Zoom News : Jan 07, 2022, 07:57 AM
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। यहां कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से दूर है। ऐसे में पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक की घर वापसी चाहती है। पार्टी दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाताओं का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही है। पार्टी के एक दलित नेता के मुताबिक, कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए छोटे-छोटे समूहों दलित समुदाय के असरदार लोगों से मुलाकात करेंगे।कांग्रेस पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के जरिए दलित मतदाताओं को साधना चाहती थी, पर चुनाव से ठीक पहले कोरोना के बढ़ते मामलों ने कोशिशों को नाकाम कर दिया है। जनवरी के दूसरे सप्ताह में कानपुर में होने वाला कांग्रेस का दलित सम्मेलन फिलहाल टल गया है। इसमें चन्नी के भी शामिल होने की उम्मीद थी। सम्मेलन के टलने के बाद पार्टी अब रणनीति बदल रही है।दलित नेता के मुताबिक, जिला स्तर पर पार्टी नेताओं की टीम बनाई जा रही है। टीम के सदस्य दलित समुदाय के लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनेंगे। हमारी कोशिश है कि हम गांव के स्तर तक पहुंचे। इसके साथ उन्हें बताएंगे कि सिर्फ कांग्रेस ने दलित समुदाय को सम्मान दिया है। इसके साथ पार्टी उनकी समस्याओं चुनाव घोषणा पत्र में भी जगह देगी। पार्टी एक पुस्तिका भी तैयार करने पर विचार कर रही है, जिसमें दलितों के विकास के लिए कांग्रेस सरकारों की तरफ से उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी होगी।कांग्रेस ने बनाए हैं कई दलित मुख्यमंत्रीकांग्रेस ने दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले कई मुख्यमंत्री बनाए हैं। पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, आंध्र प्रदेश में दलित समाज के दामोदर संजीववैय्या, राजस्थान में दलित समाज के जगन्नाथ पहाड़िया बिहार में भोला पासवान, महाराष्ट्र में सुशील कुमार शिंदे मुख्यमंत्री के पद पर बैठाकर कांग्रेस ने हमेशा ही सम्मान दिया है।