हार, परिहार, परमार व सोलंकी चारों को अलग-अलग राज्य सौंपे गए।
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद 1200 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई। उत्पति मालव वंश से हुई, जो बाद में 1228 में चौहान हुए और अब देवड़ा।

पूर्व महाराजा बोले- मालव वंश से गणना करें तो 100वीं पीढ़ी
पूर्व महाराज देवड़ा ने बताया कि यदि मालव वंश की बात की जाए तो सिकंदर के समय तक मूलस्थान राजधानी तक वे रहे। 323 ईसा पूूर्व में मालव व सिकंदर के बीच युद्ध भी हुआ। 1206 में सिरोही स्टेट की स्थापना हुई थी। सबसे पहले माणिंगराय हुए थे और वहां से मैं 38वीं पीढ़ी हूंं। मेरे पड़ दादा महाराजा केसरसिंह 35वीं पीढ़ी। 1206 से मालव वंश की 75वीं और 323 ईसा पूर्व से गणना करें तो लक्ष्मण के पड़पौत्र की 100वीं पीढ़ी। जयपुर और उदयपुर राजघराने के भी श्रीराम के वंशज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि जयपुर कुश और उदयपुर के पूर्व महाराज महेंद्र सिंह लव के वंशज हैं। इसके प्रमाण भी हैं।

पद्मश्री से सम्मानित हैं 
सिरोही के पूर्व महाराज रघुवीरसिंह का इतिहास के जानकारों में भी नाम आता है। देवड़ा देश के चौथे सर्वोच्च पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।

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