AajTak : Apr 09, 2020, 02:51 PM
अमेरिका: पूरी दुनिया में अमेरिका में सबसे तेजी से कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ रहा है। अब तक यहां 14 हजार लोगों की मौत हो चुकी है और चार लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो गए हैं। इन सब के बीच एक तथ्य चौंकाने वाला है। अमेरिका में जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनमें काले लोगों यानी अश्वेतों की संख्या आबादी के अनुपात को देखते हुए सबसे ज्यादा है।
प्रोपब्लिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत में काले और गोरों के बीच की असमानता के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- मेडिकल सुविधाओं की उपलब्धता, रहन-सहन और आर्थिक क्षमता। बड़ी संख्या में काले लोग ग्रॉसरी स्टोर और ट्रांसपोर्ट में काम करते हैं और यहां संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। अमेरिकी राज्य मिशिगन कोरोना वायरस से मृत्यु दर के मामले में तीसरे नंबर पर है। यहां कोरोना वायरस से अब तक जितनी मौतें हुई हैं उनमें 40 फीसदी काले लोग हैं जबकि यहां इनकी आबादी महज 14 फीसदी ही है। इसे लेकर मिशिगन की गवर्नर ग्रेटचेन व्हाइटमर ने कहा है कि यह अमेरिकी समाज में लंबे समय की विषमता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है और इसे ठीक करने के लिए और काम करने की जरूरत है। व्हाइटमर ने कहा, ऐसे वक्त में हम वो सब कुछ करेंगे जिनसे लोगों की जान बचाई जा सके। अमेरिका की विषमता किसी भी सूरत में ठीक करने की जरूरत है।इससे पहले कहा जा रहा था कि काले लोगों में मेलनिन के कारण इम्यून यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है इसलिए वो कोरोना वायरस के संक्रमण का सामना कर सकते हैं। मेलनिन को अमिनो एसिड कहा जाता है। यह त्वचा में होता है और इसी से त्वचा में रंग आता है। इससे बाल और त्वचा का रंग डार्क होता है। काले और भूरे लोगों में यह ज्यादा होता है। मेलनिन स्किन को यूवी किरणों से भी बचाता है। कई रिसर्च में ये भी पाया गया है कि यह स्किन कैंसर को भी होने से रोकता है। इसी मेलनिन को लेकर कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस से काली त्वचा वाले ज्यादा मजबूती से लड़ेंगे और वो इसकी चपेट में कम आएंगे। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था। अमेरिका में ज्यादा काले लोगों की मौत से भी यह साबित हो गया है कि कोरोना वायरस सबके लिए उतना ही खतरनाक है।कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैलने के बाद फेसबुक पर एक आर्टिकल तेजी से शेयर किया जा रहा था और उसमें दावा किया गया था कि मेलनिन के कारण ही अफीकी और दूसरे काले लोग वायरस से संक्रमित नहीं हो पाते हैं। इस आर्टिकल में एक स्टडी को कोट किया गया था। लेकिन वो स्टडी जानवर पर थी न कि इंसान पर। न्यूज एजेंसी एएफपी ने इसका फैक्ट चेक किया और बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का काली और गोरी चमड़ी से बहुत लेना-देना नहीं है।एएफपी ने सेनेगेल में बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के एक प्रोफेसर से बात की। इस बातचीत में प्रोफेसर अमादोऊ अल्फा ने कहा कि नस्ल और अनुवांशिकी का वायरस के रिकवरी से कोई संबंध नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि काले लोगों में रोग प्रतिरोधी क्षमता गोरों की तुलना में ज्यादा होती है।अमेरिका के दक्षिण राज्यों में अफ्रीकी अमेरिकी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हुए हैं। दक्षिण राज्यों में कोरोना वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा लुसियाना राज्य है। सोमवार को यहां के गवर्नर जॉन बेल एडवर्ड्स ने कहा कि कोरोना से मरने वाले 70 फीसदी काले लोग हैं जबकि इनकी आबादी यहां महज 33 फीसदी ही है। अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में भी यही हाल है। यहां भी गोरों की तुलना में काले लोग कोरोना वायरस की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं।
मिसिसिपी से भी कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर रेसियल डेटा जारी किया गया और इसमें बताया गया है कि अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए यह बेहद मुश्किल वक्त है। अलबामा का भी वही हाल है। अलबामा की आबादी में 27 फीसदी काले और 69 फीसदी गोरे लोग हैं।वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस के कुल संक्रमितों में गोरों की तुलना में तीन गुना ज्यादा काले हैं और मरने वालों में ये छह गुना ज्यादा हैं। अमेरिका के मिलवाउकी काउंटी में काले लोगों की आबादी महज 26 फीसदी है लेकिन कोरोना वायरस से मरने वालों में 70 फीसदी यही हैं। पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसे संज्ञान में लिया और कहा है कि इस पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।वॉशिंगटन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में काले लोग डायबिटीज, दिल की बीमारी और फेफड़े की समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। लुसियाना के गवर्नर जॉन बेल एडवर्ड्स ने कहा है कि ऐसी हालत में काले लोगों पर कोरोना वायरस कहर बनकर टूटा है।
प्रोपब्लिका ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत में काले और गोरों के बीच की असमानता के कई कारण हो सकते हैं, जैसे- मेडिकल सुविधाओं की उपलब्धता, रहन-सहन और आर्थिक क्षमता। बड़ी संख्या में काले लोग ग्रॉसरी स्टोर और ट्रांसपोर्ट में काम करते हैं और यहां संक्रमण फैलने की आशंका ज्यादा रहती है। अमेरिकी राज्य मिशिगन कोरोना वायरस से मृत्यु दर के मामले में तीसरे नंबर पर है। यहां कोरोना वायरस से अब तक जितनी मौतें हुई हैं उनमें 40 फीसदी काले लोग हैं जबकि यहां इनकी आबादी महज 14 फीसदी ही है। इसे लेकर मिशिगन की गवर्नर ग्रेटचेन व्हाइटमर ने कहा है कि यह अमेरिकी समाज में लंबे समय की विषमता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है और इसे ठीक करने के लिए और काम करने की जरूरत है। व्हाइटमर ने कहा, ऐसे वक्त में हम वो सब कुछ करेंगे जिनसे लोगों की जान बचाई जा सके। अमेरिका की विषमता किसी भी सूरत में ठीक करने की जरूरत है।इससे पहले कहा जा रहा था कि काले लोगों में मेलनिन के कारण इम्यून यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है इसलिए वो कोरोना वायरस के संक्रमण का सामना कर सकते हैं। मेलनिन को अमिनो एसिड कहा जाता है। यह त्वचा में होता है और इसी से त्वचा में रंग आता है। इससे बाल और त्वचा का रंग डार्क होता है। काले और भूरे लोगों में यह ज्यादा होता है। मेलनिन स्किन को यूवी किरणों से भी बचाता है। कई रिसर्च में ये भी पाया गया है कि यह स्किन कैंसर को भी होने से रोकता है। इसी मेलनिन को लेकर कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस से काली त्वचा वाले ज्यादा मजबूती से लड़ेंगे और वो इसकी चपेट में कम आएंगे। लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था। अमेरिका में ज्यादा काले लोगों की मौत से भी यह साबित हो गया है कि कोरोना वायरस सबके लिए उतना ही खतरनाक है।कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैलने के बाद फेसबुक पर एक आर्टिकल तेजी से शेयर किया जा रहा था और उसमें दावा किया गया था कि मेलनिन के कारण ही अफीकी और दूसरे काले लोग वायरस से संक्रमित नहीं हो पाते हैं। इस आर्टिकल में एक स्टडी को कोट किया गया था। लेकिन वो स्टडी जानवर पर थी न कि इंसान पर। न्यूज एजेंसी एएफपी ने इसका फैक्ट चेक किया और बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण का काली और गोरी चमड़ी से बहुत लेना-देना नहीं है।एएफपी ने सेनेगेल में बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के एक प्रोफेसर से बात की। इस बातचीत में प्रोफेसर अमादोऊ अल्फा ने कहा कि नस्ल और अनुवांशिकी का वायरस के रिकवरी से कोई संबंध नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि काले लोगों में रोग प्रतिरोधी क्षमता गोरों की तुलना में ज्यादा होती है।अमेरिका के दक्षिण राज्यों में अफ्रीकी अमेरिकी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हुए हैं। दक्षिण राज्यों में कोरोना वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा लुसियाना राज्य है। सोमवार को यहां के गवर्नर जॉन बेल एडवर्ड्स ने कहा कि कोरोना से मरने वाले 70 फीसदी काले लोग हैं जबकि इनकी आबादी यहां महज 33 फीसदी ही है। अमेरिकी राज्य जॉर्जिया में भी यही हाल है। यहां भी गोरों की तुलना में काले लोग कोरोना वायरस की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं।
मिसिसिपी से भी कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर रेसियल डेटा जारी किया गया और इसमें बताया गया है कि अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए यह बेहद मुश्किल वक्त है। अलबामा का भी वही हाल है। अलबामा की आबादी में 27 फीसदी काले और 69 फीसदी गोरे लोग हैं।वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस के कुल संक्रमितों में गोरों की तुलना में तीन गुना ज्यादा काले हैं और मरने वालों में ये छह गुना ज्यादा हैं। अमेरिका के मिलवाउकी काउंटी में काले लोगों की आबादी महज 26 फीसदी है लेकिन कोरोना वायरस से मरने वालों में 70 फीसदी यही हैं। पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसे संज्ञान में लिया और कहा है कि इस पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है।वॉशिंगटन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में काले लोग डायबिटीज, दिल की बीमारी और फेफड़े की समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। लुसियाना के गवर्नर जॉन बेल एडवर्ड्स ने कहा है कि ऐसी हालत में काले लोगों पर कोरोना वायरस कहर बनकर टूटा है।