AajTak : Apr 20, 2020, 11:00 AM
दिल्ली: जानवर से इंसान में फैलने वाले कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने के लिए अब वैज्ञानिक जानवरों की ही मदद लेने की तैयारी में जुटे हैं। बेल्जियम के कुछ शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि अमेरिका में पाई जाने वाली ऊंट की एक प्रजाति (लामा) के खून से कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार की जा सकती है।
'वीलाम्स इंस्टिट्यूट फॉर बायोटेक्नोलॉजी' के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लामा के खून से कोरोना वायरस के कहर को बेअसर किया जा सकता है। कोविड-19 के फैमिली वायरस MERS और SARS के मामले में भी लामा के खून में मौजूद एंटीबॉडी प्रभावी साबित हुए थे।हालांकि वह शोध एचआईवी की रिसर्च का एक हिस्सा था। रिसचर्स का कहना है कि लामा के एंटीबॉडीज इंसानों के एंटीबॉडीज की तुलना में काफी छोटे होते हैं।छोटे एंटीबॉडीज होने की वजह से वायरोलॉजिस्ट खून में मौजूद छोटे अणुओं की मदद लेकर कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन या ड्रग बना सकते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे नैनोबॉडी टेक्नोलॉजी कहते हैं।दक्षिण कोरिया में हुए एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में नेवले की एक प्रजाति को भी उपयोग में लाया जा सकता है।जर्नल सेल होस्ट एंड माइक्रोब में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेवले की प्रजाति पर कोविड-19 का असर बिल्कुल इसानों जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए कोरोना का एंटी वायरस ड्रग तैयार करने में इसकी काफी मदद ली जा सकती है।बता दें कि कोरोना वायरस से अब तक पूरी दुनिया में 24 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
'वीलाम्स इंस्टिट्यूट फॉर बायोटेक्नोलॉजी' के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लामा के खून से कोरोना वायरस के कहर को बेअसर किया जा सकता है। कोविड-19 के फैमिली वायरस MERS और SARS के मामले में भी लामा के खून में मौजूद एंटीबॉडी प्रभावी साबित हुए थे।हालांकि वह शोध एचआईवी की रिसर्च का एक हिस्सा था। रिसचर्स का कहना है कि लामा के एंटीबॉडीज इंसानों के एंटीबॉडीज की तुलना में काफी छोटे होते हैं।छोटे एंटीबॉडीज होने की वजह से वायरोलॉजिस्ट खून में मौजूद छोटे अणुओं की मदद लेकर कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन या ड्रग बना सकते हैं। विज्ञान की भाषा में इसे नैनोबॉडी टेक्नोलॉजी कहते हैं।दक्षिण कोरिया में हुए एक अन्य रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में नेवले की एक प्रजाति को भी उपयोग में लाया जा सकता है।जर्नल सेल होस्ट एंड माइक्रोब में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेवले की प्रजाति पर कोविड-19 का असर बिल्कुल इसानों जैसा ही दिखाई देता है। इसलिए कोरोना का एंटी वायरस ड्रग तैयार करने में इसकी काफी मदद ली जा सकती है।बता दें कि कोरोना वायरस से अब तक पूरी दुनिया में 24 लाख से भी ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।