देश / भारत में रूप बदल रहा है कोरोना, वैक्सीन की खोज को लग सकता है झटका!

पूरी दुनिया कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगी है। वैज्ञानिकों की तरफ से भी कई रिसर्च किए जा रहे हैं ताकि इसकी वैक्सीन बनाने में मदद मिल सके। लेकिन हाल में हुई एक रिसर्च भारत समेत पूरी दुनिया को चिंता में डाल सकती है। ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना वायरस भारत में अपना स्वरूप बदल रहा है जिसकी वजह से दुनिया भर में वैक्सीन को लेकर की जा रही वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

AajTak : Apr 16, 2020, 03:09 PM
दिल्ली: पूरी दुनिया कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने में लगी है। वैज्ञानिकों की तरफ से भी कई रिसर्च किए जा रहे हैं ताकि इसकी वैक्सीन बनाने में मदद मिल सके। लेकिन हाल में हुई एक रिसर्च भारत समेत पूरी दुनिया को चिंता में डाल सकती है। ऑस्ट्रेलिया और ताइवान के शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना वायरस भारत में अपना स्वरूप बदल रहा है जिसकी वजह से दुनिया भर में वैक्सीन को लेकर की जा रही वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फिर सकता है।

स्टडी में कहा गया है कि यह बदलाव कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के हिस्से में देखा गया है। स्पाइक प्रोटीन के जरिए वायरस शरीर की कुछ कोशिकाओं को जकड़ कर रखता है। कोरोना वायरस की कंटीली संरचना ही ACE2 एंजाइम युक्त कोशिकाओं को निशाना बनाती है। ACE2 एंजाइम फेफड़ों में पाया जाता है। वैज्ञानिकों को अब तक यही जानकारी थी और वे ऐसी एंटीबॉडीज पर काम कर रहे थे जो कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हो। लेकिन अचानक वायरस की संरचना में बदलाव होने से वैज्ञानिकों को नए सिरे से मेहनत करनी पड़ सकती है।

यह शोध ताइवान के नेशनल चेंग्गुआ यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के वी-लुंग वांग और ऑस्ट्रेलिया में मर्डोक विश्वविद्यालय के सहयोगियों ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस के रूप बदलने पर यह पहली रिपोर्ट है जिससे वैक्सीन की खोज पर खतरा मंडरा सकता है।

biorxiv।org पर प्रकाशित हुई स्टडी में इस बात की चेतावनी दी गई है कि Sars-CoV-2 अपने रूप बदल-बदल कर सामने आ सकता है। संभव है कि इस वायरस की वर्तमान में बन रही वैक्सीन बेकार हो जाए।

वैज्ञानिकों को परेशान करने वाला यह पहला मामला भारत के केरल राज्य से था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने जनवरी के महीने में इस मरीज का सैंपल लिया था। इस मरीज का जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing)पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया गया। हालांकि इस देरी पर भी कुछ शोधकर्ताओं ने सवाल उठाए थे।

यह मरीज चीन के वुहान में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था और वहां से भारत आया था। हालांकि इस मरीज में कोरोना वायरस का स्ट्रेन ना तो वुहान के किसी मामले से मिलता है और ना ही अन्य देशों में कोरोना वायरस में बदले रूप से।

शोधकर्ताओं ने पाया कि यह परिवर्तन स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (RBD) में  हुआ। कंप्यूटर सिमुलेशन से पता चलता है कि आरबीडी में ये बदलाव, जो दुनिया भर में कहीं और नहीं पाया गया है, स्पाइक प्रोटीन से हाइड्रोजन बॉन्ड को अलग कर सकता है।

इस हाइड्रोजन बॉन्ड के बिना, हो सकता है कि वायरस फेफड़ों में पाए जाने वाले ACE2 या एंजियोटेंसिन परिवर्तित एंजाइम -2 के साथ अपनी पकड़ मजबूत नहीं करे। यानी कोरोना वायरस के अटैक करने का तरीका बदल सकता है।

चीन के नेशनल सेंटर फॉर बायोइन्फॉर्मेशन के अनुसार, जनवरी की शुरुआत में पहले मामले की पहली पुष्टि होने से लेकर अब तक यह वायरस अंटार्कटिका को छोड़कर सभी महाद्वीपों में पहुंच चुका है और अब तक इसके 3,500 से अधिक बदलाव दर्ज किए जा चुके हैं।।अमेरिका और चीन में कुछ वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है लेकिन कोरोना वायरस के आरडीबी में तब्दीली की वजह से इन वैक्सीन को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है।