कोरोना अलर्ट / कोरोना वैक्सीन का पहली बार इंसान पर टेस्ट, जल्द मिल सकती है कामयाबी

कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए रेमडेसिवीर से उम्मीद खत्म होने के बाद अब ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने एक नया ह्यूमन ट्रायल शुरू किया है। शुक्रवार को यहां कोरोना वायरस के टीके का इंसानों पर परीक्षण किया गया। इस ट्रायल में एक माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस ट्रायल में 800 में से एलिसा ग्रैनेटो को चुना गया।

AajTak : Apr 25, 2020, 10:56 AM
कोरोना वायरस की वैक्सीन के लिए रेमडेसिवीर से उम्मीद खत्म होने के बाद अब ब्रिटेन में वैज्ञानिकों ने एक नया ह्यूमन ट्रायल शुरू किया है। शुक्रवार को यहां कोरोना वायरस के टीके का इंसानों पर परीक्षण किया गया। इस ट्रायल में एक माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट को कोविड-19 का पहला टीका लगाया गया। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए इस ट्रायल में 800 में से एलिसा ग्रैनेटो को चुना गया।

ऑक्सफोर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एलिसा को लगाए गए टीके पर वैज्ञानिकों की उम्मीदें टिकी हैं। उनका दावा है कि यह टीका प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कोरोना वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करेगा।

खुद पर हुए ह्यूमन ट्रायल के बाद एलिसा ने बताया, 'एक वैज्ञानिक होने के नाते मैं इस रिसर्च को सपोर्ट करना चाहती हूं। इस वायरस पर अब तक कोई स्टडी न करने का मुझे अफसोस था, लेकिन अब मुझे लग रहा है यह सहयोग करने का सबसे आसान तरीका है।'

बता दें कि जिस दिन एलिसा पर यह ट्रायल शुरू हुआ उस दिन संयोग से उनका 32वां जन्मदिन भी था। एलिसा ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि यह ट्रायल हमें वैक्सीन के नतीजे तक जरूर लेकर जाएगा।

एलिसा के अलावा कैंसर पर रिसर्च करने वाले एडवर्ड ओनील को भी यह टीका लगाया गया है। ओनील को मेनिनजाइटिस नाम की बीमारी का टीका लगाया गया है। कोविड-19 की तरह मेनिनजाइटिस भी एक संक्रामक रोग है, जिसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की झिल्ली में सूजन बढ़ जाती है।

एलिसा और ओनील को टीके लगने के बाद अब 48 घंटे तक उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी। वैक्सीन के प्रभाव को समझने के बाद वैज्ञानिक दूसरे चरण में अन्य वॉलंटियरों को टीका लगाएंगे।

दूसरे चरण के लिए 18 से 55 साल तक के स्वस्थ लोगों को चुना गया है। इन सभी लोगों को दो गुटों में बांटने के बाद उन पर दोनों अलग-अलग वैक्सीन का ट्रायल किया जाएगा। हालांकि, उन्हें यह नहीं बताया जाएगा कि उन्हें कौन सा टीका दिया गया है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर और इस रिसर्च की लीडर सारा गिल्बर्ट ने कहा, 'इस ट्रायल से व्यक्तिगत तौर पर मुझे काफी उम्मीदें हैं। रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो जाएगा कि यह दवा कोरोना वायरस से लोगों को बचाने में कितनी कारगर है'

बता दें कि इससे पहले माना जा रहा था कि रेमडेसिवीर कोविड-19 की इलाज में कारगर साबित हो सकती है, लेकिन चीन के परीक्षण में यह दवा सफल नहीं हुई।

चीन के इस असफल परीक्षण के ड्राफ्ट डॉक्यूमेंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अचानक प्रकाशित कर दिया गया था, जिसके अनुसार इस दवा से मरीजों की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया और ना ही इसने मरीज के खून से रोगाणु कम किया।

कैसे किया जा रहा ट्रायल?

इस रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने सबसे पहले कोरोना वायरस के सरफेस पर जीन्स से स्पाइक प्रोटीन लिया और उसकी मदद से तैयार वैक्सीन को संबंधित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्ट किया।

यह वैक्सीन शरीर में एंटीबॉडीज को प्रोड्यूस करने के बाद इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करेगी और शरीर में टी सेल्स को भी एक्टिवेट करेगी, जो इन्फेक्टेड सेल्स को नष्ट करने का काम करेंगे।

अगर कोरोना वायरस शरीर पर दोबारा भी हमला करेगा तो भी ये एंटीबॉडीज और टी सेल्स उससे लड़कर शरीर का बचाव करेंगे।