रिलेशनशिप / शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कॉन्डोम हटाना भी रेप? कानून बनाने की मांग

AajTak : Dec 24, 2019, 01:31 PM
क्वींसलैंड | ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में रेप से जुड़े कानून में सुधार करने के लिए एक प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है। प्रस्ताव पर लोगों से उनकी राय मांगी जा रही है। कानून के विरोध और प्रस्ताव के समर्थन में कई महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं।

दरअसल, क्वींसलैंड में रेप से जुड़े मौजूदा कानून में कई खामियां हैं जिसका फायदा उठाकर आरोपी खुद को आसानी से निर्दोष साबित कर सकता है। प्रस्ताव में लोगों से पूछा गया है कि क्या शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कॉन्डोम से छेड़छाड़ करना या उसे निकालना क्या अपराध की श्रेणी में आ सकता है?

क्वींसलैंड में ये भी कानून है कि अगर कोई महिला रेप के वक्त चिल्लाती या रोती नहीं है तो उसे रेप ही नहीं माना जाता है और आरोपियों को सजा नहीं हो पाती है। सदियों से चले आ रहे इस कानून की खामियों को सबसे पहले अटॉर्नी जनरल यवेटे डीथ ने उजागर किया था। इसके बाद क्वींसलैंड के कानून सुधार आयोग ने कानून की खामियों को लेकर परामर्श पत्र जारी किया है।

मामले को आगे बढ़ाए जाने की अटॉर्नी जनरल की घोषणा के बाद ही ब्रिस्बेन टाइम्स ने खुलासा किया कि फिलहाल सरकार की कानून बदलने की कोई तत्काल योजना नहीं है। कानून की खामियों पर कोई ठोस कदम न उठाने के खिलाफ क्वींसलैंड के वकीलों और कई महिला संगठनों ने सालों तक इसके खिलाफ अभियान चलाया।

दरअसल कानून की इस गलती का फायदा उठाकर आरोपी ये तर्क देता है कि संबंध बनाने के दौरान पीड़िता ने विरोध जाहिर नहीं किया और उसे लगा कि इसमें महिला की सहमति शामिल है। इस कानून की खामियों के तहत ही किंग्स क्रॉस नाइट क्लब के मालिक के बेटे ल्यूक लाजर को भी बरी कर दिया गया था। ल्यूक लाजर को 2013 में एक महिला से रेप का दोषी ठहराया गया था।

11 महीने जेल में रहने के बाद सुनवाई के दौरान जज ने माना कि भले ही महिला मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उसने अपनी सहमति से ही लाजर के साथ संबंध बनाए थे।

जज रोबिन तुपमैन ने पाया कि पूरे मामले में लाजर निर्दोष है क्योंकि सेक्स के दौरान महिला ने भागने की कोशिश नहीं की और ना ही अपने बचाव में कोई कदम उठाया इसलिए ये माना जाता है कि इस पूरे मामले में महिला की सहमति भी शामिल थी।

हालांकि पीड़िता ने मीडिया के सामने आकर इस फैसले पर सवाल उठाए और बोला कि 'न' नहीं बोलने का मतलब 'हां' नहीं है और संबंध बनाने के दौरान किसी को धक्का मारकर नहीं हटाने का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि इसमें महिला की सहमति शामिल है।

कंसल्टेशन पेपर में इस बात का भी जिक्र है कि सेक्स के दौरान अगर कोई व्यक्ति कॉन्डोम से छेड़छाड़ करता है या कंडोम निकाल देता है तो इसे भी अपराध की श्रेणी में रखा जाए। इस प्रस्ताव पर विचार रखने की डेडलाइन 31 जनवरी है जबकि कमीशन को सरकार को इस पर फाइनल रिपोर्ट 17 अप्रैल तक देनी होगी।

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