AajTak : Apr 24, 2020, 09:18 AM
अमेरिका: वैज्ञानिकों की एक टीम ने संभावना जताई है कि कैंसर की एक दवा है जो कोरोना वायरस को शरीर के अंदर बढ़ने और अधिक वायरस बनाने से रोक देगी। इससे कोरोना वायरस कोविड-19 से पीड़ित एक मरीज दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर पाएगा। या यूं कहें कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे इंसान तक नहीं पहुंच पाएगा। क्योंकि वह एक ही इंसान के शरीर में सीमित हो जाएगा।
अमेरिका के केंटकी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविले के वैज्ञानिकों का दावा है कि विशेष प्रकार के कैंसर के ड्रग से कोरोना वायरस को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कैंसर ड्रग एक सिंथेटिक डीएनए है। जिसे ये एप्टामर (Aptamer) कहते हैं। एप्टामर शरीर में मौजूद उन कोशिकाओं की बाहरी परत को मजबूत कर देता है, जिसे छेदकर कोरोना वायरस शरीर में अंदर जाता है और कोशिकाओं को खाकर और वायरस बनाता है। एप्टामर को खोजा है यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविले की प्रोफेसर डॉ। पॉउला बैट्स और उनकी टीम ने। पॉउला ने बताया कि यूनिवर्सिटी में रीजनल बायोकंटेंनेंट लैब है। जो अमेरिका की बेहतरीन प्रयोगशालाओं में से हैं। यहां त्रिस्तरीय बायोसेफ्टी सुविधाएं हैं। डॉ। पॉउला बैट्स ने कहा कि हमने कैंसर के ड्रग एप्टामर को कोशिकाओं पर जांचा है। यह कोशिकाओं की बाहरी परत को बांधकर मजबूत कर देता है। इससे कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन इसे छेद नहीं पाते। इससे होता ये है कि कोरोना वायरस शरीर में कोशिकाओं को खाकर और वायरस नहीं बना पाते।
अमेरिका के केंटकी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविले के वैज्ञानिकों का दावा है कि विशेष प्रकार के कैंसर के ड्रग से कोरोना वायरस को शरीर में फैलने से रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह कैंसर ड्रग एक सिंथेटिक डीएनए है। जिसे ये एप्टामर (Aptamer) कहते हैं। एप्टामर शरीर में मौजूद उन कोशिकाओं की बाहरी परत को मजबूत कर देता है, जिसे छेदकर कोरोना वायरस शरीर में अंदर जाता है और कोशिकाओं को खाकर और वायरस बनाता है। एप्टामर को खोजा है यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविले की प्रोफेसर डॉ। पॉउला बैट्स और उनकी टीम ने। पॉउला ने बताया कि यूनिवर्सिटी में रीजनल बायोकंटेंनेंट लैब है। जो अमेरिका की बेहतरीन प्रयोगशालाओं में से हैं। यहां त्रिस्तरीय बायोसेफ्टी सुविधाएं हैं। डॉ। पॉउला बैट्स ने कहा कि हमने कैंसर के ड्रग एप्टामर को कोशिकाओं पर जांचा है। यह कोशिकाओं की बाहरी परत को बांधकर मजबूत कर देता है। इससे कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन इसे छेद नहीं पाते। इससे होता ये है कि कोरोना वायरस शरीर में कोशिकाओं को खाकर और वायरस नहीं बना पाते।
डेलीमेल वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार डॉ। पॉउला बैट्स ने बताया कि इस दवा को लेकर किसी भी प्रकार एनिमल या ह्यूमन ट्रायल की जरूरत नहीं है। इससे बेवजह समय बर्बाद होगा। कैंसर की दवा एप्टामर जांची परखी दवा है। हम सीधे इसका कोविड-19 मरीजों पर उपयोग कर सकते हैं। डॉ। पॉउला बैट्स ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही हम अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से यह अनुमति मिल जाएगी। ताकि कोरोना के मरीजों पर एप्टामर दवा का ट्रायल शुरू कर सकें। क्योंकि कोरोना की दवा बनने में अभी 12 से 18 महीने लगेंगे। डॉ। बैट्स ने कहा कि वैक्सीन या दवा बनाकर कोरोना को मारने के लिए इंतजार करने से बेहतर है कि तब तक ऐसी दवा का उपयोग करें जो कोरोना को शरीर में बढ़ने से रोक दे। इससे कम से कम यह होगा कि लोगों के बीच संक्रमण रुक जाएगा। अमेरिका इस समय दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना हॉटस्पॉट है। यहां 8.56 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से बीमार हैं। जबकि, 48 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।Experimental cancer drug may stop coronavirus in its tracks, researchers claim https://t.co/zXHoCDC8za
— Daily Mail Online (@MailOnline) April 23, 2020