जालोर । कोरोना से निबटने एनएचएम ने हर जिले को बजट जारी कर डेडिकेटेड कोविड केयर अस्पताल, हैल्थ सेंटर व कोविड केयर सेंटर में उपयोग आने वाली वस्तुओं की खरीद के निर्देश दिए थे। इसमें बाकायदा चिकित्सा विभाग ने गाइडलाइन जारी कर बताया कि कोविड सामग्री खरीदने से पहले जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष (कलेक्टर) से अनुमति ली जाएग।
इसके बावजूद सीएमएचओ डॉ. गजेंद्रसिंह देवल ने अपनी मनमर्जी से अपने कार्यालय के अधिकारियों की ही कमेटी बनाकर करीब 13 लाख रुपए की कीमत से 200 थर्मल स्क्रीनिंग मशीनों का ऑर्डर कर दिया। 18 व 24 मई को सीएमएचओ के पत्र पर संबंधित फर्म ने थर्मल स्क्रीनिंग मशीनें भी जालोर पहुंचा दी।
इस बीच इन थर्मल स्क्रीनिंग मशीनाें की खरीदारी करने से पहले जिला स्वास्थ्य समिति की अनुमति नहीं लेने का मामला सामने आने के बाद सीएमएचओ ने उस फर्म काे यह मशीनें वापस ले जाने के लिए पत्र लिखा है। हालांकि इसके बाद भी संबंधित फर्म ने अब तक यह मशीनें वापस नहीं ली है। इधर, इस फर्म ने चिकित्सा विभाग के संयुक्त निदेशक से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए भुगतान दिलवाने की मांग की है।
प्रति मशीन 6 हजार रुपए की कीमत में खरीदी थी
सीएमएचओ डॉ. देवल ने 18 व 24 मई को दो अलग-अलग पत्र लिखकर जोधपुर की साईमा इंटरनेशनल फर्म से 100-100 मशीनें मंगवाई थीं। इसमें 18 प्रतिशत जीएसटी भी अलग थी। 18 व 24 मई को मशीनों की डिमांड सीएमएचओ द्वारा करने के बाद कंपनी ने मशीनें भी भेज दी, जाे सीएमएचओ कार्यालय स्थित जिला औषधि भंडार में रखवाया गई हैं। यह मशीनें ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी कार्यालयाें काे भेजी जानी थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही सीएमएचओ ने अब कंपनी को पत्र लिखकर मशीनें वापस ले जाने काे कहा है।
मामला आया सामने आया तो सीएमएचओ ने पत्र ऑर्डर रद्द करने का पत्र भेजा बताया जा रहा है कि यह मामला सामने आने के बाद इसकी भनक उच्चाधिकारियों को लग गई थी। इसके बाद सीएमएचओ ने तत्काल संबंधित फर्म काे तत्काल पत्र भेजकर ऑर्डर रद्द करने काे कहा। इधर, फर्म ने अब तक सामान वापस नहीं उठाया है। इस फर्म ने मामले की जानकारी संयुक्त निदेशक को पत्र लिखकर देते हुए भुगतान कराने की मांग की है।
सीधी बात : डॉ. गजेंद्रसिंह देवल, मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, जालोर
सवाल : आपने 18 व 24 मई को पत्र लिखकर थर्मल स्क्रीनिंग मशीन मंगवाई थी...?
जबाव : हां, मंगवाई थी।
सवाल : सामान वापिस क्यों भेजा जा रहा हैं?
जबाव : यहां पर पहुंचा हीं नहीं था।
सवाल : फर्म के अधिकारी तो कह रहे हैं, सामान जालोर ही पड़ा हैं।
जबाव : हां पड़ा होगा, लेकिन मैंने पत्र लिखकर ऑर्डर को रद्द करवा दिया हैं।
सवाल : चिकित्सा विभाग की स्पष्ट गाइड लाइन थी, सामग्री खरीदने से पहले कलेक्टर की अनुमति लेना अनिवार्य था...?
जबाव : मैं इस पर कुछ नहीं बोल सकता, मेरा वर्जन हैं कि माल वापिस भेजा जायेगा, ऑर्डर रद्द करने को लेकर पत्र लिख दिया हैं।
मामला निपटाने की कोशिश कर रहे हैं
- दो पत्र लिखने के बाद मशीनें भेजी गईं थीं, अभी तक जालोर ही हैं। सीएमएचओ ने ऑर्डर रद्द करने का पत्र लिखा है, जो मुझे मिल गया है। मैंने उच्चाधिकारियों को अवगत करवाकर भुगतान दिलवाने की मांग की है। अब समझाइश से मामला निबटाने की कोशिश कर रहे हैं। - जेके शर्मा, साईमा ,इंटरनेशनल
मामले का पता करवाता हूं
- मैं अभी जयपुर में हूं। यह मामला मेरी जानकारी में नहीं हैं, जानकारी लेकर पता करवाता हूं। - हिमांशु गुप्ता, कलेक्टर