देश / कोरोना वायरस पहुंचा रहा फेफड़ों को भारी नुकसान, मुंबई में दोबारा भर्ती हुए ठीक हो चुके 22 मरीज

News18 : Aug 08, 2020, 08:50 AM
मुंबई। कोरोना वायरस (Coronavirus) शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रहा है, इसे लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं। ये वायरस एक पहेली की तरह है। कुछ लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं, तो कुछ मरीजों को मौत भी हो जाती है। इसके अलावा ये वायरस शरीर के कई हिस्सों को बड़े पैमाने पर नुकसान भी पहुंचाता है। ताजा मामला मुंबई के किंग एडवर्ड हॉस्पिटल (KEM) का है। यहां कोरोना से ठीक होने के एक महीने बाद 22 मरीज़ फिर से हॉस्पिटल में भर्ती हुए हैं। इन सबने फेफड़ों (Lungs) में हो रही दिक्कतों की शिकायत की है।


सांस लेने में परेशानी

अंग्रेजी अखबार मुंबई मिरर के मुताबिक, कोरोना के इस ट्रेंड ने KEM के डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। दोबोरा भर्ती होने वाले मरीज़ों ने पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) की शिकायत की है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होती है। उन्हें कई बार ऑक्सीजन के सपोर्ट पर भी रखना पड़ता है। खास बात ये है कि जिन 22 मरीजों को दोबोरा भर्ती किया गया है, उन्हें पहले सांस लेने में कभी कोई परेशानी नहीं हुई थी और न ही इन मरीज़ों को फेफड़ों से जुड़ी कोई और बीमारी थी।


डॉक्टर भी हैरान

हॉस्पिटल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमिता अठावले का कहना है कि फिलहाल ऐसे मरीज़ों के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इन सारे मरीजों को पल्मोनरी फाइब्रोसिस की दवाई दी जा रही है। एक और डॉक्टर हेमंत देशमुख का कहना है कि ये सारे मरीज कोरोना का इलाज़ कराते वक्त करीब एक महीने तक हॉस्पिटल में एडमिट रहे थे। इस सारे लोगों को कोरोना की नई दवाईयां जैसे कि रेमडेसिवीर और टॉक्लीजुमैब दी गई थी। ये सब अच्छे से ठीक हो गए थे।

ब्रेन, किडनी और हार्ट पर भी हमला

पिछले महीने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (AIIMS) यानी एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि ये वायरस किसी मरीज के सिर्फ फेफड़ों पर ही अटैक नहीं करता, बल्कि ये ब्रेन, किडनी और हार्ट को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा था कि ये अब 'सिस्टेमिक डिजीज' बन गया है। मेडिकल साइंस की भाषा उस बीमारी को सिस्टेमिक डिजीज कहा जाता है, जो एक साथ शरीर के कई अंगों पर हमला करता हो। कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई मरीजों को फेफड़ों में काफी दिक्कते आती है। हालत ये है कि कई महीनों के बाद भी ऐसे मरीजों को घर पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है।

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