कोरोना अलर्ट / कोरोना मरीजों पर होगा वैक्सीन का ट्रायल, 15 लाख फ्री डोज देगी कंपनी

उम्मीद की जा रही है कि कंपनी के ट्रायल में सैकड़ों कोरोना वायरस के मरीजों को शामिल किया जाएगा। मूल रूप से इस ड्रग को इबोला से लड़ने के लिए बनाया गया था। कोरोना वायरस जिस प्रोटीन की मदद से फैलता है, उसे यह दवा ब्लॉक करने का काम करती है। कंपनी का कहना है कि वह 15 लाख फ्री डोज उपलब्ध कराएगी। इससे 1।4 लाख ट्रीटमेंट कोर्स फ्री हो जाएगा।

AajTak : Apr 07, 2020, 04:47 PM
दिल्ली: जिस ड्रग से इबोला के ट्रीटमेंट में मदद मिली थी, अब उसका कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जा रहा है। इस ड्रग का नाम remdesivir है और इसे अमेरिका के कैलिफोर्निया की कंपनी गिलीड साइंसेज ने तैयार किया है। कंपनी ने कहा है कि वह 15 लाख डोज फ्री देगी।

उम्मीद की जा रही है कि कंपनी के ट्रायल में सैकड़ों कोरोना वायरस के मरीजों को शामिल किया जाएगा। मूल रूप से इस ड्रग को इबोला से लड़ने के लिए बनाया गया था। कोरोना वायरस जिस प्रोटीन की मदद से फैलता है, उसे यह दवा ब्लॉक करने का काम करती है। कंपनी का कहना है कि वह 15 लाख फ्री डोज उपलब्ध कराएगी। इससे 1।4 लाख ट्रीटमेंट कोर्स फ्री हो जाएगा।

खास बात ये है कि अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ भी remdesivir दवा को लेकर स्टडी कर रहा है। इंस्टीट्यूट की ओर से शुरुआत में 440 मरीजों पर परीक्षण किया जाएगा। लेकिन गिलीड साइंसेज कंपनी ने अपनी ओर से भी ट्रायल शुरू करने का ऐलान किया है।

कंपनी

दूसरी ओर, बिल गेट्स से फंड हासिल करने वाली कंपनी इनोविओ फार्मसूटिकल ने भी अमेरिका में कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। इनोविओ ने कहा है कि वह साल के अंत तक वैक्सीन के 10 लाख डोज तैयार कर सकती है। इनोविओ अमेरिका के पिट्सबर्ग, पेनसिल्वेनिया, मिसौरी और कंसास में ये ट्रायल करेगी। कंपनी ने सोमवार को कहा था कि वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलंटियर्स को रिक्रूट करना शुरू कर दिया है। कंपनी को उम्मीद कि इंसानों पर जो ट्रायल किया जाएगा उसका डेटा गर्मियों तक सामने आ जाएगा। साल के आखिर तक कंपनी ने उम्मीद जताई है कि 10 लाख वैक्सीन के डोज तैयार किए जाएंगे।

कंपनी ने जानकारी दी है कि अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से उन्हें 40 स्वस्थ लोगों पर ट्रायल करने के लिए मंजूरी मिल गई है। 40 लोगों के टेस्ट के बाद यह तय किया जाएगा कि क्या बड़े स्तर पर वैक्सीन का ट्रायल किया जाए या नहीं। डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर रिसर्च सफल होता है, फिर भी बड़े स्तर पर वैक्सीन के डोज उपलब्ध होने में साल भर का वक्त लग सकता है।

दुनियाभर में कई अन्य ग्रुप भी कोरोना से जुड़ी वैक्सीन के टेस्ट की तैयारी कर रहे हैं। तमाम अलग-अलग प्रकार के वैक्सीन पर काम होने की वजह से यह उम्मीद की जा रही है कि कोई एक वैक्सीन सुरक्षा प्रदान कर सकती है। इनोविओ ने जो वैक्सीन तैयार की है, उसे डीएनए वैक्सीन कहा जा रहा है। यह वायरस के जेनेटिक कोड और सिंथेटिक डीएनए को मिलाकर तैयार की गई है। कंपनी की ओर से, हर वॉलेंटियर को 4 हफ्ते के अंतराल पर दो डोज दिए जाएंगे।