AMAR UJALA : Apr 01, 2020, 09:32 AM
वॉशिंगटन | कोरोना की जंग से जूझने वालों के लिए अच्छी खबर है। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों ने चार दिन के भीतर आधुनिक सी-पैप मशीन तैयार की है। मशीन सांस की तकलीफ से जूझ रहे मरीज के मास्क में ऑक्सीजन और हवा भरेगी जिससे रोगी का फेफड़ा फूलेगा और सांस की तकलीफ से राहत मिलेगी।रोगी को बेहोशी में लाने के लिए कोई दवा नहीं दी जाएगी जैसा आईसीयू या वेंटिलेटर यूनिट में रोगी के साथ होता है। ब्रिटेन की मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट रेगुलेटरी एजेंसी ने इसे मंजूरी दे दी है। जल्द ही इसका प्रयोग सप्ताह के अंत तक यूनिवर्सिटी के अस्पताल में कोरोना पीड़ितों के लिए होगा।यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में क्रिटिकल केयर विभाग के प्रो. टीम बेकर बताते हैं कि वेंटिलेटर की मात्रा सीमित है। इस मशीन के जरिए पर्याप्त मात्रा में हवा आधुनिक सी-पैप मशीन और मास्क के जरिए रोगी के फेफड़े तक पहुंचाई जा सकेगी।7 दिन में बना सकते हैं हजार मशीनवैज्ञानिकों का दावा है कि क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद सात दिन के भीतर 1000 मशीनें बनाई जा सकती है जिससे पूरी दुनिया को इससे राहत मिलेगी। जहां भी वेंटिलेटर या आईसीयू का संकट है वहां पर इस मशीन के प्रयोग से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।बुजुर्गों में कारगर नहींक्रिटिकल केयर एक्सपर्ट प्रो. मेरवीन सिंगर बताते हैं कि बुजुर्ग लोगों में ये मशीन उतनी कारगर नहीं है। हालांकि उनकी स्थिति को देखकर इसका प्रयोग किया जा सकता है। हां इसका सबसे अधिक फायदा युवा मरीजों को होगा जो वायरस के चलते सांस की समस्या से ग्रसित होंगे।गंभीर मरीजों को वेंटिलेटर मिलना आसानइस मशीन के शुरू होने के बाद गंभीर रोगियों को आसानी से वेंटिलेटर मिल सकेगा। वेंटिलेटर पर अगर कोई रोगी जाता है तो औसतन 10 से 21 दिन तक रहता है। कई मामलों में इतने समय तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद उसकी मौत हो जाती है। ऐसे में संसाधनों की बर्बादी होती है और जरूरतमंद को वेंटिलेटर नहीं मिल पाता है।