Health / कोरोना: इन हालात में रहता है हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे बचें

Zoom News : May 31, 2021, 04:04 PM
Delhi: कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को नए-नए लक्षण देखने को मिल रहे हैं। इस बीमारी से ठीक होने के बाद भी किसी ना किसी दूसरी बीमारी का खतरा बरकरार ही रहता है। खासतौर से दिल के मरीजों को कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई तरह ही चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कोरोना के मरीजों में लंबे समय तक हार्ट अटैक, क्लॉटिंग और हार्ट फेलियर का खतरा बरकरार रहता है। ऐसे में डॉक्टर से जानते हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद दिल का ख्याल किस तरह रखा जा सकता है।

लखनऊ के सहारा हॉस्पिटल के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर गौतम स्वरूप ने 'आज तक' को बताया कि दिल के मामले में कोरोना के मरीजों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। दिल से जुड़े किसी भी लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कोरोना से ठीक होने के बाद भी दिल की जांच कराना जरूरी है।

क्या ब्लड प्रेशर या दिल की बीमारी वालों को वैक्सीन से कोई खतरा है- डॉक्टर गौतम का कहना है कि दिल की बीमारी वाले मरीजों को वैक्सीन से घबराने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि इन लोगों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। इन लोगों को वैक्सीन का सबसे ज्यादा फायदा होगा। 

डॉक्टर गौतम के अनुसार, दिल के मरीजों में वैक्सीन से किसी भी तरह की क्लॉटिंग का खतरा नहीं है। इसके अलावा, एक बात याद रखें कि अगर आप दिल के मरीज हैं तो कोरोना से संक्रमित होने के दौरान या फिर वैक्सीन लगवाने के बाद भी अपनी नियमित दवा लेना कभी ना छोड़ें। 

कोरोना से ठीक होने के बाद दिल का कैसे रखें ध्यान- अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद कुछ मरीजों में पोस्ट निमोनिया के लक्षण महसूस हो सकते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फेफड़ों को पूरी तरह ठीक होने में वक्त लगता है। डॉक्टर गौतम के अनुसार, अगर आप कोरोना से ठीक हो चुके हैं और आपका ऑक्सीजन लेवल 94 से ऊपर है तो आपको किसी भी तरह से परेशान होने की जरूरत नहीं है। 

अगर ठीक होने के कुछ दिनों बाद भी आपका ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो रहा है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। ये फेफड़ों में पोस्ट कोविड क्लॉटिंग का संकेत हो सकता है। इसकी वजह से मरीज को हार्ट अटैक भी आ सकता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपने दिल की जांच करानी चाहिए। 

कोरोना की इस लहर में मरीजों को आखिर इतनी कमजोरी क्यों हो रही है, इस पर डॉक्टर गौतम कहते हैं, 'जब भी हम किसी वायरल बुखार से संक्रमित होते हैं तो हमारा शरीर कमजोर हो जाता है। हमारी इम्यूनिटी धीरे-धीरे ही बढ़ती है। ठीक वही चीज कोरोना के साथ भी है। कोरोना मरीजों को कमजोरी महसूस होना, भूख ना लगना और बदन दर्द होना सामान्य है। इन सबसे निपटने के लिए मरीज को सबसे पहले खुद को मानसिक रूप से मजबूत रखने की जरूरत है।'

डॉक्टर गौतम कहते हैं, 'कोरोना के कुछ मरीजों को दवा की ज्यादा डोज देनी पड़ती है। इसकी वजह से भी उन्हें ठीक होने के बाद काफी कमजोरी महसूस होती है जो थोड़ी लंबी खिंच सकती है। हालांकि इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है। ये कमजोरी धीरे-धीरे दूर हो जाती है और सब सामान्य हो जाता है। कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों को खूब सारा पानी पीना चाहिए, प्रोटीन से भरपूर डाइट लेनी चाहिए और अच्छी नींद लेनी चाहिए। इससे मरीज की रिकवरी जल्दी होती है।' 

तीसरी लहर के खतरे के बारे में डॉक्टर गौतम कहते हैं, 'अभी इसके बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता क्योंकि ये सारे अनुमान स्टडीज पर आधारित हैं। हालांकि हमें सावधान रहने और इसके लिए पूरी तैयारी कर लेने की जरूरत है। बच्चों को संक्रमण से बचाना माता-पिता की जिम्मेदारी है इसलिए सबसे पहले जितनी जल्दी हो सके वो खुद वैक्सीन लगवा लें।'

डॉक्टर ने कहा, 'बच्चों को कोविडयुक्त व्यवहार सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें मास्क लगाने का सही तरीका बताएं और साफ-सफाई रखने की आदत डालें। सबसे जरूरी की बात ये कि कोरोना की रफ्तार कम होने पर, बच्चों को एकदम से बाहर निकालने से बचें। उन्हें किसी भी भीड़ वाली जगह पर ना ले जाएं।'

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